बांग्लादेश में हथकड़ी पहने पूर्व मंत्री की मौत, यूनुस सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप
बांग्लादेश के पूर्व उद्योग मंत्री नूरुल मजद महमूद हुमायूं का ढाका मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया। उनकी हथकड़ी लगी तस्वीरें वायरल होने से मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे अमानवीय बताया है। 2024 में तोड़फोड़ के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यूनुस सरकार पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगे हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जेल में बंद बांग्लादेश के पूर्व उद्योग मंत्री नूरुल मजद महमूद हुमायूं का सोमवार सुबह ढाका मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया। नूरुल मजद महमूद हुमायूं के मौत से बांग्लादेश की यूनुस सरकार मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के घेरे में है।
दरअसल, आवामी लीग के नेता नूरुल मजद महमूद हुमायूं का मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। महमूद हुमायूं की मृत्य के बाद उनकी हथकड़ी लगी हुई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। हथकड़ी लगाए जाने को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों में व्यापक आक्रोश और निंदा फैल गई।
हथकड़ी पहनाना अमानवीय
मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान लिटन ने प्रमुख बांग्लादेशी दैनिक, द बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, "किसी मरते हुए या मृत व्यक्ति को हथकड़ी पहनाना अमानवीय और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।"
साल 2024 में हुई थी तोड़फोड़
गौरतलब है कि साल 2024 में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान हत्या और तोड़फोड़ हुई। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बनी। तोड़फोड़ और हत्या के मामले में नूरुल मजद महमूद हुमायूं को ढाका में रैपिड एक्शन बैटालियन (आरएबी) ने हिरासत में लिया था।
इस दौरान ढाका पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच ने आवामी लीग के 13 नेताओं को गिरफ्तार किया। इनमें से अबू बकर सिद्दीकी मुनना की पुलिस हिरासत में पिछले सप्ताह की मौत हो गई। वहीं, अब नूरुल की मौत से मुहम्मद यूनुस सरकार मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के घेरे में है।
हथकड़ी वाली तस्वीरें हुईं वायरल
अस्पताल में नूरुल की इलाज के दौरान हथकड़ी वाली जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं हैं। उसको लेकर जेल अधिकारियों का कहना है कि ये तस्वीरें उनके अस्पताल में भर्ती होने के शुरुआती दौर की हैं। जेल अधिकारियों ने कहा- वे हमेशा हर कैदी के मानवाधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदारी से काम करते हैं। नूरुल के मामले में कोई विवाद नहीं है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने की आलोचना
हालांकि, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस अधिनियम को मानवीय गरिमा का घोर उल्लंघन बताया। मानवाधिकार कार्यकर्ता अबू अहमद फैजुल कबीर ने भी इस घटना की आलोचना करते हुए इसे गंभीर विफलता बताया। उन्होंने कहा, "एक 80 वर्षीय व्यक्ति, जो गंभीर रूप से बीमार है और मृत्यु के कगार पर है - एक स्वतंत्रता सेनानी और देश के पूर्व मंत्री - के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार न केवल मानवीय मूल्यों के विरुद्ध है, बल्कि राज्य की जिम्मेदारी की भी गंभीर विफलता है।"
(समाचार एजेंसी IANS के इनुपट के साथ)
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