साल 2024 में 62 देशों में हुए चुनाव, Left या Right किस विचारधारा की ओर दिखा दुनिया का झुकाव?
Election in 2024 साल 2024 में दुनिया के 62 देशों में चुनाव हुए। कुछ देशों में लेफ्ट विंग यानी वामपंथी सरकारें सत्ता में आईं। कुछ देशों में राइट विंग यानी दक्षिणपंथी विचारधार की सरकारें चुनकर आईं। दरअसल साल 2024 दुनियाभर के कई देशों में चुनावी साल रहा। इन चुनावों ने यह दर्शाया कि दुनिया किस विचारधारा की ओर अब बढ़ रही है। कई देशों में अस्थिरता की चुनौतियां सामने आईं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2024 का अंत हुआ और 2025 का आगाज हुआ। इस दौरान दुनिया के 62 देशों में चुनाव हुए। विश्व की राजनीति पर नजर रखनें वाले विशेषज्ञों और डेटा प्रकाशित करने वाली इंटरनेशनल संस्था वैराइटीज ऑफ डेमोक्रेसी (V-Dem) की रिसर्च के अनुसार दुनिया में लोगों की विचारधारा किस ओर 'शिफ्ट' हो रही है ,इस पर चर्चा हुई। जिन देशों में चुनाव हुए, वहां चुनावों से यह समीकरण निकलकर आया कि दुनिया किस विचारधारा की प्राथमिकताओं के साथ आगे बढ़ रही है।
ज्यादातर देशों ने लेफ्ट विचारधारा की ओर अपना झुकाव रखा। लेकिन राइट विंग या सेंटर राइट विंग को शामिल करें तो दुनिया ने एक सॉफ्ट दक्षिणपंथ की ओर अपना रूख आगे बढ़ाया है। जानिए चुनावों में लेफ्ट और राइट विंग का कैसा गणित रहा।
जिन 62 देशों में चुनाव हुए, उनमें लेफ्ट और राइट विंग किस विचारधारा की ओर मतदाताओं का रूख रहा। यह जानने के साथ ही इस खबर में हम आपको यह भी बताएंगे कि लेफ्ट और राइट विंग क्या होता है। वामपंथ और डेमोक्रेसी की विचारधारा क्या होती है।
लेफ्ट विंग की ओर दिखा ज्यादा झुकाव
ग्लोबल पॉलिटिक्स के जानकार इस बात पर बहस करते दिखे कि विचारधारा का पैराडाइम किस ओर झुकाव रख रहा है। इस बीच एक केस स्टडी में पाया गया कि 2024 और 2025 की शुरुआत में वैश्विक राजनीति का समीकरण बदला है। 62 देशों के चुनाव में आंकड़े देखें तो ज्यादातर देशों में लेफ्ट की ओर झुकाव ज्यादा देखा गया। लेकिन यदि सेंटर-राइट और राइट को मिला दें तो इक्वेशन नरम दक्षिणपंथ की ओर ज्यादा झुक जाता है।
कहां लेफ्ट और कहां आईं राइट विंग की सरकारें?
स्वीडन की गुटनबर्ग विवि की केस स्टेडी में इस रिसर्च का नाम V-Dem रखा गया है। इसके अनुसार 9 देशों में राइट विंग की सरकार आई। 17 देशों में सेंटर-राइट की विचारधारा रखने वाली सरकारें आईं। 9 देशों में सत्ता का संतुलन केंद्र में रहा। 13 देशों में सेंटर-लेफ्ट यानी केंद्र-वामपंथ विचारधारा वाली सरकारें सत्ता में आईं।
साउथ एशिया में श्रीलंका एक अपवाद रहा, इसे छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर देशों में दक्षिणपंथी या सेंटर-राइट पार्टियों को विजयश्री प्राप्त हुई।
इन देशों में दिखी बदलाव और अस्थिरता की चुनौती
- चुनाव के नतीजों के बाद कई देशों में सरकारें सत्ता में आईं, पर खुद को कायम नहीं रख पाईं। इनमें इनमें सीरिया के प्रेसिडेंट अपनी जीत के पांच महीने बाद देश छोड़कर भाग गए।
- बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना लगातार पांचवीं बार चुनावी जीतीं, लेकिन सात महीने बाद ही देश छोड़ना पड़ा।
- यूरोपीय देश फ्रांस में चुनाव के बाद बनी सरकार 3 महीने के बाद ही गिर गई।
- इन घटनाओं ने बताया कि कई बार चुनाव होने और सरकार बनने के बाद भी राजनीतिक स्थिरता बनी रहे, इस बात की गारंटी नहीं होती।
जानिए क्या होता है लेफ्ट और राइट विंग?
- लेफ्ट यानी वामपंथ आर राइट यानी दक्षिणपंथी विचारधारा। लेफ्ट और राइट विंग की विचारधारा की शुरुआत फ्रांस में 18वीं शताब्दी में हुई। उस समय नेशनल असेंबली में राजशाही के विरोधी लेफ्ट में बैठते थे जो वामपंथी कहलाए और जो राजशाही के समर्थक थे वे राइट विंग में बैठते थे, जो दक्षिणपंथी कहलाए।
- आज के दौर में वामपंथ प्रगतिशील, अल्पसंख्यकों और नई विचारधाराओं के समर्थन का प्रतीक है। जबकि दक्षिणपंथ परंपराओं, धर्म, और राष्ट्रीयता को प्राथमिकता देता है। इन विचारधाराओं के बीच का अंतर सूक्ष्म जरूर है, लेकिन इनका प्रभाव दुनिया की राजनीति में गहराई से महसूस किया जाता है।
लेफ्ट और राइट विंग में ये बातें अहम
लेफ्ट या वामपंथी विचारधारा स्वतंत्रता, बंधुत्व, समानता, प्रगति, अधिकार जैसे विचारों पर जोर देता है। राइट या दक्षिणपंथी विचारधारा को अधिकार, आदेश, पदानुक्रम, आदेश, कर्तव्य, परंपरा, राष्ट्रवाद और प्रतिक्रिया जैसे विचारों पर जोर देता है।
Source:
- The International Foundation for Electoral Systems (IFES):
- https://www.ifes.org/
- Inter-Parliamentary Union:
- https://www.ipu.org/
- Varieties of Democracy (V-Dem):
- https://www.v-dem.net/
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