पेरिस के म्यूजियम में घूमने के लिए देनी होगी मोटी फीस, आखिर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने क्यों उठाया ये कदम
इमैनुएल मैक्रों ने एलान किया है गैर-यूरोपीय संघ में से जो भी वहां जाएगा उसे बहुत ज्यादा फीस देनी होगी। मैक्रों का एलान लौवर के राष्ट्रपति लारेंस डेस कार्स की तरफ से पिछले हफ्ते की चेतावनी के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि सदियों पुरानी इमारत बहुत ही खराब स्थिति में है। बता दें कि फिलहाल ये म्यूजियम भीड़भाड़ और पुरानी सुविधाओं से ग्रस्त है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की थी मोनालिसा को लूर म्यूजियम के अंदर अपना एक डेडिकेटेड रूम मिलेगा। उन्होंने कहा था कि म्यूजियम का रिनोवेशन और विस्तार किया जाएगा। लेकिन इसे पूरा होने में कई साल लगेंगे। वहीं अब उन्होंने कहा है, गैर-यूरोपीय संघ में से जो भी वहां जाएगा उसे बहुत ज्यादा फीस देनी होगी। बता दें कि फिलहाल ये म्यूजियम भीड़भाड़ और पुरानी सुविधाओं से ग्रस्त है।
मैक्रों का एलान लौवर के राष्ट्रपति लारेंस डेस कार्स की तरफ से पिछले हफ्ते की चेतावनी के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि सदियों पुरानी इमारत बहुत ही खराब स्थिति में है और पानी के रिसाव, विफल बुनियादी ढांचे और तापमान में उतार-चढ़ाव पर अलार्म उठाया था जो कला के कार्यों के संरक्षण को खतरे में डालता है।
म्यूजियम की स्थिति काफी खराब
लूर की निदेशक लॉरेंस ने इस महीने की शुरुआत में कल्चर मिनिस्टर राचिदा दाती को कई चिंताएं व्यक्त करते हुए एक नोट भेजा था, जिसमें कहा गया था कि म्यूजियम के प्रयोग से बाहर होने का खतरा है। फ्रांसीसी अखबार ले पेरिसियन द्वारा जारी किए गए दस्तावेज के अनुसार, उन्होंने पानी के रिसाव, तापमान में वैरिएशन और अन्य मुद्दों के कारण इमारत के धीरे-धीरे खराब होने के बारे में चेतावनी दी थी, जिससे आर्टवर्क के संरक्षण पर खतरा पैदा हो रहा था।
Le Louvre ne vit qu’en grandissant, en se régénérant. C’est pourquoi nous avons réfléchi ensemble, avec les équipes du musée et la ministre de la Culture, à un projet : Louvre Nouvelle Renaissance.
Pour un Louvre repensé, restauré, agrandi, optimisé.… pic.twitter.com/lsg7l1tja8
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) January 28, 2025
म्यूजियम में शौचालय की कमी का भी हुआ जिक्र
- कल्चर मिनिस्टर राचिदा दाती ने कहा था कि म्यूजियम के एंट्रेंस पर मौजूद पिरामिड, जिसका अनावरण 1989 में किया गया था, अब पुराना लगता है।
- डेस कार्स ने जोर देकर कहा कि यह जगह ठंड और गर्मी से सुरक्षित नहीं है और यहां शोर काफी बढ़ जाता है, जिससे आम लोगों और कर्मचारियों दोनों को असुविधा होती है।
- इसके अलावा, उन्होंने म्यूजियम में भोजन की पेशकश और शौचालय की सुविधाओं की कमी का भी जिक्र किया।
- लूर की अंतिम बार ओवरहॉलिंग 1980 के दशक में हुई थी, जब आइकॉनिक ग्लास पिरामिड का अनावरण किया गया था। लेकिन अब म्यूजियम इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं है।
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