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    काम नहीं आया ट्रंप का दवाब, भारत पर अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाएगा ईयू, कहा- सहयोग बढ़ाना हमारी प्राथमिकता

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    रूस से कच्चे तेल की खरीद पर अमेरिकी दबाव के बावजूद यूरोपीय संघ (ईयू) भारत पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाएगा। ईयू का लक्ष्य भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को प्राथमिकता देना है न कि द्विपक्षीय संबंधों को खराब करना। ईयू ने भारत को रणनीतिक साझेदार माना है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ उसकी रणनीति में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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    भारत पर अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाएगा ईयू, कहा- सहयोग बढ़ाना हमारी प्राथमिकता (फाइल)

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अमेरिका ने बढ़ते दबाव के बावजूद यूरोपीय संघ (ईयू) भारत पर कोई अतिरिक्त शुल्क लगाने का कदम नहीं उठाएगा। पिछले हफ्ते (10-14 सितंबर) यूरोपीय संघ की राजनीतिक व सुरक्षा समिति के साथ भारतीय पक्ष की तरफ से इस मुद्दे को उठाया गया।

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    इन अधिकारियों ने भारत को बताया कि उनके लिए भारत-ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लागू करना प्राथमिकता है ना कि नई शुल्क व्यवस्था से द्विपक्षीय संबंधों को खराब करना। वैसे भारत व ईयू के इस बैठक के दौरान ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने जी-7 सदस्यों, खासकर यूरोपीय देशों से अपील की है कि वे रूस से तेल आयात करने वाले देशों (जैसे भारत और चीन) पर भारी टैरिफ लगाएं।

    भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाना नहीं लगाएगा ईयू!

    बहरहाल, भारत यह मान कर चल रहा है कि यूरोपीय संघ की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की तरफ से यूरोपीय देशों पर रूस से तेल आयात करने वाले देशों पर ज्यादा टैक्स लगाने का दबाव दो-तीन महीनों से बनाया जा रहा है। अभी तक किसी भी यूरोपीय देश ने ऐसा संकेत नहीं दिया है कि वह ऐसा करने जा रहे हैं।

    अगर भारत की बात करें तो ईयू ने पिछले हफ्ते पहली बार किसी एशियाई देश के लिए अपने 27 देशों के राजदूतों को एक साथ नई दिल्ली भेजा है। यही नहीं इसी हफ्ते भारत के साथ दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों पर एक महत्वपूर्ण दृष्टि-पत्र ईयू जारी करने जा रहा है, जो आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का संकेत देता है। इसके अलावा भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, जिससे अमेरिकी दबाव के बावजूद संबंधों में स्थिरता की उम्मीद है।

    60-65 फीसद मुद्दों पर बनी सहमति

    पिछले शुक्रवार को हुई इस वार्ता के दौर में एफटीए के तहत शामिल कुल मुद्दों में से 60-65 फीसद पर सहमति बन चुकी है। दोनों देश वर्ष 2025 में ही एफटीए करने को लेकर प्रतिबद्ध है। यही नहीं भारत-ईयू वार्ता में भी ईयू के प्रतिनिधियों ने यह संकेत दिया है कि भारत को लेकर उनकी स्वतंत्र नीति है जो किसी देश से प्रभावित नहीं है। ईयू भारत को रणनीतिक साझेदार मानता है और अमेरिकी दबाव को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर सकता।

    भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ ईयू की रणनीति का हिस्सा है। इस पूरे प्रकरण के बीच ईयू का भारत के साथ संबंधों पर दृष्टि-पत्र एक सकारात्मक कदम है। 17 सितंबर को जारी होने वाले इस दस्तावेज में भारत-ईयू संबंधों को 2025-2030 के लिए मजबूत करने की रूपरेखा होगी। इस दृष्टि-पत्र में आर्थिक स्थिरता, स्पलाई चेन क्षेत्र में सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर फोकस करेगा।

    इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत की भूमिका अहम

    माना जा रहा है कि यह इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत की भूमिका को और मजबूत बनाने पर ध्यान देगा। इसके अलावा आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग बढ़ाने के लिए भारत-रूस संबंधों को बाधा नहीं माना जाएगा।

    जानकारों ने बताया कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, हरित ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और एआई पर साझेदारी को लेकर भी भारत व ईयू के बीच लंबी बातचीत का असर दृष्टिपत्र में दिखेगा। जिस तरह से हाल ही में सप्लाई चेन के लिए भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया सहयोग पर बात शुरू हुई है उसी मॉडल पर भारत व ईयू के बीच भी सहयोग स्थापित किया जाएगा। इसमें तीसरे पक्ष को शामिल किया जाएगा।

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