1945 के बाद पहली बार सेना बढ़ा रहा जर्मनी, रूस से निपटने का 'प्लान' तैयार
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरीस पिस्टोरियस सेना को मजबूत करने में लगे हैं। संसद ने 2035 तक सेना में 2,60,000 सैनिक भर्ती करने की योजना को मंजूरी दी है। 1 ...और पढ़ें

जर्मनी का बड़ा फैसला युवाओं को भेजा जाएगा फिटनेस फॉर्म (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जर्मनी में रक्षा मंत्री बोरीस पिस्टोरियस देश की सेना को तेजी से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर रूस लगातार यूरोप के साथ युद्ध की चेतावनी दे रहा है। ऐसे माहौल में पिस्टोरियस चाहते हैं कि जर्मनी न सिर्फ अपनी सुरक्षा बढ़ाए बल्कि यूरोप की रक्षा में भी बड़ी भूमिका निभाए।
शुक्रवार को जर्मन संसद ने उनकी सबसे महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा मंजूर कर दियाएक नया कानून, जिसके तहत 2035 तक सेना का आकार बढ़ाकर 2,60,000 सैनिक किया जाएगा। यह लगभग 50% की बढ़ोतरी होगी।
युवाओं को भेजा जाएगा फिटनेस फॉर्म
नई योजना के मुताबिक, सेना में भर्ती बढ़ाने के लिए सैनिकों को ज्यादा वेतन और ऐसी ट्रेनिंग दी जाएगी जो नागरिक जीवन में भी काम आए।सभी 18 वर्षीय पुरुषों को एक फॉर्म भेजा जाएगा, जिसमें उन्हें अपने स्वास्थ्य और फिटनेस की जानकारी देनी होगी। इससे संभावित भर्ती उम्मीदवारों को पहचानने में आसानी होगी। महिलाएं चाहें तो यह फॉर्म स्वेच्छा से भर सकती हैं।
यह कानून अनिवार्य सैन्य सेवा (ड्राफ्ट) लागू नहीं करता। लेकिन विशेषज्ञों को लगता है कि बिना ड्राफ्ट के जर्मनी रूस के खतरे के लिए तैयार नहीं हो पाएगा। अगर पर्याप्त लोग स्वेच्छा से नहीं आते, तो संसद अनिवार्य भर्ती पर फिर से चर्चा करेगी।
दूसरे विश्व युद्ध की यादों से उपजा डर
जर्मनी में फिर से सेना मजबूत करने को लेकर समाज में गहरी झिझक है। देश का इतिहास खासकर नाजी दौर का सैन्यवाद लोगों के मन में डर पैदा करता है। यही कारण है कि इस कानून को लेकर बड़ी बहस हुई।
फिर भी पिस्टोरियस इसे सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में कई वर्षों का सबसे बड़ा सामाजिक बदलाव मानते हैं। उनका कहना है कि आज की पीढ़ी ने कभी वास्तविक युद्ध का खतरा महसूस नहीं किया, इसलिए उन्हें तैयार करना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि नई सेना कोल्डवॉर के समय जितनी बड़ी नहीं होगी। तब जर्मनी के पास 5 लाख तक सैनिक थे।
पिस्टोरियस कैसे बने देश के सबसे लोकप्रिय नेता?
पिस्टोरियस ने कई ऐसे कदम उठाए जो कुछ साल पहले सोचना भी मुश्किल था जैसे सेना खर्च पर लगे संवैधानिक प्रतिबंध हटवाना, जिससे अरबों यूरो के हथियार खरीदे जा सके। उन्होंने यूरोपीय देशों की सेनाओं को जोड़ने की कोशिश भी तेज की।
उनका सीधे और सरल बोलने का अंदाज, सैनिकों से करीबी जुड़ाव और मौके पर जाकर उनका मनोबल बढ़ाने की शैली उन्हें बेहद लोकप्रिय बनाती है। कई बार वे सैनिकों को अचानक प्रमोशन देकर या तारीफ कर चौंका देते हैंजो पहले नेतृत्व शायद ही करता था।
राजनीतिक विरोध और समर्थन
कुछ नेता, खासकर वामपंथी और दूर-दराज के दल, पिस्टोरियस पर आरोप लगाते हैं कि वे जर्मनी को युद्ध की ओर धकेल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सुरक्षावादी विशेषज्ञ कहते हैं कि पिस्टोरियस अभी भी पर्याप्त तेजी से कदम नहीं उठा रहेक्योंकि नए कानून में अनिवार्य भर्ती शामिल नहीं है। पिस्टोरियस का कहना है कि लोकतांत्रिक बहस जरूरी है, क्योंकि यह समाज को धीरे-धीरे खतरे की हकीकत समझने में मदद करती है।

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