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    Al-Aqsa Mosque: यहूदियों और मुस्लिमों के बीच क्या है अल-अक्सा मस्जिद विवाद? फिर बढ़ा तनाव

    By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Sat, 07 Jan 2023 05:30 PM (IST)

    Al Aqsa Mosque यरुशलम स्थित अल अक्सा मस्जिद को लेकर हमेशा से विवाद की खबरें सामने आती रहती हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है? जानते हैं कि अल अक्सा मस्जिद ...और पढ़ें

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    यहूदियों और मुस्लिमों के बीच क्या है अल-अक्सा मस्जिद विवाद?

    यरुशलम, ऑनलाइन डेस्क। इजरायल के सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गविर ने हाल ही में अल अक्सा मस्जिद का दौरा किया। इस दौरे के बाद कई देशों ने सवाल उठाए। खास कर इस दौरे के बाद अरब देशों का इजरायल के साथ तनाव बढ़ा है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी हमास ने इजरायल को धमकी दे दी। हालांकि, इस धमकी के बाद इजरायली मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार हमास की धमकी से डरने वाली नहीं है। बता दें कि पाकिस्तान, मिस्र, कतर समेत कई अन्य देशों ने इस दौरे की निंदा की थी।

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    क्या है अल अक्सा मस्जिद विवाद?

    वहीं, इस मामले पर विवाद बढ़ता देख चीन और यूएई ने यूएनएससी की बैठक बुलाई। बैठक में इजरायल पर जमकर निशाना साधा गया। बता दें कि अल अक्सा मस्जिद को लेकर हमेशा से विवाद की खबरें सामने आती रहती हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है? जानते हैं कि अल अक्सा मस्जिद हमेशा विवादों में क्यों रहता है? अल अक्सा मस्जिद इजरायल की राजधानी यरुशलम में स्थित है। यह मस्जिद दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है।

    यहूदियों और मुस्लिमों के बीच क्यों होती भिड़ंत?

    इस मस्जिद को अल हराम अल शरीफ के नाम से भी जाना जाता है। मक्का और मदीना के बाद इस मस्जिद को पवित्र माना जाता है। इस पवित्र स्थल को लेकर हमेशा से यहूदी और मुस्लिमों के बीच विवाद रहता है, क्योंकि मुस्लिम इसे अल हराम अल शरीफ और यहूदी इसे टेंपल माउंट के नाम से जानते हैं। दोनों धर्म के लोग इसे पवित्र स्थल के रूप में मानते हैं। इसी को लेकर हमेशा विवाद होता रहता है।

    अल अक्सा मस्जिद को लेकर क्या है कानून?

    बता दें कि वर्ष 1947 में फिलिस्तीन का विभाजन हुआ था। विभाजन में 55 फीसदी हिस्सा यहूदियों और 45 फीसदी हिस्सा फिलिस्तीनियों को मिला। वर्ष 1967 में गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर यरुशलम का कब्जा हो गया। इसके बाद विवाद और बढ़ गया। मस्जिद को लेकर जॉर्डन और इजरायल के बीच संधि हुई, जिसमें कहा गया कि मस्जिद में गैर मुस्लिमों को प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन वह मस्जिद के भीतर प्रार्थना नहीं कर सकते हैं। हालांकि इस संधि के इतर यहूदी समुदाय के लोग अंदर में प्राथर्ना करने लगे, जिसे लेकर कई बार झड़प हुई है और तनाव बढ़ता चला गया है।

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