Bangladesh: अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में बांग्लादेश असफल, यूनुस सरकार पर लगे बड़े आरोप
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर गंऱीब आरोप लगाए हैं। संगठन ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अल्पसंख्यक समूहों को दबाने के लिए सरकारी संस्थानों का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। सरकार ने इस आरोप को खारिज किया है।

एपी, ढाका। बांग्लादेश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक अधिकार समूह ने देश की अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में असफल होने का आरोप लगाया है। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।
सरकार ने खारिज किए आरोप
हालांकि सरकार ने इस आरोप को खारिज किया है। बता दें कि हिंसक छात्र आंदोलन के चलते गत पांच अगस्त को शेख हसीना की अगुआई वाली अवामी लीग सरकार का पतन हो गया था। इसके बाद अल्पसंख्यकों खासतौर पर हिंदुओं के खिलाफ हमले बढ़ गए।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अल्पसंख्यक समूहों को दबाने के लिए सरकारी संस्थानों का इस्तेमाल कर रही है।
9 महिलाओं के साथ दुष्कर्म
- परिषद ने गुरुवार को प्रेस कान्फ्रेंस में पूर्व के हमलों को लेकर अपने दावों को दोहराया और कहा कि देश में 21 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 174 नई घटनाएं हुईं। इनमें अल्पसंख्यक समुदायों के 23 सदस्यों की हत्या हुई और नौ महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया।
- अन्य घटनाओं में आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और संपत्ति एवं व्यवसायों पर जबरन कब्जा करना शामिल था। जबकि इन समुदायों के 15 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया या यातना दी गई।
- समूह के कार्यवाहक महासचिव मनिंद्र कुमार नाथ ने अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को परेशान करने का आरोप भी लगाया है। इससे पहले परिषद ने बताया था कि इस मुस्लिम बहुल देश में गत वर्ष चार से 20 अगस्त के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की 2010 घटनाएं हुई थीं।
हसीना समर्थक रहे हैं अल्पसंख्यक
जबकि शेख हसीना सरकार को अपदस्थ किए जाने के बाद गठित अंतरिम सरकार ने इसे खारिज किया था और कहा था कि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से हुई थीं।
बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को परंपरागत रूप से हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों के रूप में देखा जाता रहा है।
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