'चुनावों से जमात को सत्ता में आने का मिल सकता है रास्ता', बांग्लादेश में चुनाव से पहले उथल-पुथल
बांग्लादेश में आम चुनावों से पहले नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) में जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन को लेकर आंतरिक कलह मच गई है। एनसीपी संयोजक नाहिद इस्ला ...और पढ़ें

बांग्लादेश में चुनाव से पहले उथल-पुथल (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में आम चुनावों से पहले नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) द्वारा जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने के फैसले की घोषणा के बाद कुछ नेताओं के इस्तीफे से पार्टी के भीतर उथल-पुथल मचा हुआ है।
आंतरिक असंतोष के बीच एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने स्पष्ट किया है कि यह साझेदारी पूरी तरह से चुनावी है और किसी भी वैचारिक समानता पर आधारित नहीं है। मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर माना जा रहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के साये में होने वाले चुनावों से पहले जमात का असली चेहरा सामने आने से एनसीपी हाशिये पर आ गई है।
इस बीच, सोमवार को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने ढाका-17 सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। बहरहाल, नाहिद ने कहा कि एनसीपी पहले स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी और इसने सभी 300 संसदीय क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई थी। लेकिन, शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देश की राजनीतिक स्थिति में नाटकीय रूप से बदलाव आ गया है, जिससे पार्टी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक अखबार 'द डेली स्टार' के अनुसार, नाहिद ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति में एनसीपी के लिए अकेले चुनाव लड़ना संभव नहीं है। इसीलिए हमने आठ समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने का फैसला किया है। यह कोई वैचारिक गठबंधन नहीं, बल्कि चुनावी समझौता है।'
इससे पहले एनसीपी के वरिष्ठ संयुक्त संयोजक अरिफुल इस्लाम अदीब ने भी कहा था कि यह गठबंधन वैचारिक मतभेदों के बजाय साझा राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हम लोकतांत्रिक गठबंधन के भीतर सुधार प्रस्तावों को लागू करने के लिए राजनीतिक रूप से एकजुट हैं। इससे हमें जुलाई विद्रोह के राजनीतिक समझौते को लागू करने में आठ से दस पार्टियों की भूमिका को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
चुनावों से जमात को सत्ता में आने का मिल सकता है रास्ता
देश में 12 फरवरी को होने वाले चुनावों में बीएनपी के नेतृत्व वाले गठबंधन और एनसीपी व जमात के नेतृत्व वाले दूसरे गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। जमात के लिए सत्ता हासिल करने का यह एक सुनहरा अवसर है। रूढिवादी इस्लामी विचारधारा वाले इस संगठन की उत्पत्ति 1941 में ब्रिटिश भारत में मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी द्वारा स्थापित जमात-ए-इस्लामी आंदोलन से हुई है, जिसका उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक इस्लाम को बढ़ावा देना था। शुरुआत में, इस आंदोलन ने पाकिस्तान के निर्माण का विरोध किया थी और एक एकीकृत इस्लामी भारत की वकालत की थी। (समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)

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