नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े। भारत में नया साल शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने वाला है। देश में नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। नई शिक्षा नीति में वोकेशनल स्टडीज पर फोकस किया गया है। 9वीं से 12वीं क्लास के दौरान बच्चे अपने मनपसंद विषयों को सिलेबस में शामिल कर पाएंगे। दुनिया की शीर्ष विश्वविद्यालयों को भारत में संचालन की अनुमति दी जाएगी। यही नहीं आगामी जुलाई-अगस्त तक डिजिटल यूनिवर्सिटी के खुलने से शहरी क्षेत्र से लेकर गांव तक के छात्रों को विश्वस्तरीय कौशल- शिक्षा मिल पाएगी। इस साल विश्वविद्यालय स्तर पर कई कोर्स और पढ़ाई के पैटर्न में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत बदलाव देखने को मिलेंगे। इसके तहत स्कूलों के पाठ्यक्रम तैयार करने के साथ यूजीसी की तरफ से एजुकेशन चैनल लांचिंग की तैयारी की जा रही है। इससे व्यापक रूप में कस्बों-गांव के छात्रों को लाभ मिलेगा।

नई शिक्षा नीति में च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू होगा। अब 9वीं के छात्र को अगर विज्ञान विषय नहीं पढ़ना है, तो उसे अपने पंसद के अनुसार दूसरा विषय चुनने का अधिकार रहेगा। उसे लगता है कि गणित की जगह डांस या आर्ट का कोई विषय पंसद है, तो वह उसका चयन कर पढ़ाई कर पाएगा। 24 विषयों में चयन का विकल्प मिलेगा। 9 और 12 वीं तक की कक्षाओं के लिए भी सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जाएगा।

बदल जाएगा रोजगार सेक्टर का ट्रेंड

इंदौर आईआईएम के निदेशक प्रोफसर हिमांशु राय का कहना है कि वर्ष 2023 कौशल डिमांड वाला साल होगा। इस साल रोजगार में ऐसी स्किल की मांग बढ़ेगी, जो पिछले वर्षों से अलग होगी। बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी का नॉलेज जरूरी होगा। आने वाले समय में संस्थान ऐसे कर्मचारियों को प्राथमिकता देंगे, जो अपने काम में बेहतर होने के साथ, उनमें इमोशनल इंटेलिजेंस भी हो। अलग-अलग फील्ड का नॉलेज और सीखने की काबिलियत-उत्सुकता रखना अनिवार्य होगा।

डिजिटल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई आसान, बढ़ेंगे इनोवेशन

रुड़की आईआईटी के प्रोफेसर भोला राम गुर्जर का कहना है कि नए साल में शिक्षा का स्तर भारत में बदला हुआ दिखाई देगा। अब प्रोफेशनल के साथ रोजगारपरक पढ़ाई पर फोकस किया जा रहा है। डिजिटल यूनिवर्सिटी खुलने और विदेशी शिक्षण संस्थानों के भारत में खुलने से उच्चस्तरीय पढ़ाई का स्तर अलग ही होगा। आसान व सुविधाजनक पढ़ाई के अवसर मिलेंगे।

डिजिटल यूनिवर्सिटी के खुलने से कई बड़े कोर्स ऑनलाइन व डिस्टेंस के माध्यम से गांव तक के छात्रों को पढ़ने को मिलेगा। वे इनोवेशन, प्रोफेशनल, टेक्नालॉजी से जुड़े कई कोर्स आसानी से कर पाएंगे। इसके साथ ही यूजीसी द्वारा लांच किए जाने वाले एजुकेशन चैनल के माध्यम से देशभर के छात्रों को पढ़ने का मौका मिल पाएगा।

