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    Bangladesh: पहले चिन्मय प्रभु से किया किनारा, अब ISKCON दे रहा सफाई; हिंदू पुजारी की गिरफ्तारी पर नए बयान में क्या कहा?

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Fri, 29 Nov 2024 08:49 AM (IST)

    Bangladesh ISKCON on Hindu priest हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से ही हिंदू वहां सड़कों पर उतर विरोध कर रहे हैं। विरोध के दौरान कई हिंदुओं के साथ पुलिस ने बर्बरता भी की। इस बीच अंतरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) का नया बयान सामने आया है जहां वो सफाई देता दिख रहा है और उनका साथ देने की बात कही है।

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    Bangladesh ISKCON on Hindu priest चिन्मय प्रभु पर इस्कॉन का नया बयान आया। (फाइल फोटो)

    एजेंसी, ढाका। Bangladesh ISKCON on Hindu priest बांगलादेश में हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से ही हिंदू वहां सड़कों पर उतर विरोध कर रहे हैं। विरोध के दौरान कई हिंदुओं के साथ पुलिस ने बर्बरता भी की। इस बीच अंतरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) का नया बयान सामने आया है, जहां वो सफाई देता दिख रहा है।

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    पहले किया किनारा, अब जताई एकजुटता

    इस्कॉन ने पहले हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास (चिन्मय प्रभु) से किनारा कर लिया था। अब इस्कॉन ने नया बयान जारी कर हिंदू पुजारी के साथ एकजुटता व्यक्त की, जिन्हें बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ये इस्कॉन (बांग्लादेश) द्वारा हिंदू पुजारी से खुद को अलग करने के बयान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि चिन्मय दास धार्मिक संस्था का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। 

    चिन्मय दास को संगठन के सभी पदों से हटाया

    ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनुशासन भंग करने के कारण हिंदू पुजारी चिन्मय दास को संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया है। हालांकि, एक नए बयान में इस्कॉन ने पूर्व सदस्य के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया।

    अब क्या बोला इस्कॉन?

    इस्कॉन ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि उसने स्पष्ट किया कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन उसने खुद को उनसे दूर करने का प्रयास नहीं किया। समूह ने कहा, "इस्कॉन ने हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों की रक्षा के लिए शांतिपूर्वक आह्वान करने वाले चिन्मय कृष्ण दास के अधिकारों और स्वतंत्रता का समर्थन करने से खुद को दूर नहीं किया है और न ही करेगा।" 

    बयान में आगे कहा गया कि हमने केवल वही स्पष्ट किया है, जो हमने पिछले कई महीनों में कहा था कि वह बांग्लादेश में आधिकारिक रूप से इस्कॉन का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

    दरअसल, इस्कॉन ने चिन्मय कृष्ण दास से खुद को उस समय अलग कर लिया था जब इस्कॉन पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी और उसे कट्टरपंथी संगठन करार दिया गया था। इस संबंध में इस्कॉन के खिलाफ एक वकील द्वारा कानूनी याचिका दायर की गई थी।

    याचिका के बाद, इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनुशासन के उल्लंघन के कारण चिन्मय दास को संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था। चारु चंद्र दास ने आगे कहा कि इस्कॉन का हाल ही में गिरफ्तार किए गए चिन्मय कृष्ण दास की गतिविधियों में कोई संलिप्तता नहीं थी। हालांकि, बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया। 

    इस कारण चिन्मय दास हुए थे गिरफ्तार

    इस सप्ताह चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करने वाले एक स्टैंड पर झंडा फहराने के देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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