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    क्या सच में धरती से 'थीया' के टकराने से बना था चांद? बदल रही चंद्रमा के पैदा होने की कहानी

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 07:48 PM (IST)

    एक नई रिसर्च के अनुसार, चाँद का निर्माण केवल एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि इसके पीछे कोई गहरी प्रक्रिया हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 'थीया' नामक पिंड की पृथ्वी से टक्कर, जिससे चाँद बना, एक संयोग नहीं था। इस टक्कर ने पृथ्वी की संरचना को भी बदल दिया। हालाँकि, कुछ वैज्ञानिक अभी भी इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता पर जोर देते हैं, क्योंकि अतीत के कई रहस्य अभी भी अनसुलझे हैं।

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    क्या सच में धरती से थीया के टकराने से बना था चांद (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चांद बनने की कहानी हम बचपन से सुनते आए हैं, एक बड़ा ग्रह आकार का पिंड, जिसका नाम 'थीया' था। करीब 4.5 अरब साल पहले धरती से टकराया और उसी टकराव से चांद बना। लेकिन अब नई रिसर्च बताती है कि यह घटना शायद सिर्फ एक 'दुर्घटना' नहीं थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस टकराव के पीछे कोई गहरा कारण या प्रक्रिया छिपी हो सकती है।

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    चांद बनने वाली टक्कर को लेकर नई सोच

    साइंस जर्नल और मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर सोलर सिस्टम रिसर्च (MPS) के वैज्ञानिक कहते हैं कि मशहूर थीया-धरती टकराव को अब तक संयोग माना जाता था। माना जाता था कि शुरुआती सौर मंडल में धरती एक बड़े मंगल जैसे पिंड से टकराई और इस टक्कर से निकले मलबे से चांद बना।

    इस विशाल टक्कर ने सिर्फ चांद ही नहीं बनाया, बल्कि धरती की शुरुआती बनावट, द्रव्यमान और रासायनिक संरचना को भी बदल दिया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस टक्कर ने धरती को आज की शक्ल देने में बड़ा योगदान दिया।

    नए रिसर्च में क्या आया सामने?

    नई रिसर्च इस विचार पर सवाल उठाती है कि थीया की टक्कर पूरी तरह संयोग थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि टकराव के पीछे कोई निश्चित क्रम या प्रक्रिया हो सकती है, जिसकी वजह से यह घटना हुई।

    MPS के वैज्ञानिक थॉर्स्टन क्लाइन का कहना है कि किसी भी ग्रह की संरचना उसके जन्म की पूरी कहानी बताती है। ग्रह में मौजूद तत्व यह दिखाते हैं कि वह कैसे बना। इसी आधार पर शोधकर्ता कहते हैं कि थीया-धरती टक्कर शायद किसी तय प्रक्रिया का हिस्सा थी, न कि आकस्मिक घटना।

    कई बातें अभी भी हैं रहस्य

    हालांकि कुछ विशेषज्ञ इन निष्कर्षों को लेकर अभी सावधानी बरत रहे हैं। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी इन सेंट लुइस के ग्रह वैज्ञानिक डॉ. पॉल बर्न कहते हैं कि वैज्ञानिक अलग-अलग प्रकार के नमूनों से जानकारी इकठ्ठी कर रहे हैं, लेकिन फिर भी अतीत का बड़ा हिस्सा हमारे लिए हमेशा खोया हुआ ही रहेगा। उनके अनुसार, चाहे कितना भी शोध हो शुरुआती सौर मंडल की कई बातें हमेशा रहस्य ही बनी रहेंगी।

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