बीसीएसी, बीए जैसे स्नातक कोर्स में होगी सेमेस्टर सिस्टम से परीक्षा

नई शिक्षा नीति 2020 के निर्माण सदस्य, लागू कराने वाली समिति सदस्य और महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. राम शंकर कुरील ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 में एकेडेमिक एक्सीलेंस, इनोवेटिव रिसर्च, डिसेमनैशन, कोलॉबरेशन और कम्युनिटी पार्टिसिपेशन पर फोकस किया गया है। इसका मकसद यह है कि नई शिक्षा नीति के तहत जो शिक्षा दी जाएगी, उसमें प्वाइंट्स के आधार पर एजुकेशन तय किया जाएगा। अभी तक बीएससी, बीए जैसे ग्रेजुएशन को कोर्स में सालाना परीक्षा होती थी और उससे ही आपके अंक तय होते थे, लेकिन नए नीति में इसमें भी सेमेस्टर सिस्टम से परीक्षा होगी। परीक्षा देने का दो बार मौका मिलेगा।

डॉ. कुरील ने बताया कि इनोवेशन आधारित एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। आईआईएम व आईआईटी जैसे संस्थानों के इनोवेशन को भी गांव-कस्बों या आम आदमी तक पहुंचाकर उसका उपयोग किया जाएगा। देश के कोर्स व छात्रों को विदेशी स्टडी-इनोवेशन से परिचित कराया जाएगा। इसका आदान-प्रदान होगा। 2030 तक देशभर में नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरुआत हो गई है।

पढ़ाई बीच में छूटने पर वहीं से शुरु कर सकेंगे

रुड़की आईआईटी के प्रोफेसर भोला राम गुर्जर का कहना है कि नई एजुकेशन पॉलिसी में किसी भी कारण से आधी पढ़ाई छोड़ने वालों को अपना कोर्स पूरा करने का अवसर मिलेगा। डिग्री के साथ वे डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स की छोड़ी हुई पढ़ाई क्रेडिट बैंक में जमा क्रेडिट कोर्स व ग्रेड प्वाइंट्स के जरिए पूरा कर पाएंगे।

प्रोफेसर गुर्जर ने बताया कि इस तरह से छात्रों को भविष्य में करियर व प्रोफेशन के अनुसार अपनी शिक्षा और कौशल को बढ़ाने का मौका मिल पाएगा।

प्रो. राय ने कहा नई शिक्षा नीति में क्रेडिट सिस्टम से पढ़ाई की सुविधा दिए जाने का प्रावधान है। इस सिस्टम से छात्रों को काफी लाभ मिलेगा और वे किसी कारणवश बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ने वाले छात्र समय अंतराल के बाद भी अपनी पढ़ाई- कोर्स पूरा कर पाएंगे। दिलचस्प यह है कि छात्र जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेगा, वहीं से उसे सात साल के भीतर जारी करने का विकल्प भी मिलेगा। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना भी लाभकारी सिद्ध हो रही है। स्कूल के दौरान इंटर्नशिप को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

छोटे बच्चों के लिए बनी बालवाटिका, जल्द लागू हो

नई शिक्षा नीति 2020 के निर्माण सदस्य कृष्ण मोहन त्रिपाठी का कहना है कि नई नीति की सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द लागू कराना है। राइट टू एजुकेशन के तहत 12 वीं की पढ़ाई को अनिवार्य किया जा रहा है। स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने पर एजुकेशन फोकस किया जा रहा है। छोटे बच्चों के लिए बालवाटिका योजना बनाई गई है, इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहिए।

एक ही सिलेबस के साथ क्रेडिट बैंक-पाइंट से पूरी होगी पढ़ाई

डॉ. कुरील ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत ही अब हायर एजुकेशन में देशभर के लिए एक ही सिलेबस बनाया जाएगा। इसमें 80 फीसदी एक सामान पाठयक्रम होगा, 20 फीसदी राज्य अपने स्थानीय स्तर के कोर्स सिलेबस में शामिल कर पाएंगे। इसके अलावा अमेरिका, कनाडा समेत अन्य देशों की तरह अब कोई भी छात्र क्रेडिट बैंक या क्रेडिट प्वाइंट्स के आधार पर अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएगा। एक सेमेस्टर में किसी एक विषय के 10 यूनिट हैं, तो उसे 5 महीने के क्रेडिट कोर्स में बांटकर पढ़ाया जाएगा, छात्र जितने क्लास अटेंड करेगा, उसके आधार पर उसके क्रेडिट प्वाइंट्स गिने जाएंगे जो डीजी लॉकर की तरह क्रेडिट बैंक में जमा रहेंगे। डॉ. कुरील के अनुसार कुछ राज्यों के विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू हो गई है।

