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    बांग्लादेश में लोगों को गायब करवा रहीं शेख हसीना, यूनुस सरकार का आरोप- 3500 से ज्यादा हो चुके लापता

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Sun, 15 Dec 2024 12:24 PM (IST)

    Bangladesh people missing पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में 3500 से ज्यादा लोग लापता हो गए हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने कहा है कि उसे सबूत मिले हैं कि लोगों के गायब होने के पीछे शेख हसीना और उनके शासन के शीर्ष सैन्य और पुलिस अधिकारी का हाथ है। आयोग ने कार्यवाहक पीएम मुहम्मद यूनुस को रिपोर्ट सौंपी है।

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    Bangladesh people missing शेख हसीना पर लगे गंभीर आरोप। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    पीटीआई, ढाका। Bangladesh people missing बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना पर आरोप लगे हैं कि वो बांग्लादेश में लोगों को गायब करने में शामिल हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने कहा है कि उसे सबूत मिले हैं कि बांग्लादेश में लोगों को गायब होने के पीछे अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके शासन के शीर्ष सैन्य और पुलिस अधिकारी हैं।

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    3500 से अधिक लोग जबरन गायब

    Bangladesh में जबरन गायब करने की घटनाओं की जांच करने वाले पांच सदस्यीय आयोग ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार को "सत्य का खुलासा" शीर्षक से एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। आयोग ने अनुमान लगाया कि देशभर में 3500 से अधिक जबरन गायब करने की घटनाएं हुई हैं।

    कई अधिकारियों के भी शामिल होने का दावा

    रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीना के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसानंद, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम और मोहम्मद हारुन-ओर-रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी उन घटनाओं में शामिल पाए गए।

    उधर, पूर्व सैन्य और पुलिस अधिकारी भी फरार हैं, माना जा रहा है कि वो हसीना की अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद विदेश भाग गए हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने किया खुलासा

    आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस सरकार को बताया कि जांच के दौरान उन्हें एक "व्यवस्थित डिजाइन" मिला, जिसने जबरन गायब होने की घटनाओं को अनदेखा कर दिया।

    चौधरी ने कहा कि जबरन गायब करने वाले व्यक्तियों को पीड़ितों के बारे में जानकारी नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने पीड़ितों को पकड़ने, प्रताड़ित करने और हिरासत में रखने का काम किया है।

    आयोग ने रखा ये प्रस्ताव

    आयोग ने आतंकवाद-रोधी अधिनियम 2009 को खत्म करने या उसमें व्यापक संशोधन करने के साथ-साथ आरएबी को खत्म करने का प्रस्ताव रखा।

    आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि उन्होंने जबरन गायब किए जाने की 1676 शिकायतें दर्ज की हैं और अब तक उनमें से 758 की जांच की है। इनमें से 200 लोग कभी वापस नहीं लौटे जबकि जो वापस लौटे उनमें से ज्यादातर को रिकॉर्ड में गिरफ्तार दिखाया गया।

    आयोग ने घोषणा की कि उन्हें ढाका और उसके बाहरी इलाकों में आठ गुप्त हिरासत केंद्र मिले हैं।