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    बांग्लादेश में चिन्मय दास को नहीं मिली जमानत, इस्कॉन बोला- दुखद फैसला; उनकी तबीयत भी ठीक नहीं

    Updated: Thu, 02 Jan 2025 03:46 PM (IST)

    हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को गुरुवार को चटगांव की अदालत में वर्चुअली पेश किया गया। अदालत में उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला भी दिया गया। मगर कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी। चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। उन पर देशद्रोह का आरोप है। अदालत के फैसले पर इस्कॉन ने भी प्रतिक्रिया दी।

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    चिन्मय कृष्ण दास को नहीं मिली जमानत। ( फाइल फोटो )

    पीटीआई, कोलकाता। हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव की अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया। गुरुवार को इस्कॉन कोलकाता ने इस पर प्रतिक्रिया दी और अदालत के इस फैसले को दुखद बताया।

    इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि सुनवाई के दौरान एक अच्छी बात यह रही कि अदालत में वकीलों ने चिन्मय दास का पक्ष रखा। इससे पहले सुनवाई के दौरान वकीलों को पक्ष रखने की अनुमति नहीं मिली थी।

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    चिन्मय दास की तबीयत ठीक नहीं

    राधारमण दास ने कहा कि यह दुखद है कि उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है। उम्मीद थी कि नए साल में उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिन्मय दास की तबीयत खराब है।

    आशा थी कि अदालत इस आधार पर उन्हें जमानत दे देगी। इस्कॉन प्रवक्ता ने कहा कि चिन्मय कृष्ण दास के वकील अब बांग्लादेश की उच्च अदालत में याचिका दाखिल करेंगे।

    उम्मीद- वकीलों को सुरक्षा देगी अंतरिम सरकार

    राधारमण दास ने उम्मीद जताई कि उच्च अदालत में याचिका की सुनवाई के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चिन्मय के वकीलों को कोर्ट परिसर के अंदर और बाहर पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगी।

    40 दिनों से जेल में चिन्मय

    चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उन पर देशद्रोह का आरोप है। पिछले 40 दिनों से बांग्लादेश की जेल में बंद चिन्मय दास को गुरुवार को वर्चुअली अदालत में पेश किया गया। मगर चटगांव की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

    हसीना के जाने के बाद निशाने पर हिंदू

    जुलाई से अगस्त तक बांग्लादेश में छात्रों का आंदोलन भड़का। हिंसक रूप लेने के बाद पांच अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। तीन दिन बाद आठ अगस्त को मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली। यूनुस की सरकार में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। खासकर हिंदू समयुदाय के पूजास्थल और संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है।

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