विद्रोहियों के नेता से प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे ओली नहीं दे सके राजनीतिक स्थिरता, नेपाल में कैसे हुआ तख्तापलट?
नेपाल में केपी शर्मा ओली ने तीसरी बार सत्ता संभाली जिससे राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद जगी। लेकिन इंटरनेट पर पाबंदी और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाने वाले ओली के इस्तीफे से नेपाल में फिर राजनीतिक अस्थिरता आ गई है। उन्होंने देश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए गठबंधन सरकार बनाई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में केपी शर्मा ओली ने 2024 में तीसरी बार सत्ता संभालते समय देश में राजनीतिक स्थिरता आने की उम्मीद जगाई थी, लेकिन इंटरनेट मीडिया पर पाबंदी और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं के जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
73 वर्षीय ओली को चीन समर्थक रुख के लिए जाना जाता है। उनके इस्तीफे ने नेपाल को एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया है, जहां पिछले 17 वर्षों में 14 सरकारें सत्ता संभाल चुकी हैं।सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली अपने मित्र रहे पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' का साथ छोड़ने और प्रतिद्वंद्वी से मित्र बने शेर बहादुर देउबा के साथ हाथ मिलाने के बाद जुलाई, 2024 में सत्ता में आए थे।
कब राजनीति में शामिल हुए ओली?
देउबा प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे थे। नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाने के फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था कि देश में राजनीतिक स्थिरता और विकास बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।ओली, किशोरावस्था में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में शामिल हुए थे और अब समाप्त हो चुकी राजशाही का विरोध करने के लिए 14 साल जेल में बिताए थे।
वह अक्टूबर, 2015 में पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। उनके 11 महीने के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे थे। उन्होंने नेपाल के आंतरिक मामलों में कथित हस्तक्षेप के लिए भारत की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी और उनकी सरकार गिराने का आरोप लगाया था।
दो दलों का औपचारिक रूप से हुआ विलय
उन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करने से पहले आर्थिक समृद्धि की राह पर आगे बढ़ने के लिए भारत के साथ साझेदारी करने का वादा किया था। ओली फरवरी, 2018 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे, जब सीपीएन (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के गठबंधन ने 2017 के चुनावों में प्रतिनिधि सभा में बहुमत हासिल किया था।
उनकी जीत के बाद मई, 2018 में दोनों दलों का औपचारिक रूप से विलय हो गया। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ओली ने दावा किया कि नेपाल के राजनीतिक मानचित्र को फिर से तैयार करने और उसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों (लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा) को उनकी सरकार द्वारा शामिल किए जाने के बाद उन्हें अपदस्थ करने के प्रयास किए गए।22 फरवरी, 1952 को पूर्वी नेपाल के तेरहथुम जिले में जन्मे ओली, मोहन प्रसाद और मधुमाया ओली की सबसे बड़ी संतान हैं।
उनकी मां की चेचक से मृत्यु के बाद उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। उन्होंने नौवीं कक्षा में ही स्कूल छोड़ दिया था और राजनीति में आ गए। बाद में उन्होंने जेल से मानविकी विषयों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उनकी पत्नी रचना शाक्य भी एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता हैं।
कब पहली बार गिरफ्तार हुए ओली?
ओली ने 1966 में राजशाही के तहत निरंकुश पंचायत प्रणाली के खिलाफ लड़ाई में शामिल होकर एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। वह फरवरी, 1970 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। उसी वर्ष उन्हें पंचायत सरकार ने पहली बार गिरफ्तार किया था।
1971 में उन्होंने झापा विद्रोह का नेतृत्व संभाला, जिसकी शुरुआत जिले के जमींदारों का सिर कलम करके की गई थी। वह 1973 से 1987 तक लगातार 14 साल जेल में रहे। पंचायत शासन को गिराने वाले वर्ष 1990 के लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद ओली को लोकप्रियता मिली थी।
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