यूनुस की सत्ता में कितनी हत्या? बांग्लादेश में हिंदुओं का बुरा हाल, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत मानवाधिकार हनन के व्यापक मामले सामने आए हैं। मानवाधिकार संगठन आइन ओ सालिश केंद्र (एएसके) की रिपोर् ...और पढ़ें

मुहम्मद यूनुस। (फाइल)
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ किए जाने के बाद अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में जब से मुहम्मद यूनुस ने बागडोर संभाली है, तब से देश भर में व्यापक स्तर पर मानवाधिकार हनन के मामले सामने हैं। इनमें भीड़ हिंसा, गैर-न्यायिक हत्याएं, हिरासत में मौतें, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, राजनीतिक हिंसा में हत्याएं और प्रेस की स्वतंत्रता का दमन शामिल हैं।
वहां की भयावह अराजक स्थिति को उजागर करने वाले ढाका स्थित मानवाधिकार संगठन आइन ओ सालिश केंद्र (एएसके) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से भीड़ हिंसा में कम से कम 293 लोग मारे गए हैं।
अफवाहें फैलाकर लोगों को पीटा और मारा गया समानता, सामाजिक, लैंगिक न्याय तथा कानून के शासन पर आधारित समाज बनाने के उद्देश्य से 1986 में गठित एएसके ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में बताया है कि 2025 के दौरान ''भीड़ आतंकवाद'' में खतरनाक दर से वृद्धि हुई है। इस वर्ष जनवरी से दिसंबर तक भीड़ हिंसा में 197 लोगों की जान गई, जबकि पिछले साल यह संख्या 128 थी।
बंगाली दैनिक प्रोथोम आलो ने मानवाधिकार संगठन के हवाले से कहा, ''बिना किसी सबूत, जांच या कानूनी प्रक्रिया के, संदेह और अफवाहें फैलाकर लोगों को पीटा और मारा गया। तौहीद जनता (एकेश्वरवाद के समर्थक लोग) के नाम पर अवैध रूप से भीड़ जुटाकर कला और सांस्कृतिक केंद्रों में तोड़फोड़ की गई, बाउल समुदाय पर हमले किए गए..यहां तक कि कब्रों से शव निकालकर जलाए गए। स्वतंत्रता सेनानियों सहित विरोधी विचारों वाले लोगों को परेशान करने की घटनाएं भी हुई हैं।''
पत्रकारों को भी यातना व उत्पीड़न झेलना पड़ा रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कई घटनाओं में कानून प्रवर्तन एजेंसियां कार्रवाई करने में विफल रहीं और अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के प्रयास बड़े पैमाने पर नदारद रहे। 2025 में देश भर की विभिन्न जेलों में कम से कम 107 कैदियों की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हुई। ढाका सेंट्रल जेल में सबसे अधिक 38 मौतें दर्ज की गईं, उसके बाद गाजीपुर में सात मौतें हुईं, जबकि शेष मौतें देश भर की अन्य जेलों में हुईं।
2025 में कम से कम 38 लोग गैर-न्यायिक हत्याओं में मारे गए। जनवरी से दिसंबर 2025 के बीच राजनीतिक हिंसा की कम से कम 401 घटनाएं हुईं, जिनमें 102 लोगों की जान गई और 4,744 लोग घायल हुए। इसी अवधि के दौरान कम से कम 381 पत्रकारों को यातना और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और 20 को जान से मारने की धमकी मिली।
देश से हर अल्पसंख्यक को मिटा देने का उद्देश्य
बांग्लादेश में एक नया चलन देखने को मिल रहा है, जिसमें पुलिस अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने वालों के खिलाफ आरोपों को कमजोर कर रही है, ताकि ऐसी घटनाओं को दुर्घटना या व्यक्तिगत विवाद बताकर टाल दिया जाए।
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की तरह ही काम कर रही है। इसके पीछे का मकसद देश से हर अल्पसंख्यक को मिटा देना है। जब भी किसी अल्पसंख्यक की हत्या होती है तो पुलिस उसे निजी दुश्मनी का मामला बताकर टाल देती है। ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां हिदुओं को बाहरी या भारतीय एजेंट के रूप में पेश किया जाता है।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)

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