सुदूर गांवों तक आसानी से पहुंच सकेंगे हाईटेक कोर्स

डिजिटल यूनिवर्सिटी से देश में उच्च शिक्षा को शहर से लेकर सुदूर गांव तक पहुंचाने में आसानी होगी। विदेशों में आईआईटी जैसे प्रसिद्ध संस्थानों के कैंपस हमारी शैक्षणिक गुणवत्ता को विश्वस्तर पर विस्तार देंगे। 5जी टेक्नोलॉजी के विस्तार से यह और आसान हो जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में यह साल अभूतपूर्व प्रयोग और उपलब्धियों वाला होने वाला है। इस वर्ष को भारत में शिक्षा के क्षेत्र के स्पेक्ट्रम को और अधिक विविध और विस्तृत बनाने के लिए जाना जाएगा।

आईओटी और डिजिटल तकनीक बनाएंगे करियर में नए मौके

एजुकेशन काउंसलर एक्सपर्ट- एसएन मेंटोरिंग के संस्थापक व डायरेक्टर सौरभ नंदा का कहना है कि ब्लॉकचैन, आईओटी, 5 जी जैसी डिजिटल तकनीक की मांग अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ रिटेल बिजनेस, हॉस्पिटिलिटी व फाइनेंस सेक्टर में तेजी से बढ़ेंगी। नई शिक्षा नीति से प्रोफेशनल कोर्स के साथ रोजगारपरक पाठयक्रम की मांग बढ़ेगी।

भविष्य में नई स्किल्स बढ़ाएगी रोजगार की संभावनाएं

आईआईएम इंदौर निदेशक प्रोफेसर राय ने बताया कि डिजिटल तकनीक ने रोजगार के नए अवसर सृजित किए हैं। नए साल में भारत ही नहीं, दुनियाभर के कई ऐसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, जो शिक्षा के साथ तकनीक से भी जुड़े होंगे। इनमें डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग एक्सपर्ट, ब्लॉकचेन डेवलपर, फुल स्टैक डेवलपर, बिजनेस एनालिस्ट, मार्केटिंग मैनेजर, साइबर सिक्युरिटी स्पेशलिस्ट, क्लाउड इंजीनियर, प्रोडक्शन मैनेजर के साथ कुछ अन्य फील्ड के पद भी शामिल हैं।

प्रो. राय ने बताया कि नई शिक्षा नीति में भारतीय शिक्षा की संरचना को और अधिक गतिशील, लचीला और प्रासंगिक बनाने के कदम उठाए गए हैं। रटकर परीक्षा उत्तीर्ण होने के स्थान पर अब इसे छात्रों के लिए रचनात्मकता तरीके से पढ़ाई करे वाला बनाया गया है। मल्टी- डिसिप्लिन और रिसर्च को बढ़ावा मिलने से हायर एजुकेशन और प्रोफेशनल एजुकेशन संस्थान अलग-अलग वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से विविध क्षेत्रों को सीखने के अवसर प्रदान होंगे। उदाहरण के तौर पर अब आईआईएम और आईआईटी के विश्व स्तर के प्रासंगिक कार्यक्रमों को ऑफलाइन और ऑनलाइन या दोनों म़ॉड में शुरू किया जा रहा है।

