हर देश बढ़ा रहा मिलिट्री बजट, रूस 149 तो इजरायल कर रहा 46 बिलियन डॉलर खर्च; जानिए दूसरे देशों का हाल
दुनियाभर में युद्ध के बढ़ते खतरों के कारण सैन्य खर्च में भारी वृद्धि हुई है, जो वैश्विक जीडीपी का 2.5% हो गया है, जो 1988 के बाद सबसे अधिक है। रूस और यूक्रेन ने अपने रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जबकि इज़राइल ने भी कई मोर्चों पर संघर्षों के कारण अपना सैन्य खर्च बढ़ाया है।
रूस का डिफेंस बजट 2024 में 149 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है (फोटो: रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया इस वक्त एक ऐसे मुहाने पर खड़ी है कि कब कौन-सा देश किस पर हमला कर दे, किसके एयरस्पेस में मिसाइल दाग दे या किसके खिलाफ एलान-ए-जंग कर दे, कुछ कहा नहीं जा सकता। जैसे-जैसे दुनिया में युद्ध के नए मोर्चे उभर रहे हैं, वैसे-वैसे डिफेंस पर होने वाला खर्च भी काफी बढ़ गया है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस संबंध में कुछ देशों के सैन्य बजट का आंकलन किया है, जिसके आधार पर गणना की गई है कि ग्लोबल जीडीपी का 2.5 फीसदी सैन्य खर्चों में व्यय हो रहा है। 1988 के बाद से ये सबसे बड़ा आंकड़ा है।
रूस-यूक्रेन का डिफेंस बजट बढ़ा
रूस का डिफेंस बजट 2024 में 149 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। सिर्फ एक साल में रूस ने अपना रक्षा बजट 38 फीसदी बढा दिया है। यह रूस के जीडीपी का 2021 में 2.6 फीसदी और 2024 में 7.1 फीसदी हो गया।
वहीं यूक्रेन का मिलिट्री बजट 2024 में बढ़कर 64.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात ये है कि 2021 में यूक्रेन का मिलिट्री बजट जीडीपी का केवल 3.4 फीसदी था। लेकिन रूस के आक्रमण के बाद 2022 में इसे कई गुना बढ़ाकर 25.6 फीसदी कर दिया गया। इसके बाद यह लगातार बढ़ता गया और 2024 में 34.6 फीसदी पहुंच गया।
इजरायल को भी बढ़ाना पड़ा सैन्य बजट
इजरायल को कई मोर्चों पर दुश्मनों का सामना करना पड़ता है। इजरायल में 2024 में डिफेंस बजट पर 46.5 बिलियन डॉलर खर्च किए। पिछले साल के मुकाबले यह 65 फीसदी ज्यादा है। वहीं 2024 में इजरायल ने अपनी जीडीपी का 8.8 फीसदी डिफेंस बजट पर खर्च किया है।
वहीं लेबनान ने 2024 में डिफेंस बजट में 54 फीसदी की बढ़ोतरी की। वहीं पोलैंड ने 2024 में रक्षा बजट जीडीपी का 4.2 फीसदी कर लिया है। म्यांमार ने 2024 में इसे जीडीपी का 6.8 फीसदी कर लिया है, जबकि वहां गृह युद्ध चल रहा है। आर्मेनिया ने 2024 में जीडीपी का 5.5 फीसदी, अजरबैजान ने 5 फीसदी और अल्जीरिया ने 8 फीसदी खर्च किया है।
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