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    बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय दास को बड़ी राहत, राजद्रोह के मामले में मिली जमानत

    Updated: Wed, 30 Apr 2025 03:19 PM (IST)

    बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बड़ी राहत मिली है। चिन्मय दास को अदालत से जमानत मिल गई है। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार ने इसकी पुष्टि की है। बता दें कि चिन्मय देशद्रोह के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। हालांकि फिलहाल उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।

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    चिन्मय कृष्णा दास को मिली जमानत (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बड़ी राहत मिली है। चिन्मय दास को अदालत से जमानत मिल गई है। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार ने इसकी पुष्टि की है।

    बता दें कि चिन्मय देशद्रोह के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। हालांकि, फिलहाल उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।

    पिछले साल किया गया था गिरफ्तार

    बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास को पिछले साल 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है और उन पर देशद्रोह का आरोप है।

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    2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन किया था। फरवरी में, बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि दास को जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए, जिसकी पुष्टि उनके वकील ने की है।

    चिन्मय कृष्णा दास के वकील ने कही ये बात

    दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने एएनआई को दिए बयान में कहा, "बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने सरकार से दो सप्ताह के भीतर फैसले पर जवाब देने को कहा था।"

    चटगांव में 2 जनवरी की सुनवाई के दौरान दास के बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि वह मातृभूमि के प्रति गहरा सम्मान रखता है, जो उसकी मां के प्रति श्रद्धा के बराबर है और वह देशद्रोही नहीं है। इन तर्कों के बावजूद, अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दी थी।

    'वे देशद्रोही नहीं हैं'

    भट्टाचार्य ने कहा, "हमने अदालत को बताया कि चिन्मय कृष्णा दास अपनी मां की तरह मातृभूमि का सम्मान करते हैं और वह देशद्रोही नहीं हैं।" मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम की अगुवाई वाली अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद जमानत देने के खिलाफ फैसला सुनाया था।

    चटगांव की अदालत ने मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम की अगुवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत खारिज कर दी थी। मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफिजुर हक भुइयां ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था।

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