सिंगापुर में मास्क नहीं पहनने पर भारतीय मूल की महिला पर हुआ था हमला, बोली- 'आज भी डर के जी रही हूं'
सिंगापुर में हिंदोचा नाम की एक भारतीय मूल की महिला पर लगभग दो साल पहले मास्क नहीं पहनने पर हमला किया गया था। भारतीय मूल की महिला ने कोर्ट में बुधवार को ट्रायल के पहले दिन कहा कि वह इस घटना के कारण हुए आघात से उबर नहीं पाईं हैं।

सिंगापुर (एजेंसी)। सिंगापुर में हिंदोचा नीता विष्णुभाई नाम की एक भारतीय मूल की महिला पर लगभग दो साल पहले मास्क नहीं पहनने पर हमला किया गया था। 7 मई, 2021 को चो चू कांग हाउसिंग स्टेट में एक व्यक्ति ने कथित तौर पर महिला की छाती पर लात मारी थी और साथ ही नस्लीय टिप्पणी भी की। भारतीय मूल की महिला ने कोर्ट में बुधवार को ट्रायल के पहले दिन कहा कि वह इस घटना के कारण हुए आघात से उबर नहीं पाईं हैं।
आरोपी ने आरोपों से किया इनकार
इस मामले में 32 वर्षीय वोंग जिंग फोंग नाम के व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है। वहीं, वोंग ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, वोंग पर हिंदोचा पर नस्लीय गालियां देने का आरोप है, जिसका उद्देश्य उसकी भावनाओं चोट पहुंचाना था। इसके अलावा, उस पर हिंडोचा की छाती पर लात मारने का भी आरोप है। हिंडोचा को गवाही के लिए बुलाया गया था, लेकिन अदालत कक्ष में जाते ही वह रो पड़ीं और कहने लगीं कि वह आज भी डर-डर के जी रही है।
अदालत को बताई कहानी
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं था कि वह आरोपी को ही देखकर रोईं थीं, लेकिन जिला न्यायाधीश शैफुद्दीन सरुवान ने मामले को अस्थायी रूप से रोक दिया ताकि वह खुद को शांत कर सके। जैसे ही लगभग 30 मिनट बाद मुकदमा फिर से शुरू हुआ, हिंडोचा ने अदालत को बताया कि हमले के दिन क्या हुआ था। हिंडोचा ने कहा कि वह आमतौर पर काम करने के लिए तेज-तेज चलती हैं क्योंकि उनके पास उससे पहले किसी प्रकार के व्यायाम करने का समय नहीं होता है। इसके अलावा, उस दिन तेज चलने के दौरान अधिक स्वतंत्र रूप से सांस लेने के लिए उन्होंने अपने चेहरे के मास्क को थोड़ा नीचे खींच लिया था। तब, सिंगापुर में कोरोना वायरस नियंत्रण नियमों में यह अनिवार्य कर दिया था कि जब तक वे व्यायाम नहीं कर रहे हों, तब तक हर कोई अपने चेहरे पर मास्क लगाए रखें।
पहले मास्क ऊपर करने का किया इशारा
हिंदोचा ने अदालत को आगे बताया कि जब उन्होंने चो चू कांग ड्राइव के पास स्थित नॉर्थवेल कॉन्डोमिनियम से सटे एक बस स्टॉप के पास पहुंच रही थी, तो उन्होंने किसी को पीछे से चिल्लाते हुए सुना। तब उन्होंने वोंग और उसकी एक महिला दोस्त को ऐसा करते हुए देखा। आरोपी ने मास्क पहनने का इशारा किया। फिर, भारतीय मूल की महिला ने उन्हें इशारा किया कि वह व्यायाम कर रही हैं ।
इस बात पर, वोंग उनकी ओर चला गया और उन्हें गाली दी। महिला ने कोर्ट में कहा कि उन्हें लड़ना पसंद नहीं है, इसलिए उन्होंने इतना कहा कि भगवान आपका भला करे। इसके बाद वोंग महिला की ओर दौड़ा और उनके सीने में जोर से लात मारी।
पीठ के बल गिर गई महिला
हिंडोचा ने कहा कि हमले के कारण वह अपनी पीठ के बल गिर गई, जिससे उनकी बाईं बांह और हथेली से खून बहने लगा। उन्होंने आरोप लगाया कि वोंग और उसकी महिला साथी फिर ऐसा करने लगे जैसे कि कुछ भी नहीं हुआ था। उन्होंने अदालत में कहा, "मैं बहुत जोर से रो रही थी, सर। मैं बहुत डर गई थी। आज भी आप मुझे उस सड़क पर ले जायेंगे तो मैं रोऊंगी ...।” वहीं, हिंदोचा ने यह भी बताया कि बस स्टॉप पर एक महिला ने उन्हें उठाने में मदद की और उसे प्राथमिक उपचार दिया। उन्होंने बताया कि इस घटना की जानकारी उन्होंने अपने पति और प्रबंधक को दी, जिसके बाद पुलिस को मामले की शिकायत की गई। 10 मई को एक पॉलीक्लिनिक में एक डॉक्टर ने उनकी चोटों की जांच की थी। वहीं, उप लोक अभियोजक (डीपीपी) फू द्वारा यह पूछे जाने पर कि इस घटना ने उन्हें कैसे प्रभावित किया, हिंडोचा ने कहा कि उन्हें डर और दुख दोनों महसूस हो रहा है।
आरोपी का बयान
वहीं, वोंग के वकील ने हिंडोचा को बताया कि उनके मुवक्किल को लगा था कि वह व्यायाम नहीं कर रही हैं और उसके पास अपना मास्क नीचे करने का कोई कारण नहीं है।
उन्होंने कहा कि वोंग ने उनके खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल नहीं किया था और उन्हें सीने में लात भी नहीं मारी थी। इसके अलावा वोंग ने यह भी दावा किया कि हिंडोचा ने उस पर थूका और उसे व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि वह तेज-तर्रार है और उसे अपने काम से काम रखना चाहिए। हिंडोचा ने इन सभी बयानों से असहमति जताई।
यह ट्रायल फरवरी की शुरुआत तक स्थगित होने से पहले गुरुवार और शुक्रवार को जारी रहेगा। बता दें कि किसी को चोट पहुंचाने का दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल या 5,000 एसजीडी तक का जुर्माना हो सकता है। हालांकि, ऐसे मामलों में जहां अपराध नस्लीय या धार्मिक रूप से है, अदालत उस व्यक्ति को 1.5 गुना दंड की सजा दे सकती है जिसके लिए वह अन्यथा उत्तरदायी होता है। वहीं जानबूझकर किसी व्यक्ति की धार्मिक या नस्लीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने का दोषी पाए जाने पर उन्हें तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
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