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    ट्रंप के टैरिफ के बीच जर्मनी से आई भारत के लिए खुशखबरी, दोनों देश मिलकर करेंगे कारोबार

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों की बैठक में द्विपक्षीय आर्थिक हितों पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने 50 अरब यूरो के व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा। एस जयशंकर ने यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर जर्मनी के समर्थन की बात कही। जर्मनी ने वैश्विक व्यवस्था में भारत को महत्वपूर्ण भागीदार बताया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया।

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    ट्रंप के टैरिफ के बीच जर्मनी से आई भारत के लिए खुशखबरी (X-@DrSJaishankar)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप की शुल्क नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर जिस तरह से अनिश्चितता पैदा कर दी है, उसे देखते हुए भारत ने अपने आर्थिक हितों को चाक-चौबंद करने की कोशिशें काफी तेज कर दी हैं। इसका एक उदाहरण बुधवार को भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में देखने को मिला। बैठक के दौरान द्विपक्षीय आर्थिक हितों को लेकर सबसे प्रमुखता से बात हुई।

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    विदेश मंत्री एस जयशंकर और जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वाडेफुल के बीच द्विपक्षीय कारोबार (50 अरब यूरो) को दोगुना करने पर सहमति बनी। जयशंकर ने यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता में तेजी लाने के लिए जर्मनी के समर्थन पर जोर दिया।

    जयशंकर ने वाडेफुल से कहा कि अगर जर्मनी की कंपनियां भारत आने में या यहां काम करने में किसी तरह की समस्या महसूस कर रही हैं तो हमें बताइए। हम उन पर विशेष तौर पर ध्यान देंगे।

    भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक

    एशिया में भारत की भूमिका के बारे में जर्मनी के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए वाडेफुल ने कहा कि उनका देश वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में नई दिल्ली को एक महत्वपूर्ण भागीदार मानता है। भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। दोनों देशों ने एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे।

    दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर हुई बात

    बैठक में यूक्रेन-रूस युद्ध, रूस से तेल खरीदने की भारत की नीति, रूस पर यूरोप की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध समेत हिंद प्रशांत क्षेत्र और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के अन्य क्षेत्रों पर भी बातचीत हुई है। वाडेफुल ने कहा कि भारत हिद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार है और दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और इस सदी में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने वाला एक निर्णायक देश बताया।

    दोनों देशों में 7 मुद्दों पर हुई बात

    वाडेफुल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया है। जयशंकर ने बाद में साझा प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि दोनों देशों ने प्रमुख तौर पर सात मुद्दों पर बात की है। इसमें सैन्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी शामिल है। पहले जर्मनी की तरफ से भारत को सैन्य साजो-सामान के निर्यात को लेकर कई तरह की बंदिशें थीं, जिन्हें हटा दिया गया है। जयशंकर ने बताया कि रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों की कंपनियों के बीच सहयोग को लेकर भी बात हुई है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा भी किया। इस दौरे से दोनों देशों के बीच तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

    जयशंकर ने भारतीय मूल की बच्ची का मुद्दा उठाया

    जयशंकर ने वाडेफुल के सामने भारतीय मूल की बच्ची अरिहा शाह का मुद्दा भी उठाया। कहा कि यह बहुत जरूरी है कि इस बच्ची के सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वह भारतीय संस्कृति में पले-बढ़े। इस मुद्दे को बगैर किसी देरी के सुलझाया जाना चाहिए। अरिहा शाह चार साल की भारतीय बच्ची है। उसे अपने माता-पिता धारा और भावेश शाह से अलग कर दिया गया है और फोस्टर केयर में रखा गया है। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि दादी से बच्ची को चोट लग गई थी। जर्मन अधिकारियों ने इसे दु‌र्व्यवहार का मामला मानते हुए उसे अपने संरक्षण में ले लिया था।

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