जलवायु शिखर सम्मेलन: भारत ने निर्णयों पर जताई संतुष्टि, ब्राजील का किया सशक्त समर्थन
भारत ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-30) में ब्राजील के नेतृत्व का समर्थन किया और कई निर्णयों का स्वागत किया, हालाँकि जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए कोई विशेष नीति नहीं बन पाई। गरीब देशों को वित्तीय सहायता के वादे के साथ कॉप-30 ब्राजील में समाप्त हुआ। समझौते में विकासशील देशों के लिए 2035 तक क्लाइमेट फंडिंग तीन गुना करने की बात है, लेकिन जीवाश्म ईंधन को समाप्त करने पर सहमति नहीं बनी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भूपेंद्र यादव ने किया। भारत ने 'ग्लोबल गोल ऑन एडाप्टेशन' की प्रगति का स्वागत किया और जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

जलवायु शिखर सम्मेलन भारत ने निर्णयों पर जताई संतुष्टि (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (काप-30) जलवायु शिखर सम्मेलन में अध्यक्षता के दौरान समावेशी नेतृत्व के लिए ब्राजील को भारत ने रविवार को सशक्त समर्थन दिया और जलवायु शिखर सम्मेलन में अपनाए गए कई निर्णयों का स्वागत किया।
हालांकि नई दिल्ली ने कई निर्णयों पर संतोष जताया, लेकिन जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को रोकने के उद्देश्य से किसी नीति को तैयार करने में काप-30 में विशिष्ट सफलता नहीं मिली। जलवायु परिवर्तन से प्रभावित गरीब देशों को मौसम की मार से निपटने के लिए और अधिक वित्तीय सहायता के वादे के साथ ब्राजील के बेलम में काप-30 का शनिवार को समापन हुआ।
क्या हुआ समझौता?
समझौते के तहत 2035 तक विकासशील देशों के लिए क्लाइमेट फंडिंग तीन गुना हो जाएगी। इस सम्मेलन में जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की रूपरेखा तय करने पर सहमति नहीं बन सकी। जलवायु शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया।
भारत ने सीओपी अध्यक्ष आंद्रे कोर्रिया दो लागो के नेतृत्व के प्रति आभार जताया।पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा, ग्लोबल गोल आन एडाप्टेशन' (जीजीए) के तहत हुई प्रगति का स्वागत करते हुए भारत ने इस निर्णय के न्याय और समानता के पहलू पर जोर दिया और कहा कि यह विकासशील देशों में अनुकूलन की बेहद जरूरी आवश्यकता की पहचान को दर्शाता है।
बयान में कहा गया कि भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना के साथ पूरी उम्मीद करता है कि 33 साल पहले रियो में किए गए वादे अब बेलम में उठाए गए कदमों के कारण पूरे होंगे।भारत ने काप-30 की प्रमुख उपलब्धियों, विशेष रूप से न्यायसंगत परिवर्तन तंत्र की स्थापना पर संतोष जताया।
भारत ने जताया आभार
बयान में इसे मील का पत्थर बताया गया और उम्मीद जताई गई कि यह वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर समानता और जलवायु न्याय को क्रियान्वित करने में मदद करेगा। भारत ने सीओपी30 अध्यक्ष आंद्रे कोर्रिया का भी आभार जताया। भारत ने अपनी जलवायु कार्रवाई की ²ष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले उपायों का बोझ उन पर नहीं डाला जाना चाहिए, जो इस समस्या के लिए कम जिम्मेदार हैं।
'ग्लोबल साउथ' को वैश्विक समर्थन की आवश्यकता है ताकि वे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से खुद को बचा सकें। 'ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित या गरीब के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में हैं।
भारत ने वैज्ञानिक और न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई। ब्राजील के बेलम में 10 नवंबर से शुरू हुआ यह सम्मेलन शुक्रवार को समाप्त होने वाला था लेकिन वार्ताकार इस समय सीमा के बाद भी सहमति बनाने के प्रयास में लगे थे। इससे यह सम्मेलन शनिवार तक ¨खच गया। इस सम्मेलन में 194 देशों के वार्ताकार जुटे थे।
भू-राजनीति ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को गंभीर रूप से किया प्रभावित- स्टील
इस बीच संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने कहा कि अस्वीकृति, विभाजन और भू-राजनीति ने इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय सहयोग को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया शायद जलवायु युद्ध में जीत नहीं रही है, लेकिन दृढ़ संकल्प के साथ लड़ाई जारी रखे हुए हैं।
काप 30 शिखर सम्मेलन ने सहयोग को प्रदर्शित किया है। 194 देशों ने जलवायु सहयोग के समर्थन में एकजुटता दिखाई। अरबों लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन 194 देशों ने एक आवाज में कहा है कि पेरिस समझौता काम कर रहा है और इसे आगे और तेजी से बढ़ाने का संकल्प लिया है।
अमेरिका का नाम लिए बिना स्टील ने कहा कि इस साल एक देश के पीछे हटने पर बहुत ध्यान दिया गया है। इस वर्ष जनवरी में अमेरिका ने ऐतिहासिक पेरिस समझौते से बाहर निकलने की घोषणा की। 2015 का पेरिस समझौते में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य है ताकि वैश्विक तापमान वृद्धि डिग्री सेल्सियस से नीचे रहे।

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