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    कहानी सीरिया की सबसे कुख्यात जेल की, जहां 30000 लोगों को मारा गया; 14 साल में असद ने दी 1 लाख को फांसी

    Updated: Sun, 08 Dec 2024 09:11 PM (IST)

    दुनिया भर में मानव वधशाला के नाम से कुख्यात सीरिया की सदनाया जेल पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया। विद्रोहियों ने जेल से महिलाओं बच्चों और सैकड़ों कैदियों को रिहा कर दिया है। बड़ी संख्या में लोगों को जेल से बाहर निकलते देखा गया है। यह जेल असद सरकार की यातना का सबसे बड़ा केंद्र था। यहां करीब 30 हजार लोगों को यातना देकर मारा गया है।

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    सीरिया की सबसे कुख्यात जेल सैदनाया। ( फोटो- Amnesty)

    जेएनएन, नई दिल्ली। सीरिया में विद्रोहियों ने दमिश्क, हमा और अलेप्पो के पास सरकारी जेलों में कई वर्षों से बंद कैदियों को रिहा कर दिया है। इन जेलों में सबसे कुख्यात सैदनाया है, जिसे अक्सर मानव वधशाला कहा जाता है। बशर अल-असद शासन के दौरान यहां 30 हजार से ज्यादा लोगों को यातना देकर मारा मारा गया।

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    योजना के तहत असद ने एक लाख लोगों को मारा

    ब्रिटेन स्थित सीरियन आब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स की 2021 की रिपोर्ट में बताया गया है कि असद शासन के दौरान सीरिया की जेलों में एक लाख से ज्यादा लोगों को मार दिया गया या उनकी मौत हो गई। इनमें से 30 हजार से ज्यादा लोग अकेले सैदनाया में मारे गए। 2011 से सैदनाया में हत्या, यातना, जबरन गायब करने जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया गया। यह काम व्यवस्थित तरीके से और सरकारी नीति को आगे बढ़ाने के तौर पर किया गया।

    3 मिनट में होता था फांसी का फैसला

    रिपोर्ट में बताया गया है कि सैदनाया सैनिक जेल में दो हिरासत केंद्र थे। 2011 में विद्रोह शुरू होने के बाद से गिरफ्तार किए गए नागरिकों को लाल रंग की इमारत में रखा जाता था और असद शासन के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल सैनिकों को सफेद रंग की इमारत में कैद किया जाता था। फांसी पर लटकाए जाने से पहले कैदियों को दमिश्क के अल-कबून इलाके में स्थित सैन्य न्यायालय में मुकदमे के दौरान मौत की सजा सुनाई जाती थी, जिसकी सुनवाई एक से तीन मिनट तक चलती थी।

    ऐसे दी जाती थी सामूहिक फांसी

    फांसी देने को जेल अधिकारी पार्टी कहते थे। वे कैदियों को दोपहर में उनकी कोठरियों से इकट्ठा करते थे। उनको बताया जाता था कि उन्हें सिविल जेल में स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि, उन्हें लाल इमारत के तहखाने में ले जाया जाता था, जहां उन्हें दो-तीन घंटों तक बुरी तरह पीटा जाता था। आधी रात को उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी और डिलीवरी ट्रकों या मिनी बसों में उन्हें सफेद इमारत ले जाया जाता था। वहां तहखाने में ले जाकर सामूहिक फांसी दे दी जाती थी।

    हर हफ्ते होती थी 50 लोगों को फांसी

    यह काम सप्ताह में एक या दो बार होता था और हर बार 20 से 50 लोगों को मार डाला जाता था। लाल इमारत में बंद लोगों के साथ दु‌र्व्यवहार की एक स्थापित प्रक्रिया थी। कैदियों को नियमित रूप से प्रताड़ित किया जाता था। आमतौर पर उनकी गंभीर पिटाई की जाती थी और यौन हिंसा को अंजाम दिया जाता था। उन्हें पर्याप्त भोजन, पानी, दवा, चिकित्सा देखभाल और स्वच्छता से वंचित रखा जाता था। यातना के दौरान कैदियों को चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता था। कई बंदियों को मनोविकृति जैसी गंभीर मानसिक बीमारियां हो जाती थीं।

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