वंचितों को भी मिलेगी आसानी से शिक्षा

भारत में बड़े विदेशी शिक्षा संस्थानों की खुलने की राह पर आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रोफेसर राय का कहना है कि ​भारत में डिजिटल यूनिवर्सिटी के जरिए शिक्षा और विदेशी विश्वविद्यालयों के आने से बड़े स्तर पर इसका संभावित लाभ मिलेगा। छात्रों को अध्ययन में लचीलापन, पाठ्यक्रमों तक आसानी से पहुंच, उच्च गुणवत्ता के कोर्स, कम लागत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्किंग की सुविधा मिल पाएगी। इन विश्वविद्यालयों के माध्यम से ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम से कई छात्र अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर पाएंगे। इन विश्वविद्यालयों के माध्यम से पारंपरिक संस्थानों की तुलना में अधिक विस्तृत पाठ्यक्रम की पेशकश और डिग्री कार्यक्रम का संचालन किया जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ऐसे क्षेत्र के छात्रों को मिलेगा, जो अब तक इससे वंचित थे। पारंपरिक ऑन-कैंपस कार्यक्रमों की तुलना में अधिक किफायती पाठ्यक्रमों से छात्रों को विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों के साथ सीखने का अवसर मिल सकता है।

अग्रणी विदेशी शिक्षा संस्थान सिर्फ ऑफलाइन कोर्स की अनुमति

यूजीसी के चैयरमैन डॉ एम जगदीश कुमार ने 5 जनवरी को बताया कि भारत में विदेशी शिक्षण संस्थानों के खुलने की रूपरेखा बनाई गई है। दुनिया के 500 रैकिंग वाले शिक्षण संस्थान- विश्वविद्यालयों को ही भारत में अपने कैंपस खोलने की अनुमति दी जाएगी। विदेशी संस्थान भारत में सिर्फ ऑफलाइन कोर्स का ही संचालन करेंगी। यूजीसी चैयरमैन ने बताया कि उन्हें भारत में ऑनलाइन व डिस्टेंस एजुकेशन से कोर्स कराने की अनुमति नहीं होगी। उनके फीस पारदर्शिता पर यूजीसी नजर रखेगा।

नई शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुसार ही यह पहल की गई है। विदेशी विश्वविद्यालयों को को भारत में कैंपस खोलने के लिए यूजीसी की मंजूरी लेनी होगी। शुरुआत में 10 साल के लिए यह अनुमति दी जाएगी। किसी भी पाठ्यक्रम को बीच में नहीं बंद किया जाएगा। यूजीसी चैयरमैन ने कहा कि इससे भारतीय छात्रों को काफी फायदा होगा। आने वाले समय में विश्वस्तरीय शिक्षा भारत में ही मिल पाएगी।

नई शिक्षा नीति के खास बातें 

  • पहले 10+2 पैटर्न से पढ़ाई होती थी, अब 5+3+3+4 पैटर्न से की जाएगी।
  •  फाउंडेशन स्टेज शिक्षा 3 से 8 साल के बच्चों के लिए होगी।
  •  इसमें 3 साल प्री स्कूल शिक्षा और 2 साल स्कूली शिक्षा (कक्षा 1 व 2)।
  •  प्रिप्रेटरी स्टेज में 8 साल से 11 साल के बच्चे होंगे। कक्षा 3 से 5वीं तक।
  •  मिडिल स्टेज में कक्षा 6 से 8 वीं के बच्चे होंगे। इन्हें कोडिंग सिखाई जाएगी।
  •  सेकेंडरी स्टेज में कक्षा 9 से 12 वीं के छात्र होंगे। ये पंसद का विषय पढ़ेंगे।
  •  पांचवीं तक की शिक्षा मातृभाषा में या क्षेत्रीय भाषा में दी जाएगी।
  •  छात्र को कोई विषय या स्ट्रीम नहीं चुनना होगा। योग, खेल, डांस, संगीत भी पढ़ेंगे।
  •  क्रेडिट कोर्स के आधार पर हायर एजुकेशन की पढ़ाई की सुविधा होगी।
  •  बीएड की पढ़ाई 4 साल की होगी।
  •  छात्रों को विदेशी भाषाएं सिखाई जाएंगी। फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, चाइनीज आदि।