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    क्या मोहम्मद यूनुस नहीं संभाल पा रहे बांग्लादेश? बिगड़ते हालात पर सेना का फूटा गुस्सा

    Updated: Mon, 28 Apr 2025 08:51 PM (IST)

    मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश संकटों से जूझ रहा है। आंतरिक अस्थिरता बदहाल अर्थव्यवस्था और चुनावों में देरी से देश में तनाव बढ़ा है। सेना ने भी सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई है। बीएनपी समेत कई राजनीतिक दल समय पर चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। यूनुस सरकार के भारत विरोधी रवैये ने भी स्थिति को जटिल बना दिया है।

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    मोहम्मद यूनुस चौतरफा संकटों में घिरते नजर आ रहे हैं।(फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगस्त, 2025 में पूर्व पीएम शेख हसीना की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख का पदभार संभाल रहे नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस चौतरफा संकटों में घिरते नजर आ रहे हैं।

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    विगत आठ-नौ महीनों में यूनुस की अंतरिम सरकार ना तो बांग्लादेश में आंतरिक अस्थिरता को खत्म करने का रास्ता निकाल पाई है और ना ही बदहाल अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए ठोस कदम उठा सके हैं।

    समय पर चुनाव कराने को लेकर वह कोई समय सीमा नहीं बता पा रहे। ऐसे में जहां अमेरिका में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों ने प्रोफेसर यूनुस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र और इंटरपोल में मामला दायर करने का आवेदन दिया है वहीं घरेलू स्तर पर यूनुस को अभी तक समर्थन दे रही है राजनीतिक पार्टी बीएनपी (खालिदा जिया की पार्टी) भी समय पर चुनाव नहीं कराये जाने से नाराज हो गई है।

    देश के हालात से खुश नहीं सेना 

    प्रो. यूनुस सरकार के लिए मुसीबत का सबसे बड़ा कारण सेना प्रमुख वाकर-उज-जमां है। खबर है कि सेना प्रमुख ने देश में आंतरिक स्थिरता की मौजूदा स्थिति को लेकर सरकार के समक्ष अपनी नाजारगी साफ कर दी है। एक तरफ सेना प्रमुख ने देश में कई छोटे-छोटे राजनीतिक दलों की तरफ से लगातार धरना-प्रदर्शनी आयोजित करने को लेकर अपनी नाराजगी सरकार के समक्ष जता दी है।

    साथ ही सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वह सख्ती के साथ हिंसक प्रदर्शनों पर रोक लगाए। उन्होंने पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की प्रदर्शनों पर रोक लगाने की यूनुस सरकार की मांग भी स्वीकार नहीं की है। सभी पार्टियों को शांतिपूर्ण राजनीतिक रैली करने का निर्देश दिया गया है। यह हाल की घटना है। बांग्लादेश सेना यूनुस सरकार की तरफ से कानून-व्यवस्था बनाने को लेकर किसी भी तरह की ठोस कानूनी कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर भी नाराजगी जता चुकी है।

    पूर्व में भी बांग्लादेश सेना प्रमुख ने आतंरिक अव्यवस्था को लेकर सरकार को आगाह किया था।

    बीएनपी ने आम चुनाव को लेकर यूनुस के साथ की बैठक 

    उधर, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की पिछले हफ्ते प्रोफेसर यूनुस के साथ एक बैठक हुई थी जिसमें आगामी चुनाव को लेकर खास तौर पर चर्चा हुई। बैठक के बाद बीएनपी के नेताओं ने चुनाव को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं बनाये जाने को लेकर अपनी नाराजगी भी साफ तौर पर उजागर की।

    बीएनपी के महासचिव जेनरल मिर्जा फखरूल ने कहा था कि उनकी पार्टी इस बैठक से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। बीएनपी हर हाल में दिसंबर, 2025 तक चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं जबकि प्रोफेसर यूनुस चाहते हैं कि चुनाव अगले वर्ष हो। सनद रहे कि प्रोफेसर यूनुस की सरकार का रवैया हमेशा से भारत विरोधी का रहा है।

    पीएम नरेन्द्र मोदी से उनकी अप्रैल के शुरुआत में थाईलैंड में बैठक भी हुई लेकिन इसका भी राजनीतिक करने से यूनुस सरकार के लोगों ने कोशिश की। बैठक में जो बात पीएम मोदी की तरफ से नहीं कही गई थी उसे प्रचारित करने की कोशिश की गई। चीन व पाकिस्तान के साथ लगातार प्रोफेसर यूनुस बांग्लादेश के संबंधों को मजबूत करने में जुटे हैं।