'जिंदा रहने का अधिकार खतरे में', बांग्लादेश में हिंसा पर अखबारों के संपादकों ने क्या कहा?
प्रमुख बांग्लादेशी अखबारों के संपादकों ने कहा कि देश का मीडिया अस्तित्व की लड़ाई का सामना कर रहा है। पत्रकारों के 'जिंदा रहने के अधिकार' पर चिंताओं ने ...और पढ़ें
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बांग्लादेश में हिंसा को लेकर पत्रकारों में चिंता। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रमुख बांग्लादेशी अखबारों के संपादकों ने सोमवार को कहा कि देश का मीडिया अस्तित्व की लड़ाई का सामना कर रहा है। पत्रकारों के ''जिंदा रहने के अधिकार'' पर चिंताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पीछे छोड़ दिया है।
यह टिप्पणी गुरुवार की रात ढाका में भीड़ द्वारा प्रोथोम आलो और द डेली स्टार अखबारों के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आग लगाने की घटना के बाद आई है। इसमें कई पत्रकार और कर्मचारी घंटों तक अंदर फंसे रहे क्योंकि पुलिस और अग्निशमन सेवाओं को शुरू में मौके पर पहुंचने से रोका गया था।
'अब यह जिंदा रहने के बारे में है'
डेली स्टार के संपादक और प्रकाशक महफूज अनम ने वरिष्ठ राजनेताओं, व्यापारिक नेताओं और मीडिया मालिकों की उपस्थिति में एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, ''अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब मुख्य मुद्दा नहीं है। अब यह जिंदा रहने के अधिकार के बारे में है।''
'पत्रकारों और कर्मचारियों को मारना था उद्देश्य'
उन्होंने कहा, बांग्लादेश में मीडिया अस्तित्व की लड़ाई का सामना कर रहा है। हमलों का उद्देश्य विशिष्ट समाचार पत्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बजाय पत्रकारों और कर्मचारियों को मारना था, अन्यथा भीड़ ने इमारतों में आग लगाने से पहले पत्रकारों को वहां से चले जाने को कहा होता।

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