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    भारत का दबाव या सेना की असफलता... केपी शर्मा ओली के इस्तीफा देने की असल कहानी आई सामने

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:51 PM (IST)

    नेपाल में छात्रों और युवाओं के हिंसक आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। भारत अमेरिका ब्रिटेन और जापान जैसे देशों ने ओली सरकार के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई। इन देशों ने शांतिपूर्ण छात्र आंदोलन का समर्थन किया। भारत ने नेपाल में हो रही घटनाओं पर दुख जताया।

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    स्थिति को संभालने में काठमांडू पुलिस और नेपाल के सैन्य बल असफल रहे (फोटो: रॉयटर्स)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पड़ोसी देश नेपाल में छात्रों व युवाओं की तरफ से शुरू किया गया आंदोलन मंगलवार को काफी हिंसक रूप ले लिया। स्थिति को संभालने में काठमांडू पुलिस और नेपाल के सैन्य बलों की असफलता के बाद पीएम के पी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा है।

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    निश्चित तौर पर तीन बार के पीएम ओली के इस्तीफे के पीछे छात्रों व युवाओं का आंदोलन प्रमुख कारण है लेकिन पिछले 12 घंटों के दौरान भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी, उसकी वजह से भी पीएम ओली पर दबाव बना है। भारत समेत इन देशों ने ओली सरकार के प्रति किसी तरह की सहानुभूति नहीं दिखाई गई।

    ओली सरकार के पास विकल्प सीमित थे

    उल्टा इन देशों ने शांतिपूर्ण छात्र आंदोलन को लेकर परोक्ष तौर पर सहानुभूति प्रकट की। किसी भी प्रमुख देश की तरफ से समर्थन नहीं मिलने के बाद ओली सरकार के पास विकल्प सीमित हो गये थे। ओली के इस्तीफा देने के कुछ ही घंटे बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि, “हम कल से नेपाल में हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रहे हैं और कई युवा जीवन के नुकसान से गहरा दुखी हैं। हमारे विचार और प्रार्थनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं।

    मंत्रालय ने कहा, 'हम उन लोगों के लिए शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना करते हैं जो घायल हुए हैं। एक करीबी मित्र और पड़ोसी के रूप में हम आशा करते हैं कि सभी संबंधित पक्ष संयम बरतेंगे और किसी भी मुद्दे को शांतिपूर्ण साधनों और संवाद के माध्यम से हल करेंगे। हमें यह भी ध्यान दिया गया है कि नेपाल के काठमांडू और कई अन्य शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों से सावधानी बरतने और नेपाली अधिकारियों द्वारा जारी कदमों और दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है।'

    भारत ने नागरिकों को दी हिदायत

    भारत की प्रतिक्रिया से पहले ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, कोरिया गणराज्य, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेपाल में स्थित दूतावासों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि, “हम काठमांडू और नेपाल के अन्य क्षेत्रों में आज देखी गई हिंसा से गहरा दुखी हैं, जिसमें प्रदर्शनों के दौरान हुई जान की दुखद हानि और चोटें शामिल हैं। हम पीड़ितों के परिवारों, सभी प्रभावित लोगों और घायलों के शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ होने की कामना करते हुए अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। हमारी सरकारें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सार्वभौमिक अधिकारों के प्रति अपनी दृढ़ समर्थन को पुन: दोहराती हैं। हम सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने, और आगे के उत्तेजना से बचने और इन मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करती हैं।''

    भारत ने मंगलवार शाम को अपने नागरिकों को नेपाल की यात्रा करने से परहेज करने की सलाह दी है। दिन में दूसरी बार सलाह जारी करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों को जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाए तब तक नेपाल नहीं जाने की सलाह दी जाती है। जो नागरिक नेपाल में हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वह अपने निवास स्थान में ही रहें। बाहर जाने से परहेज करें। उन्हें स्थानीय सुरक्षा सलाह का पालन करना चाहिए।

    इसके साथ ही किसी आपातकालीन परिस्थिति में नेपाल स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क करने को कहा गया है। इस बारे में दो टेलीफोन नंबर भी जारी किये गये हैं। ये नंबर है 977-980-860-2881 और 977-981-032-6134। इन दोनों नंबरों पर व्हाट्सअप कॉल की सेवा भी उपलब्ध है।

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