Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अमेरिका नहीं, इन देशों में बिकेंगे भारतीय प्रोडक्ट्स... देखते रह गए ट्रंप, भारत ने निकाल लिया टैरिफ का तोड़

    अमेरिका के विकल्प के तौर पर भारत कई बाजारों को तैयार करने में जुटा है। ब्रिटेन के बाद अब यूरोपीय यूनियन के साथ व्यापार समझौता होने की संभावना है। भारत और ईयू के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है और सितंबर में इसकी घोषणा हो सकती है।

    By rajeev kumar Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Wed, 27 Aug 2025 11:30 PM (IST)
    Hero Image
    यूरोप के तमाम देशों में भारतीय वस्तुओं का निर्यात बिना शुल्क के हो सकेगा (फोटो: रॉयटर्स)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। टैरिफ को लेकर जारी उथल-पुथल के बीच अमेरिका के विकल्प के रूप में भारत कई बाजार तेजी से तैयार करने की कोशिश कर रहा है। ब्रिटेन के बाद अब अगले महीने यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ व्यापार समझौता हो सकता है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक भारत और ईयू के बीच व्यापार समझौते को लेकर वार्ता लगभग पूरी हो चुकी है और सितंबर में राजनीतिक स्तर पर बातचीत के बाद इसकी घोषणा की जा सकती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं इस साल एक अक्टूबर से यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) देशों के साथ हो चुके व्यापार समझौते पर अमल शुरू हो जाएगा जिससे यूरोप के चार देश स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड और लिसटेंस्टिन में भारतीय वस्तुएं बिना शुल्क के या काफी कम शुल्क पर निर्यात हो सकेंगी। ब्रिटेन से भी भारत का व्यापार समझौता हो चुका है और अगले कुछ महीनों में यह समझौता भी अमल में आ जाएगा। इस प्रकार यूरोप के तमाम देशों में भारतीय वस्तुओं का निर्यात बिना शुल्क के हो सकेगा।

    ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते को विस्तार

    ब्रिटेन के साथ ईयू में शामिल फ्रांस, जर्मनी, इटली विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हैं जहां भारतीय निर्यात को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ हो चुके व्यापार समझौते को भी विस्तार दिया जा रहा है। न्यूजीलैंड से भी भारत व्यापार समझौता कर रहा है। ओमान से भी अगले महीने व्यापार समझौता हो जाएगा। ऐसे में अमेरिका के बाजार में प्रभावित होने वाले निर्यात की भरपाई आराम से हो सकती है। लेकिन इन व्यापार समझौतों को लागू होने में अभी कुछ माह लगेंगे।

    भारतीय निर्यात पर अमेरिका के बाजार में 50 प्रतिशत का शुल्क के जारी रहने पर भारत में विदेशी निवेश का माहौल प्रभावित हो सकता है। अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है और पिछले कुछ सालों से अमेरिका के बाजार में भारत के निर्यात में हो रही लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए अमेरिकी कंपनियों के साथ कई अन्य देशों की कंपनियों ने भारत में निवेश करना शुरू कर दिया था या फिर करने की तैयारी में थी।

    अमेरिका में भारतीय सामानों को मिल रही थी प्राथमिकता

    विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार के साथ दुनिया के अन्य बाजार को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करती है। जानकारों का कहना है कि ताइवान की कई जूता कंपनियां और अमेरिका की खिलौना कंपनियां भारत में निवेश की तैयारी में थी क्योंकि पिछले कुछ सालों से अमेरिका के खरीदार चीन की जगह भारतीय वस्तुओं को खरीदना पसंद कर रहे थे। पिछले तीन सालों में अमेरिका के बाजार में भारत का निर्यात दहाई अंक में बढ़ा है जबकि चीन का निर्यात घटा है। इसे देखते हुए विदेशी कंपनियां भारत में मैन्यूफैक्चरिंग कर अमेरिका व अन्य देशों को निर्यात करना चाह रही थी।

    अब 50 प्रतिशत के शुल्क के बाद फिलहाल निवेश के माहौल को धक्का लग सकता है और इस प्रकार के नए निवेश होल्ड पर जा सकते हैं क्योंकि अमेरिका के बाजार में भारत की वस्तुएं चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया के मुकाबले अधिक महंगी हो जाएंगी। दूसरी तरफ भारत को विदेशी निवेश को बढ़ाना है। सूत्रों के मुताबिक इसलिए चीन के निवेश प्रस्ताव पर सरकार नरम रुख रखते हुए उन्हें मंजूरी देने पर विचार कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस माह के अंत में चीन जा रहे हैं जहां दोनों देशों के बीच व्यापार को आगे बढ़ाने की दिशा में बातचीत हो सकती है।

    यह भी पढ़ें- अमेरिकी टैरिफ की काट के लिए भारत का 'ट्रंप कार्ड', सरकार ने बना ली योजना; जानें क्या है पूरा प्लान