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    कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के हवाईअड्डों को 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 08 May 2020 03:07 PM (IST)

    कोरोना वायरस ने विमानों के पहियों पर जो ब्रेक लगाया है उसकी बदौलत पूरी दुनिया के विमानन क्षेत्र को 7 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

    कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के हवाईअड्डों को 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान

    नई दिल्‍ली। कोराना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में लॉकडाउन है। इसने हवाई जहाज के पहियों पर ब्रेक लगा दिया है। आलम ये है कि जनवरी फरवरी तक दुनियाभर में जहां हजारों उड़ाने हर रोज होती थीं वहां अब इक्‍का-दुक्‍का ही हवाई जहाज उड़ान भर रहे हैं। इनमें भी ज्‍यादातर में केवल दवा और दूसरे इक्‍यूपमेंट्स को इधर से उधर भेजने का काम किया जा रहा है। कोरोना वायरस की बदौलत दुनियाभर में कई विमानन कंपनियों के डूबने की नौबत आई गई है। एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) ने आशंका जाहिर की है कि इसकी बदौलत दुनियाभर के एयरपोर्ट को करीब 7.3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) दुनिया भर की सरकारों से करों में छूट देने की मांग कर डाली है।

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    एसीआई के मुताबिक एशिया प्रशांत और मध्य पूर्व देशों के हवाई अड्डों को कोरोना की वजह से अधिक नुकसान होगा। इन दोनों क्षेत्रों को मिलाकर ये नुकसान का आंकड़ा करीब 36.4 अरब डॉलर तक हो सकता है। इसके मुताबिक एशिया प्रशांत को 59 फीसदी राजस्व का और मध्य पूर्व के हवाई अड्डों को 53 फीसदी कमाई का नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं आईएटीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 के शुरुआती छमाही में दुनियाभर के एयरपोर्ट को यात्रियों से होने वाली कमाई का नुकसान करीब 3.2 लाख करोड़ रुपए तक हो सकता है। वहीं भारत को इसकी वजह से करीब 24 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई गई है।

    यदि यही स्थिति साल भर रहती है तो ये 39 अरब डॉलर से बढ़कर 97 अरब डॉलर तक या दस लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। एक अन्‍य रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से वर्ष 2020 में दुनियाभर की विमानन कंपनियों को करीब 15 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हो सकता है।

    आपको बता दें कि पिछले दिनों एयर फ्रांस इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा था कि यदि उन्‍हें तुरंत आर्थिक मदद नहीं दी गई तो कंपनी बंद हो जाएगी। इसके बाद यूरोपीय संघ ने एयर फ्रांस को करीब 50 हजार करोड़ रुपये की मदद की थी। वर्जिन एयरलाइन ने ब्रिटिश सरकार से 50 हजार करोड़ रुपये की मदद मांगी है। अमेरिकी एयरलाइंस कंपनियों ने भी सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कंपनियों को मदद का भरोसा दिया है।

    आपको बता दें कि पूरी दुनिया में लॉकडाउन या कोरोना संकट से पहले हर रोज करीब डेढ़ लाख विमान उड़ान भरते थे। फेडरल एविएशन एडमिनिस्‍ट्रेन के मुताबिक अमेरिका में ही वह हर रोज 44 हजार से अधिक विमानों के अलावा करीब 30 लाख यात्रियों को भी अपनी सेवा देते थे।

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