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    'अंग्रेजों ने नहीं, भारतीय सैनिकों ने हमें आजाद कराया', इजरायल में हाइफा के मेयर ने ऐसा क्यों कहा?

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 07:00 AM (IST)

    इजराइल के हाइफा शहर ने शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। मेयर योना याहाव ने कहा कि शहर के स्कूलों की इतिहास की पुस्तकों में सुधार किया जा रहा है। अब बताया जाएगा कि शहर को ओटोमन शासन से मुक्त कराने वाले भारतीय सैनिक थे न कि ब्रिटिश। प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों ने हाइफा को आजाद कराया था।

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    हाइफा के मेयर ने भारतीय सैनिकों को लेकर कही बड़ी बात। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजराइल के शहर हाइफा ने सोमवार को शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मैयर ने कहा कि शहर के स्कूलों की इतिहास की पुस्तकों में यह सुधार किया जा रहा है कि शहर को ओटोमन शासन से मुक्त कराने वाले ब्रिटिश नहीं बल्कि भारतीय सैनिक थे।

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    हाइफा के मेयर योना याहाव ने कहा, "मैं इसी शहर में पैदा हुआ और यहीं से स्नातक किया। हमें लगातार यही बताया जाता था कि इस शहर को अंग्रेजों ने आजाद कराया था, जब तक कि एक दिन ऐतिहासिक सोसायटी के किसी व्यक्ति ने मेरे दरवाजे पर दस्तक नहीं दी और कहा कि उन्होंने गहन शोध किया है और पाया है कि अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीयों ने इस शहर को (ओटोमन साम्राज्य से) आजाद कराया था।"

    'बदल रहे हैं पाठ्य-पुस्तकें'

    उन्होंने यह टिप्पणी भारतीय सैनिकों के श्मशान घाट पर उनकी बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित समारोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए की। याहाव ने कहा, "हर स्कूल में हम पाठ्य-पुस्तकों को बदल रहे हैं और कह रहे हैं कि अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीयों ने हमें आजाद कराया।"

    'यही एक तथ्य है'

    प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, भालों और तलवारों से लैस भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों ने तमाम बाधाओं के बावजूद माउंट कार्मेल की चट्टानी ढलानों से ओटोमन सेना को खदेड़कर शहर को मुक्त कराया, जिसे अधिकांश युद्ध इतिहासकार "इतिहास का अंतिम महान घुड़सवार अभियान" मानते हैं।

    मेयर याहाव ने 2009 में इसी स्थान पर आयोजित पहले समारोह के दौरान कहा था कि उत्तरी तटीय शहर की इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में भारतीय सैनिकों द्वारा इसकी मुक्ति की कहानी शामिल की जाएगी और आज यह शहर के युवाओं के बीच एक प्रसिद्ध तथ्य है।

    भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को हाइफा दिवस के रूप में मनाती है, ताकि तीन बहादुर भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों - मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स को श्रद्धांजलि दी जा सके, जिन्होंने 1918 में इसी दिन 15वीं इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड की एक आक्रामक घुड़सवार कार्रवाई के बाद हाइफा को आजाद कराने में मदद की थी।

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