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    '5 Eyes' गठबंधन से ध्वस्त होगा खालिस्तानी उग्रवादियों का दुष्प्रचार नेटवर्क, इन देशों ने मांग की तेज

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    वैश्विक स्तर पर खालिस्तानी उग्रवादियों के धन उगाही और दुष्प्रचार नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए फाइव आइज गठबंधन को मिलकर काम करना चाहिए। कनाडा ने माना है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे संगठन अलगाववाद और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेश नीति पर इसका गंभीर असर हो सकता है।

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    ध्वस्त होगा खालिस्तानी उग्रवादियों का दुष्प्रचार नेटवर्क (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर खालिस्तानी उग्रवादियों के धन उगाही करने और दुष्प्रचार नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए 'फाइव आइज' गठबंधन आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और अमेरिका को कनाडा के साथ मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि यह वैश्विक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है।

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    द आस्ट्रेलिया टुडे में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी उग्रवाद का मुकाबला करने के प्रमुख कदमों में संदिग्ध गैर-लाभकारी गतिविधियों की समन्वित निगरानी, खुफिया जानकारी साझा करना और अलगाववादी लाबी से निर्णायक राजनीतिक दूरी बनाना शामिल है।

    सामूहिक प्रयास का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है आस्ट्रेलिया

    रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी उग्रवाद को लंबे समय से एक 'भारतीय मुद्दा' माना जाता रहा है, लेकिन कनाडा की मान्यता के साथ ही यह स्पष्ट है कि यह मामला वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।

    द आस्ट्रेलिया टुडे के सह-संस्थापक अमित सरवाल ने लिखा, ''यदि 'फाइव आइज' गठबंधन के लोकतांत्रिक देश वास्तव में बहुलवाद की रक्षा और अपने विविध समुदायों की रक्षा में विश्वास करते हैं तो उन्हें मिलकर काम करना होगा। बढ़ते भारतीय प्रवासियों और नई दिल्ली के साथ गहरे होते रणनीतिक संबंधों के मद्देनजर आस्ट्रेलिया इस सामूहिक प्रयास का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कनाडा ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। अब समय आ गया है कि आस्ट्रेलिया सहित कनाडा के सहयोगी भी खालिस्तानी उग्रवाद के खिलाफ ²ढ़ता से खड़े रहें।''

    अलगाववाद, हिंसा को बढ़ावा देने में जुटे हैं खालिस्तानी संगठन

    कनाडा रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा ने पहली बार आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन जैसे प्रतिबंधित संगठन अलगाववाद और ¨हसा को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।

    अमित सरवाल ने लिखा, ''कनाडा ने उस बात को स्वीकार करके एक निर्णायक कदम उठाया है जिसके बारे में भारत लंबे समय से चेतावनी देता रहा है कि उसकी धरती पर खालिस्तानी उग्रवादी संगठनों की मौजूदगी है और वहां से उनकी गतिविधियां संचालित हो रही हैं। 2025 के मनी लां¨ड्रग और आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों के आकलन में इन संगठनों को कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है, जो ओटावा की आतंकवाद-रोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।''

    कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेश नीति पर हो सकता है गंभीर असर

    2025 के आकलन में चेतावनी दी गई है कि हालांकि उनकी गतिविधियां मुख्यत: भारत के विरुद्ध हैं, लेकिन इन गतिविधियों से कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। सरवाल ने जोर देकर कहा कि यह कदम एक व्यापक पैटर्न को दर्शाता है जो कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआइएस) की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट पर आधारित है।

    इसे जून, 2025 में अल्बर्टा में ग्रुप आफ सेवन (जी7) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी के बीच हुई सफल वार्ता के तुरंत बाद संसद में पेश किया गया था। सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने पर भारत लंबे समय से चिंता व्यक्त करता रहा है 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ''कनाडा स्थित खालिस्तानी उग्रवादी कनाडा के हितों और उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।''

    रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली बार कनाडा सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर सक्रिय खालिस्तान समर्थकों को 'उग्रवादी' करार दिया है और यह नई स्वीकृति एक कूटनीतिक सफलता का प्रतीक है। कनाडा द्वारा दशकों से ऐसे तत्वों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने पर भारत लंबे समय से चिंता व्यक्त करता रहा है। कनाडा ने अंतत: स्वतंत्र अभिव्यक्ति और हिंसक उग्रवाद के बीच एक लाल रेखा खींच दी है। अब बाकी देशों को भी इसका पालन करना होगा।

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    (समाचार एजेंसी IANS के इनुपट के साथ)