जलपाईगुड़ी में जन्म, बांग्लादेश की पहली महिला पीएम... जानें खालिदा जिया का भारत कनेक्शन
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह तीन बार प्रधानमंत्री रहीं और बांग्लादेश की पहली ...और पढ़ें
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खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार को 80 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने एक बयान में यह जानकारी दी। जिया लंबे समय से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं।
उन्हें लिवर सिरोसिस, गठिया, डायबिटीज, सीने और दिल की समस्याएं शामिल थीं। उनका लंबे समय से ढाका के एक स्पेशलाइज्ड प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा था। खालिदा ने बांग्लादेश में एक मजबूत राजनीतिक विरासत छोड़ी है। वह दक्षिण एशियाई राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा थीं।
भारत से कैसा रहा नाता?
खालिदा जिया का भारत से भी कनेक्शन है। दरअसल उनका जन्म 1945 में जलपाईगुड़ी में हुआ था, जो उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब जलपाईगुड़ी, भारत) के अविभाजित दिनाजपुर जिले का हिस्सा था। बंटवारे के बाद, खालिदा और उनका परिवार दिनाजपुर (अब बांग्लादेश में) चला गया।
उन्होंने शुरू में दिनाजपुर मिशनरी स्कूल में पढ़ाई की। शुआती पढाई पूरी करने के बाद साल 1960 में दिनाजपुर गर्ल्स स्कूल में चली गईं। खालिदा जिया ने 1991 से तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह बांग्लादेश की पहली महिला थीं जिन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था।
जियाउर रहमान से हुई थी शादी
खालिदा की शादी जियाउर रहमान से हुई थी, जो बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति थे। साल 1981 में एक तख्तापलट के दौरान वो मारे गए थे। इस घटना के बाद देश में नौ साल के लंबे सैन्य शासन की शुरुआत हुई।

जियाउर रहमान की मौत के बाद, खालिदा ने बांग्लादेश सेना के पूर्व प्रमुख जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद के शासन को खत्म करने के लिए सात-पार्टी गठबंधन का नेतृत्व किया।
वह BNP में एक आम सदस्य के तौर पर भी शामिल हुईं और बाद में साल 1983 में पार्टी की वाइस-चेयरपर्सन चुनी गईं। एक साल बाद पार्टी ने उन्हें चेयरपर्सन चुना।
कैसे बनीं 'आयरन लेडी'
1986 में, खालिदा ने चुनावों का बहिष्कार किया, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी अवामी लीग, जमात-ए-इस्लामी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश ने जातीय पार्टी के नेतृत्व वाले शासन के तहत चुनाव में हिस्सा लिया। अपने दृढ़ संकल्प की वजह से उन्हें 1983 से 1990 के बीच सात बार गिरफ्तार किया गया।
1991 में, खालिदा भरी बहुमत से देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। अपने शासनकाल के दौरान, खालिदा ने संसदीय सरकार प्रणाली के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की देखरेख के लिए कार्यवाहक सरकार प्रणाली शुरू की।
खालिदा जिया की पहली सरकार में कुछ बड़े आर्थिक सुधार हुए, जिनमें वैल्यू-एडेड टैक्स (VAT) की शुरुआत, 1991 में बैंक कंपनी अधिनियम, 1993 में वित्तीय संस्थान अधिनियम का निर्माण और 1993 में निजीकरण बोर्ड की स्थापना शामिल है। उन्हें बांग्लादेश में शिक्षा को आसान और पहुंच बढाने के लिए भी याद किया जाता है।

दूसरा कार्यकाल कैसा रहा?
फरवरी 1996 के बाद खालिदा का प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल कुछ हफ्तों तक चला। सत्ता में लौटने के लक्ष्य से, BNP ने 1999 में जातीय पार्टी, जमात-ए-इस्लामी और इस्लामी ओइक्या जोत के साथ मिलकर चार-पार्टी विपक्षी गठबंधन बनाया और सत्तारूढ़ अवामी लीग के खिलाफ कई आंदोलन कार्यक्रम शुरू किए।
खालिदा जिया 2001 में फिर से चुनी गईं। इसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार और आतंकवाद को खत्म करने का वादा करके सत्ता में वापस आईं। साल 2006 में पद छोड़ने से कुछ महीने पहले खालिदा जिया ने भारत का दौरा किया था।
भारत से नाता
2007 में खालिदा को उनके परिवार के सदस्यों के साथ देश से निकालने की कई कोशिशों के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। जब 2009 में बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई, तो खालिदा ने लोकतंत्र के लिए अपनी लड़ाई फिर से शुरू की। उन्हें उनके घर से निकाल दिया गया, दो बार हाउस अरेस्ट में रखा गया।
साल 2011 में खालिदा को न्यू जर्सी की स्टेट सीनेट ने 'लोकतंत्र के लिए फाइटर' के रूप में सम्मानित किया। अक्टूबर 2012 में, खालिदा भारत आईं और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में पद संभालने के एक साल बाद, बांग्लादेश का दौरा किया था इस दौरान पीएम मोदी ने खालिदा जिया से मुलाक़ात की थी।
लोकतंत्र की फाइटर कैसे पहुंची जेल?
खालिदा जिया को साल 2018 में जिया अनाथालय ट्रस्ट और जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामलों में 17 साल की जेल हुई थी। एक स्थानीय अदालत ने उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था, जिसमें उन्होंने नए बने जिया अनाथालय ट्रस्ट को फंड ट्रांसफर किए थे। पिछले साल हसीना को सत्ता से हटाए जाने के कुछ ही समय बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया था।
सालों तक खराब सेहत और जेल में रहने के बावजूद, खालिदा ने फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों में प्रचार करने का वादा किया था। यह हसीना को एक बड़े जन आंदोलन द्वारा सत्ता से हटाए जाने के बाद पहला चुनाव होगा।
इस महीने की शुरुआत में उन्हें एक स्पेशल एयर एम्बुलेंस से लंदन ले जाने की योजना थी, लेकिन उनकी हालत इतनी स्थिर नहीं थी। खालिदा के बेटे, तारिक रहमान, पिछले हफ्ते ही 17 साल के स्व-निर्वासित जीवन के बाद बांग्लादेश लौटे हैं।
वह 12 फरवरी के आम चुनाव में BNP पार्टी का नेतृत्व करेंगे और अगर उनकी पार्टी बहुमत जीतती है तो उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में आगे किए जाने की उम्मीद है।

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