तेहरान नहीं तो फिर कौन-सा शहर होगा ईरान की राजधानी; जिससे जुड़ी है अलेक्जेंडर की कहानी?
ईरान अपनी राजधानी तेहरान से बदलकर मकरान बनाने की तैयारी कर रहा है। 200 साल से ज्यादा समय से तेहरान शहर ईरान की राजधानी है। इस शहर में अब बिजली पानी जैसी मूलभूत चीजों की किल्लत हो गई है। अगर नई राजधानी बनती है तो इसमें क्या-क्या चुनौतियां आएंगी और भारत के लिए स्थिति कैसी रहेगी? यह भी पढ़ें कि अलेक्जेंडर का इस शहर से क्या नाता है...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/जकार्ता। Why is Iran changing its capital: कुछ वक्त पहले इंडोनेशिया ने अपनी राजधानी जकार्ता से बदलकर नुसंतारा करने का फैसला लिया था। इससे पहले म्यांमार, कजाकिस्तान, तंजानिया, नाइजीरिया और पाकिस्तान समेत कई देश अपनी अपनी राजधानी सिटी बदल चुके हैं।
अब इसी तर्ज पर ईरान भी अपनी राजधानी बदलने की तैयारी कर रहा है। ईरान तेहरान शहर से राजधानी का दर्जा हटाकर मकरान को नई राजधानी बना रहा है। ईरान सरकार की प्रवक्ता फातेमेह मोहजेरानी ने इसकी पुष्टि भी की है।
ईरानी प्रवक्ता फातेमेह मोहजेरानी ने कहा कि ईरान की नई राजधानी देश के दक्षिण हिस्से में होगी। 90 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर तेहरान पर अच्छा खासा दबाव हो गया है।
इतना ही नहीं, तेहरान की गिनती दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में होती है। तेहरान में रहने वाले लोगों को पानी, बिजली और रसोई गैस जैसी मूलभूत चीजों की कमी से जूझना पड़ रहा है। जनसंख्या के दबाव के अलावा, राजधानी बदलने का दूसरा कारण यह है कि तेहरान में भूकंप का खतरा बढ़ गया है।
मकरान को ही राजधानी के लिए क्यों चुना?
अब सवाल आता है कि ईरानी सरकार ने राजधानी को तेहरान से बदलने के लिए मकरान को क्यों चुना। दरअसल, यह शहरा ईरान के दक्षिण में स्थित एक तटीय एरिया है, जिसकी तटरेखा करीबन 1000 किलोमीटर लंबी है। मकरान को राजधानी बनाने पर समुद्र पर आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने में खासा मदद मिलेगी।
इस क्षेत्र के कुदरती संसाधन मकरान को व्यावसायिक और समु्द्री कार्यों के लिहाज से दुनिया भर के लिए बड़ा हब बना सकते हैं। ईरान मकरान एरिया को नए समुद्री व्यापारिक कॉरिडोर बनाना चाहता है। दूसरी ओर से इससे मध्य एशिया और हिंद महासागर के बीच कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी।
तेहरान के सामने हैं ये समस्याएं
- तेहरान को 200 साल से ज्यादा वक्त हो गया है, जब ईरान की राजधानी बनाया गया था। इसलिए यह शहर राजधानी के तौर पर उतना मॉर्डन नहीं है, जितना की दुनिया भर के अन्य देशों की राजधानी हैं।
- तेहरान की आबादी अभी 90 लाख है। आगामी 30 सालों में यह 2 करोड़ तक पहुंच सकती है। इसके चलते इस शहर में आबादी को मैनेज करना कठिन हो जाएगा।
- तेहरान में लगातार पानी, बिजली और रसोई गैस का संकट बढ़ता जा रहा है। कई इलाकों में बिजली-पानी की भारी किल्लत हो जाती है।
- ईरान की मौजूदा राजधानी तेहरान दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है। ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो हर साल वायु प्रदूषण से 6400 लोगों की मौतें अकेले तेहरान में होती हैं।
- तेहरान की गिनती भूकंपीय जोखिम वाले क्षेत्रों में होती है। सीस्मोलॉजिस्टों ने चेतावनी दी है कि तेहरान में बड़े भूकंप की वजह से लाखों लोगों की जान खतरे में आ सकती है।
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ईरान की नई राजधानी भारत के करीब होगी?
अगर ईरान अपनी राजधानी बदलता है तो इसका फायदा भारत को भी होगा। ईरान की नई राजधानी मकरान भारत के करीब आ जाएगी। भारत मकरान क्षेत्र में ही चाबहार पोर्ट को विकसित कर रहा है। इसी क्षेत्र में राजधानी बनने से पूरे क्षेत्र की प्रगति होगी।
ईरान की नई राजधानी बनने में अभी समय लगेगा। इस पर अच्छा खासा खर्च भी होगा। इस कारण ईरान के कई लोग इस विचार से संतुष्ट नहीं है। मकरान वही इलाका है, जहां अलेक्जेंडर की सेना के एक तिहाई से जयादा सैनिक मर गए थे।
दरअसल, भारत में पोरस से जंग के बाद अलेक्जेंडर की सेना इस क्षेत्र से गुजरी तब सैनिक भीषण गर्मी और पानी की कमी को सहन नहीं कर पाए थे और एक तिहाई सेना खत्म हो गई।
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