किम जोंग-उन के कार्यकाल में और बेहाल हुआ उत्तर कोरिया
किम जोंग-उन ने अपने पिछले छह वर्षों के कार्यकाल में घातक हथियारों का जखीरा जुटाने में कोई कसर तो नहीं की है लेकिन इससे उसके देश की जनता भी आर्थिक तौर पर दशकों पीछे चली गई है।
जयप्रकाश रंजन, सियोल : कभी हाइड्रोजन बम के विस्फोट तो कबी 10 हजार से भी ज्यादा दूरी तक मार करने वाले बैलस्टिक मिसाइलों का परीक्षण। इनसे आप धोखा मत खाइये। उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग-उन ने अपने पिछले छह वर्षों के कार्यकाल में घातक हथियारों का जखीरा जुटाने में कोई कसर तो नहीं की है लेकिन इससे उसके देश की जनता भी आर्थिक तौर पर दशकों पीछे चली गई है। उत्तर कोरिया की आम जनता के पास राजनीतिक और धार्मिक अधिकार पहले भी नहीं थे लेकिन अब आबादी के बड़े हिस्से के पास दो जून की किमची (कोरियाई पारंपरिक खाना) भी नसीब नहीं हो रही है।
सैनिक तानाशाह के तमाम अड़चनों और खतरे के बावजूद जान जोखिम में डाल कर सीमा पार करने वालों की संख्या कम नहीं है। हालात का फायदा उठाने के लिए कई गिरोह सक्ति्रय हैं जो उत्तर कोरिया की गरीब लड़कियों की शादी चीन के बूढ़ों या ग्रामीण चीन के युवाओं से करवा कर रहे हैं। ग्रामीण चीन की स्थिति बहुत उत्साजनक नहीं है लेकिन ये लड़कियां उत्तर कोरिया के कष्टपूर्ण जिंदगी से बाहर आने के लिए वह भी कर रही हैं। दैनिक जागरण ने दक्षिण कोरिया में उत्तर कोरिया से किसी भी तरह से भाग कर आये तीन ऐसे शरणार्थियों से बात की। दक्षिण कोरिया सरकार के पास जो आंकड़े हैं वह बताते हैं कि पिछले दस वषरें में उत्तर कोरिया से भाग कर यहां आने वाले शरणार्थियों की संख्या 30 हजार को पार कर चुकी है।
पिछले तीन-चार वर्षों में हर वर्ष यहां आने वाले शरणार्थियों की संख्या में कमी आई है। लेकिन यह इसलिए नहीं हुआ है कि वहां हालात सुधर रहे हैं बल्कि सैनिक तानाशाह ने चीन से लेकर दक्षिण कोरिया तक की सीमा पर बड़ी संख्या में बारुदी सुरंगे बिछा दी हैं। साथ ही सीमा पर तार के बड़े बड़े जाल बिछाये जा रहे हैं। सीमा पार करने की कोशिश में पकड़े जाने वालों के सभी परिवार को बेहद कठोर सजा दी जा रही है। इसके बावजूद वर्ष 2016 में 1418 लोगों ने जान जोखिम में डाल कर और कई बार गोलियां के बौछारों के बीच गोलियां खाते हुए दक्षिण कोरिया की सीमा में घुसने में कामयाब रहे हैं। उत्तर कोरिया से आने वाली शरणार्थियों को बसाने का काम करने वाली एक एजेंसी के जरिए दैनिक जागरण जब इन शरणार्थियों से बात की तो वहां के अंदरुनी हालात के कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए।
सून पार्क (काल्पनिक नाम) ने चार वर्ष पहले उत्तर कोरिया से भाग कर चीन में शरण ली लेकिन वहां जब पहले से गई लड़कियों की हालात देखी तो फिर दक्षिण कोरिया आ गई। वह बताती हैं कि चीन के ग्रामीण इलाको में शादी योग्य लड़कियों की कमी है इसलिए ऐसे गिरोह सक्ति्रय हैं जो उत्तर कोरिया लड़कियों की शादी वहां कराते हैं और मोटी कमाई करते हैं। इन लड़कियों के पास कोई चारा नहीं है। कई मामले में ये उत्तर कोरिया को छो़ने के लिए चीन के बूढ़ों से शादी कर लेती हैं। सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि लाओस, विएतनाम और थाईलैंड भी इन लड़कियों को पहुंचाया जा रहा है। सून पार्क को कई वषरें बाद पता चला कि उनके आने के बाद उनकी मां को बंधक बना कर रखा गया है और वह किस स्थिति में हैं इसका उन्हें कोई जानकारी नहीं है। सिर्फ 20 वर्ष की आयु में उत्तर कोरिया से भाग कर दक्षिण कोरिया आये एक युवक ने बताया कि स्कूलों मे कोई आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती। सरकारी कर्मचारी, पुलिस विभाग और कम्यूनिस्ट पार्टी के तीन स्तरों पर जासूसी नेटवर्क काम करता है। शिक्षक भी आम तौर पर जासूनी का काम करते हैं और बच्चों से उनके घर की गतिविधियों, वहां चलने वाले टीवी कार्यक्रमों की जानकारी लेते हैं और उसे बड़े अधिकारियों को देते है। धार्मिक कार्यक्त्रमों पर पूरी तरह से पाबंदी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।