भारत के लिए खतरे की घंटी... बांग्लादेश से तेज हुई आतंक की आहट, पाकिस्तान के साथ मिलकर रच रहा ये साजिश
बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हरकत-उल-जिहादी-इस्लामी (हूजी) फिर से सक्रिय हो गया है। भारतीय सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार मित्रवत शासन के कारण हूजी भारत से लगती सीमा पर माड्यूल स्थापित कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी और आईएसआई हूजी जैसे संगठनों का समर्थन कर रहे हैं जिससे पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में खतरा बढ़ गया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में हरकत-उल-जिहादी-इस्लामी (हूजी) अपनी आतंकी गतिविधियों को बहुत तेजी से पुनर्जीवित कर रहा है। भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को पता चला है कि देश में 'मित्रवत शासन' के कारण हूजी ने अपनी नापाक हरकतों को फिर से शुरू कर दिया है और अब वह भारत से लगती लंबी सीमा पर अपने माड्यूल स्थापित करने की फिराक में जुटा है।
अत्यधिक कट्टरपंथी और खतरनाक माना जाने वाला संगठन जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की सीधी मदद से हूजी जैसे आतंकी संगठनों के उदय में मदद कर रहा है जो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब बन रहा है।
पश्चिम बंगाल व पूर्वोत्तर राज्यों को निशाना बनाने का मकसद हूजी का बांग्लादेश में सक्रिय आधार है। शेख हसीना के शासनकाल में इस संगठन पर काफी हद तक नियंत्रण रखा गया था। यह मूल रूप से पाकिस्तान में स्थापित हुआ था और इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर पर ध्यान केंद्रित करना था।
बांग्लादेश में फिर पनपने लगा हूजी
इसका उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम करना और केंद्र शासित प्रदेश में हमले करना था। हालांकि, जैश-ए-मोहम्मद द्वारा कश्मीर में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश के चलते आइएसआइ ने धीरे-धीरे हूजी की गतिविधियों को बांग्लादेश की ओर मोड़ दिया। इसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को निशाना बनाना रहा है।
हसीना सरकार में हूजी पर किया था नियंत्रण
समझौते के बाद आइएसआइ के लिए बांग्लादेश तक पहुंच हो गई आसान हालांकि, हूजी पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में पहले भी कई माड्यूल स्थापित करने में कामयाब रहा था। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय एजेंसियों द्वारा कड़ी सुरक्षा और कड़ी निगरानी के कारण यह शांत हो गया था।
हसीना शासन द्वारा इस संगठन पर नियंत्रण बनाए रखना भी इसकी कार्रवाई में कमी का एक कारण था। जमात-ए-इस्लामी समर्थित मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का कार्यवाहक बनाए जाने के बाद हूजी सहित कई कट्टरपंथी संगठन बेहद सक्रिय हो गए हैं।
यूनुस के सत्ता में आते ही फिर एक्टिव हुआ हूजी
यूनुस द्वारा पाकिस्तान के साथ समझौते करने के बाद आइएसआइ के लिए बांग्लादेश तक पहुंच भी बेहद आसान हो गई। पिछले तीन महीने में आइएसआइ व हूजी नेताओं के बीच हुई छह बैठकें खुफिया अधिकारियों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में आइएसआइ और हूजी नेताओं के बीच कम से कम छह बैठकें हुई हैं। इन सभी बैठकों का उद्देश्य इस संगठन की गतिविधियों को पुनर्जीवित करना और भारतीय सीमा के पास और अधिक माड्यूल स्थापित करना था।
भारत के खिलाफ हमले करने में मदद
जमात ने हूजी को अपने माड्यूल स्थापित करने के लिए सुरक्षा की गारंटी भी दी थी। इस प्रक्रिया में हूजी के लिए हथियारों, गोला-बारूद और धन की निर्बाध उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है। आतंकी गतिविधियों के लिए पिंटू का इस्तेमाल कर सकती है आइएसआइ हूजी के हौसलों को नई उड़ान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) नेता अब्दुस सलाम पिंटू की रिहाई से भी मिली।
उस पर गुलाम कश्मीर से सक्रिय रहते हुए आतंकवादियों को धन मुहैया कराने का आरोप था। उसने हूजी को भारत के खिलाफ हमले करने में मदद करने में अहम भूमिका निभाई थी।
अब्दुस सलाम पिंटू ने शेख हसीना पर किया था हमला
2004 में शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की कोशिश के लिए उसे 2008 में मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, 17 साल जेल में रहने के बाद उसे दिसंबर, 2024 में रिहा कर दिया गया। उसने हूजी के लिए हथियारों की खरीद, भर्ती और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह हूजी से संबंधित मदरसों के छात्रों को हथियार चलाने और विस्फोटकों का प्रशिक्षण देने में भी मदद करता था।
भारतीय सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि उसके एक बार फिर हूजी के साथ पूरी तरह से जुड़ जाने की आशंका है। वह इस आतंकी संगठन को अच्छी तरह जानता है और आइएसआइ उसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कर सकती है।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)
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