'अफगानिस्तान नहीं बनेगा भारत के लिए खतरा', पाकिस्तान से युद्ध के बीच तालिबान ने दिया भरोसा
भारत अफगानी नागरिकों को अनाज व दवाओं की नई खेप भेज सकता है। यह फैसला दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिसरी और तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमीर खान मुतक्की से मुलाकात के बाद किया गया है। मुतक्की ने आश्वस्त किया है कि उनकी सरकार भारत की सुरक्षा चिंताओं को लेकर संवेदनशील हैं। हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते खराब हुए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत निकट भविष्य में अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में फिर से मदद करने पर विचार कर सकता है। दो दिन पहले भारत ने पाकिस्तान की तरफ से अफगानिस्तान पर हुए हमले की कड़ी निंदा की थी।
अब विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमीर खान मुतक्की से मुलाकात की है। यह मुलाकात दुबई में हुई। अगस्त, 2021 में तालिबान की सत्ता पर काबिज होने के बाद भारतीय विदेश सचिव की वहां के विदेश मंत्री से यह पहली मुलाकात है।
नये सिरे से होगी शुरुआत
मुतक्की ने आश्वस्त किया है कि उनकी सरकार भारत की सुरक्षा चिंताओं को लेकर संवेदनशील हैं। बैठक में द्विपक्षीय मुद्दों पर बात हुई। इस बात के साफ संकेत है कि तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान में जिन भारतीय परियोजनाओं पर काम बंद हो गया था, अब उन पर नए सिरे से काम शुरू हो सकता है।
Foreign Secy @VikramMisri met Acting Foreign Minister of Afghanistan Mawlawi Amir Khan Muttaqi in Dubai today.
Both sides discussed 🇮🇳's ongoing humanitarian assistance to Afghanistan, bilateral issues and security situation in the region. India reiterated its commitment to… pic.twitter.com/a3UyuIqkAG
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) January 8, 2025
भारत अफगानी नागरिकों को अनाज, दवाओं की नई खेप भी भेज सकता है। पाकिस्तान से वापस आने वाले शरणार्थियों को अफगानिस्तान में बसाने में भी मदद करेगा। मिसरी और मुतक्की की यह बैठक तब हुई है, जब पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के रिश्ते बेहद खराब हो चुके हैं।
पाकिस्तान से बिगड़े हैं रिश्ते
- दोनों देशों में युद्ध की स्थिति है। पाकिस्तान ने अफगान के कुछ इलाकों पर यह कहते हुए हमला किया है कि वहां आतंकियों के ठिकाने हैं। इसमें कई महिलाओं और बच्चों के मारे जाने की सूचना आई है। इसके बाद अफगान सरकार ने भी पाकिस्तान के कुछ सीमावर्ती इलाकों पर हमला किया है।
- साथ ही यह भी याद रखना चाहिए कि बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद पाकिस्तान जिस तरह से वहां अपनी गतिविधियों को बढ़ाने में जुटा है, ऐसे में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ भारत की नजदीकियों के बढ़ने के दूरगामी असर हो सकते हैं।
भारत के पक्ष में हैं हालात
जब अगस्त, 2021 में तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया था, तब पाकिस्तान में खुशियां मनाई गई थीं और भारत के कूटनीतिक कैंप में निराशा का माहौल था। अब बाजी पलटती हुई नजर आ रही है।
(फोटो: @MEAIndia)
बैठक में अफगानी पक्ष ने भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखाई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि विदेश सचिव और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की इस बैठक में द्विपक्षीय व आपसी रिश्तों से जुड़े सभी मुद्दों पर बात हुई है।
चाहबार पोर्ट पर भी हुई बात
भारत की तरफ से दी जाने वाली मानवीय मदद और विकास परियोजनाओं की स्थिति पर बात हुई है। आपसी कारोबार बढ़ाने पर सहमति बनी है। इसके लिए चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल पर बात हुई है। भारत अफगानिस्तान को हेल्थ सेक्टर में मदद देने और बाहर से आने वाले शरणार्थियों को बसान में मदद करेगा।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अफगानिस्तान के आग्रह पर भारत शरणार्थियों के पुर्नवास में मदद करेगा। क्रिकेट को बढ़ावा देने में भी मदद की जाएगी ताकि अफगानी युवाओं में इस खेल के प्रति लोकप्रियता बढ़े। आगे भी दोनों देशों में संपर्क बनाकर रखने की सहमति बनी है।
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