आतंकवाद के मुद्दे पर यूरोपीय देशों को जयशंकर ने किया आगाह, बोले- भारत पाक तनाव केवल द्विपक्षीय मसला नहीं
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर यूरोपीय देशों को सावधान किया। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान तनाव केवल द्विपक्षीय मामला नहीं बल्कि वैश्विक चिंता का विषय है। जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर कहा कि मतभेदों को युद्ध से नहीं सुलझाया जा सकता। उन्होंने यूरोपीय यूनियन-भारत के बीच मुक्त व्यापार की वकालत की और कहा कि भारत चीन की तुलना में अधिक भरोसेमंद आर्थिक साझेदारी प्रदान करता है।
आईएएनएस, ब्रसेल्स। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर यूरोपीय देशों को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया को समझना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव सिर्फ द्विपक्षीय मसला नहीं है, बल्कि आतंकवाद के बारे में वैश्विक चिंता है। आतंकवाद अभी तो भारत को निशाना बना रहा है, लेकिन इसे नजरअंदाज किया तो यह अंतत: बाकी दुनिया के लिए भी नासूर बनेगा।
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के लगभग एक माह बाद विदेश मंत्री एक सप्ताह की यूरोप यात्रा पर हैं। इस दौरान यूरोपीय मीडिया समूह 'यूरेक्टिव' को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'मैं आपको एक बात याद दिलाना चाहता हूं। ओसामा बिन लादेन नामक एक व्यक्ति था। वह वर्षों तक पाकिस्तानी सैन्य शहर में सुरक्षित क्यों रहता रहा जो वेस्ट प्वाइंट (पाकिस्तानी सैन्य संस्थान) के ठीक बगल में है? मैं चाहता हूं कि दुनिया यह समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है। मुद्दा आतंकवाद का है और यही आतंकवाद अंतत: आपको भी परेशान करेगा।'
रूस-यूक्रेन युद्ध पर दिया बयान
रूस के विरुद्ध प्रतिबंधों में भारत के शामिल नहीं होने और यूक्रेन का समर्थन करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, 'हमें नहीं लगता कि मतभेदों को युद्ध के जरिये सुलझाया जा सकता है। हमें नहीं लगता कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान निकलेगा। यह तय करना हमारा काम नहीं है कि वह समाधान क्या होना चाहिए। मेरा कहना है कि हम निर्देशात्मक या निर्णायक नहीं हैं, लेकिन हम असंबद्ध भी नहीं हैं।'
विदेश मंत्री ने कहा, 'यूक्रेन के साथ भी हमारे मजबूत संबंध हैं, सिर्फ रूस के साथ ही नहीं। लेकिन हर देश स्वाभाविक रूप से अपने अनुभव, इतिहास एवं हितों पर विचार करता है। भारत की सबसे पुरानी शिकायत है- आजादी के कुछ ही महीनों बाद हमारी सीमाओं का अतिक्रमण किया गया था, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में हमलावरों को भेजा था। और कौन से देश सबसे अधिक इसका समर्थन कर रहे थे? पश्चिमी देश। अगर वही देश जो तब टालमटोल करने वाले या मितभाषी थे, अब अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के बारे में बात करने के बारे में कहें तो मुझे लगता है कि मेरा उनसे अपने अतीत पर विचार करने के लिए कहना उचित है।'
मुक्त व्यापार की वकालत की
- नई वैश्विक व्यवस्था में भारत स्वयं को कैसे देखता है, इस पर जयशंकर ने कहा कि यूरोप बहुध्रुवीयता के युग में प्रवेश कर चुका है और अब उसे अपने हित में और अधिक निर्णय लेने की आवश्यकता है, अपनी क्षमताओं का उपयोग करके और वैश्विक स्तर पर अपने द्वारा विकसित संबंधों के आधार पर। मैंने यूरोप में रणनीतिक स्वायत्तता जैसे शब्दों का इस्तेमाल होते सुना है, ये कभी हमारी शब्दावली का हिस्सा थे। यूरोपीय यूनियन स्पष्ट रूप से वैश्विक व्यवस्था में एक प्रमुख ध्रुव है और तेजी से स्वायत्त होता जा रहा है। यही वजह है कि मैं यहां आया हूं, इस बहुध्रुवीय दुनिया में अपने संबंधों को गहरा करने के लिए।
- उन्होंने यूरोपीय यूनियन-भारत के बीच मुक्त व्यापार की भी वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि 1.4 अरब की आबादी वाला भारत चीन की तुलना में कुशल श्रम और अधिक भरोसेमंद आर्थिक साझेदारी प्रदान करता है। यूरोपीय यूनियन के कार्बन बार्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) के सवाल पर जयशंकर ने कहा कि भारत इसका विरोधी नहीं है, लेकिन इसके कुछ हिस्सों पर गहरी आपत्ति है। सीबीएएम, भारत और चीन जैसे देशों से आयातित वस्तुओं के निर्माण के दौरान उत्सर्जित कार्बन पर यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाया जाने वाला कर है।
यूरोपीय यूनियन के कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात
भारत-अमेरिका संबंधों पर जयशंकर ने कहा, 'हमारा उद्देश्य हर उस रिश्ते को आगे बढ़ाना है जो हमारे हितों की पूर्ति करता हो। और अमेरिका के साथ संबंध हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह किसी व्यक्ति एक्स या राष्ट्रपति वाई के बारे में नहीं है।' चीन के साथ संबंधों पर विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने भारत में कई यूरोपीय कंपनियों से बात की है जिन्होंने अपनी श्रृंखलाओं को जोखिम मुक्त करने के लिए खास तौर पर वहां स्थापित होने का विकल्प चुना है।
विदेश मंत्री ने बुधवार को यूरोपीय यूनियन के कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी की और भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने तरीकों पर चर्चा की। इन नेताओं में यूरोपीय संसद की प्रेसीडेंट रोबर्टा मेट्सोला, यूरोपीय व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविक और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए यूरोपीय आयुक्त जोसेफ सिकेला शामिल हैं।
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