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    'मुझे तो हिंदी भी नहीं आती', 18 साल के नवजोत सिंह को न्यूजीलैंड से भारत क्यों किया जा रहा डिपोर्ट?

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 05:52 PM (IST)

    न्यूजीलैंड सरकार ने 18 वर्षीय नवजोत सिंह को भारत डिपोर्ट करने का फैसला किया है, क्योंकि उनके पास वहां की नागरिकता नहीं है। नवजोत का जन्म न्यूजीलैंड में ही हुआ था और वहीं पले-बढ़े हैं। न्यूजीलैंड ने 2006 के बाद जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म कर दी थी। नवजोत को भारत में जीवन यापन करने की चिंता है, क्योंकि उन्हें हिंदी नहीं आती और उन्होंने सुना है कि भारत में नौकरी मिलना मुश्किल है।

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    न्यूजीलैंड में जन्मे नवजोत सिंह को किया जा रहा डिपोर्ट।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। न्यूजीलैंड सरकार ने 18 साल के नवजोत सिंह को भारत डिपोर्ट करने का फैसला किया है क्योंकि देश में उसका कोई लीगल स्टेटस नहीं है, हालांकि वह न्यूजीलैंड में पैदा हुआ और वहीं पला-बढ़ा और उसने कभी देश नहीं छोड़ा।

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    दरअसल न्यूजीलैंड की सरकार ने जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म कर दी और कहा कि जो लोग 2006 के बाद न्यूजीलैंड में ऐसे माता-पिता के यहां पैदा हुए हैं जिनके पास कानूनी इमिग्रेशन स्टेटस नहीं है, वे न्यूजीलैंड में लीगल नहीं हैं। नवजोत सिंह का जन्म 2007 में ऑकलैंड में भारतीय मूल के माता-पिता के यहां हुआ था जो अपने वीजा की अवधि खत्म होने के बाद भी वहां रुके थे।

    8 साल का होने पर पता चली अपनी स्थिति

    जब वह सिर्फ पांच दिन का था, तब उसके पिता को देश से निकाल दिया गया था और 2012 में जब वह पाँच साल का था, तब उसकी मां ने अपना लीगल स्टेटस खो दिया था। उसे अपनी हालत के बारे में तब पता चला जब वह आठ साल का था। जब उसे पता चला कि न्यूजीलैंड में उसे कभी भी पढ़ाई, हेल्थकेयर और बेसिक अधिकार नहीं मिलेंगे। लेकिन वह न्यूजीलैंड छोड़ने से डरता है क्योंकि वहां उसके दोस्त हैं।

    'भारत में गुजारा करना होगा मुश्किल'

    उसे यह भी लगता है कि उसे भारत में गुजारा करने में मुश्किल होगी क्योंकि वह हिंदी नहीं बोलता। उसने कहा कि उसने सुना है कि ज्यादा क्वालिफिकेशन वाले लोगों को भारत में नौकरी नहीं मिलती।

    नवजोत सिंह के वकील एलेस्टेयर मैक्लीमोंट ने इस फैसले को इंसानियत से परे बताया और सरकार से सही तरीका अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “यहां पले-बढ़े बच्चों को दूसरे देश भेजने का कोई मतलब नहीं है।” मैक्लीमोंट ने कहा कि सरकार को अपने कानूनों को ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के कानूनों जैसा बनाना चाहिए, जो वहां 10 साल से रह रहे बच्चों को नागरिकता देते हैं।

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