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    1256 हत्याएं, 13 महिलाओं से रेप... बांग्लादेश में आतंकी अजहरुल इस्लाम की रिहाई ने कैसे खोली यूनुस सरकार की पोल?

    Updated: Sat, 31 May 2025 05:42 PM (IST)

    बांग्लादेश में सामूहिक हत्या और बलात्कार के आरोपी अजहरुल इस्लाम की रिहाई से मोहम्मद यूनुस के चेहरे से नकाब उतर गया। सुप्रीम कोर्ट ने अजहरुल को बरी कर दिया जबकि अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा को पलट दिया। अजहरुल जमात-ए-इस्लामी का नेता है जिस पर 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान रंगपुर में हत्या अपहरण और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं।

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    बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने अजहरुल को बरी कर दिया (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2006 में जिस व्यक्ति को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया, उसके ढोंग की पोल इसके 19 साल बाद जाकर खुली। उसके हाथ में सत्ता आई और सत्ता के साथ ही आया घमंड। घमंड जिसने इस सत्ता के नशे में इस कदर चूर कर दिया कि उसने सही को सही और गलत को गलत कहना बंद कर दिया।

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    28 मई को बांग्लादेश में सामूहिक हत्या और बलात्कार के आरोपी अजहरुल इस्लाम बरी होकर बाहर निकला, तो शांति का नोबेल पाने वाले उस व्यक्ति के चेहरे से नकाब भी उतर गया। जिस व्यक्ति का हमने जिक्र किया, वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस हैं।

    जेल से रिहा हुआ अजहरुल इस्लाम

    शांति, भाईचारे और विकास के खोखले दावे करने वाले मोहम्मद यूनुस की असलियत क्या है, ये अब दुनिया से छिपी नहीं रह गई है। 1971 के संग्राम में अपराध की पराकाष्ठा पार करने वाला कट्टरपंथी अजहरुल इस्लाम जब जेल से रिहा होकर बाहर निकला, तो उसके समर्थक सैकड़ों की संख्या में वहां पहुंचे थे।

    युनूस सरकार में इन कट्टरपंथियों पर कितनी नरमी बरती जा रही है, इसकी बानगी देखिए कि बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने अजहरुल को बरी तो किया ही, देश की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने भी मौत की सजा को पलट दिया था। बता दें कि अजहरुल जमात-ए-इस्लामी नामक कट्टरपंथी संगठन का नेता है।

    हत्या और बलात्कार के गंभीर आरोप

    • अजहरुल इस्लाम को 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के वक्त रंगपुर क्षेत्र में 1256 लोगों की हत्या, 17 लोगों के अपहरण और 13 महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी पाया गया था। इसके अलावा उस पर लोगों को टॉर्चर करने, घरों में आगजनी करने और कई दूसरे गंभीर आरोप भी थे।
    • अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने 30 दिसंबर, 2014 को उसे नौ में से पांच मामलों में मौत की सजा सुनाई थी। उसने 2015 में खुद को बेगुनाह बताते हुए अदालत में याचिका लगाई थी। 2020 में भी उसने रिव्यू पेटिशन दाखिल किया था। अपनी रिहाई के बाद उसने अदालत का आभार जताया था।

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