भारत-तालिबान की बातचीत से PAK की उड़ी नींद! MEA के अधिकारियों ने क्यों चुना ये समय?
दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी और तालिबान शासित अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की मुलाकात हुई। यह बैठक अफगानिस्तान पर हाल ही में किए गए पाकिस्तानी हवाई हमलों की भारत द्वारा कड़ी निंदा करने के दो दिन बाद हुई है। इस हमले में कई महिलाओं और बच्चों सहित 46 लोगों की मौत हो गई थी।

आइएएनएस, इस्लामाबाद। हाल ही में दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी और तालिबान शासित अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की मुलाकात से पाकिस्तान के सियासी हलकों में खलबली तेज हो गई है। इतना ही नहीं, भारत-तालिबान वार्ता ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की भी नींद उड़ा दी है।
अब वहां अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान की रणनीति की समीक्षा करने की मांग उठने लगी है। बुधवार को विक्रम मिसरी और आमिर खान मुत्ताकी ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ 'क्षेत्रीय घटनाक्रम' से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
पाकिस्तानी हवाई हमले में महिलाओं-बच्चों की हुई थी मौत
यह बैठक अफगानिस्तान पर हाल ही में किए गए पाकिस्तानी हवाई हमलों की भारत द्वारा कड़ी निंदा करने के दो दिन बाद हुई है। इस हमले में कई महिलाओं और बच्चों सहित 46 लोगों की मौत हो गई थी। अफगान पक्ष द्वारा भारत को 'महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक साझेदार' बताए जाने के बाद पाकिस्तान में अफगान रणनीति की गहन समीक्षा की मांग उठ गई है।
आखिर क्यों बढ़ रही पाकिस्तान की बेचैनी?
कई शीर्ष विश्लेषकों ने सुझाव दिया है कि इस्लामाबाद को काबुल के प्रति अपने आक्रामक रुख का तत्काल पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि इस्लामाबाद में बंद कमरे में बैठकें हो रही हैं, जिसमें शीर्ष अधिकारी अपने बेहद अस्थिर पड़ोसी के प्रति देश के भावी दृष्टिकोण पर गहन विचार-विमर्श कर रहे हैं।
ऐसे समय में जब पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हालात बिगड़ते जा रहे हैं और दोनों देशों के बीच अविश्वास भी लगातार बढ़ता जा रहा है, साथ ही तालिबान नेता सहयोग के लिए अन्य देशों विशेषकर भारत से संपर्क कर रहे हैं तो पाकिस्तान के लिए चुनौतियां बढ़ना स्वाभाविक है।
द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पास करने के लिए अभी बहुत कुछ है।
रणनीतिक विश्लेषक आमिर राणा ने कहा कि पाकिस्तान के लिए यह एक चेतावनी होनी चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता पर तालिबान के कब्जे से पहले भारत, अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण किरदार था। भारत ने पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए अफगानिस्तान में लगभग तीन अरब डॉलर का निवेश किया था।
बहरहाल, राणा ने कहा, ''भले ही भारतीय तालिबान के साथ सतर्कता से काम कर रहे हों, लेकिन चीजें वास्तव में आगे बढ़ रही हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान, अफगानिस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रहा है और हमारे द्विपक्षीय संबंधों में भारी गिरावट आई है।''
अफगानिस्तान 2024 में हमारा चौथा सबसे बड़ा खरीदार रहा: रूस
रूस ने कहा है कि 2024 में अफगानिस्तान आटे का उसका सबसे बड़ा खरीदार था। रूस द्वारा अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने के प्रयासों के परिणामस्वरूप आयात में वृद्धि दर्ज की गई है।
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