Syria Civil War: कैसे ढह गई असद परिवार की 53 साल पुरानी सत्ता, सीरिया में तख्तापलट की पूरी कहानी
साल 1971 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने सीरिया में तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। उन्होंने सीरिया में एक नए युग की शुरुआत की थी। वैसे उस वक्त देश की पहचान राजनीतिक अस्थिरता से थी। उन्होंने साल 2000 तक देश पर राज किया। सत्ता संभालने से पहले हाफिज सीरिया के वायु सेना में कमांडर और रक्षा मंत्री भी रह चुके थे।

जेएनएन, नई दिल्ली। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के रविवार को देश छोड़कर भाग जाने के साथ ही असद परिवार की करीब साढ़े पांच दशक से चली आ रही सत्ता का अंत हो गया। असद परिवार ने 53 साल तक सुन्नी बहुल सीरिया पर राज किया। मगर इस दौरान उनका इतिहास कत्लेआम और खून खराबे वाला रहा।
मौजूदा समय में सीरिया के अधिकांश भूभाग पर विद्रोही गुटों का कब्जा हो चुका है। बशर अल असद का ताल्लुक अलावी समुदाय से है। यह समुदाय सीरिया में अल्पसंख्यक है। सीरिया में अलावी समुदाय की आबादी महज 12 प्रतिशत है। मगर सत्ता इसी अलावी राजवंश के पास थी।
बशर अल असद के भागने के बाद नई सरकार बनाने की कवायद में विद्रोही जुट गए हैं। वैसे बशर के उदय को शुरू में आशावाद के साथ देखा गया था। कई सीरियाई और विदेशी पर्यवेक्षकों को उम्मीद थी कि वह सत्तावादी शासन द्वारा लंबे समय से दबाए गए सिस्टम में सुधार और खुलापन लाएंगे। हालांकि वे उम्मीदें जल्दी ही खत्म हो गईं।
यूं हुई थी 2011 में विद्रोह की शुरुआत
2011 में लीबिया, ट्यूनीशिया और मिस्त्र में विद्रोह भड़का। इन तीनों ही देशों में सरकारें ढह गईं। इस घटनाक्रम का असर पड़ोसी सीरिया की जनता पर भी हुआ। असद सरकार से पीड़ित जनता ने भी सीरिया में कुछ ऐसा ही करने का सोचा। शुरुआत एक स्कूल से हुई। सीरिया के शहर दारा में एक स्कूल में कुछ छात्रों ने असद के खिलाफ नारे लिखे। नारा यह था कि 'असद अब तुम्हारी बारी है'।
सरकार को जब इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने सेना का इस्तेमाल किया और स्कूल के छात्रों पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। बच्चों को दीवार पर टांग दिया गया। करंट लगाया गया। उधर, सीरिया की जनता असद के भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन से परेशान तो थी ही, बच्चों पर अत्याचार ने आग में घी का काम किया।
देखते ही देखते पूरे सीरिया में विद्रोह फैल गया। जवाब में असद ने सेना को उतार दिया। लोगों पर सेना ने कहर बरपाना शुरू किया। पहले तो लोगों ने अपने बचाव में हथियारों को उठाया। बाद में यही हथियार विद्रोह के सबसे बड़े यंत्र बने। कुछ ही समय में सीरिया के अंदर तमाम सशस्त्र विद्रोह गुटों का उदय हुआ। देखते ही देखते विद्रोह एक पूर्ण गृहयुद्ध में बदल गया।
तख्तापलट कर पिता ने हथियाई थी सत्ता
1971 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने सीरिया में तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। उन्होंने सीरिया में एक नए युग की शुरुआत की थी। वैसे उस वक्त देश की पहचान राजनीतिक अस्थिरता से थी। उन्होंने साल 2000 तक देश पर राज किया। सत्ता संभालने से पहले हाफिज सीरिया के वायु सेना में कमांडर और रक्षा मंत्री भी रह चुके थे।
हाफिज ने सत्ता पर काबिज होने के बाद सुन्नी समुदाय की अनदेखी की और अपने अलावी यानी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और विश्वास पात्रों को ही उच्च पदों और सरकारी नौकरी में तवज्जो दी। इससे अन्य समुदायों में आक्रोश फैला।
2000 में बशर ने पिता से संभाली थी सत्ता
हाफिज सीरिया की सत्ता अपने सबसे बड़े बेटे बैसेल को सौंपना चाहते थे और नेतृत्व के लिए उसे तैयार भी किया था। मगर 1994 में एक सड़क हादसे में बैसेल की मौत हो गई। इसके बाद 2000 में हाफिज की मौत के बाद हाफिज के दूसरे बेटे नेत्र रोग विशेषज्ञ बशर अल असद ने देश की सत्ता संभाली। उस वक्त जनमत संग्रह में असद को 97 प्रतिशत वोट मिले थे यानी अपार जनसमर्थन। तब से अब तक 24 साल सीरिया की सत्ता पर बशर अल असद का कब्जा रहा।
फूट डालो-राज करो की रणनीति
बशर अल असद ने अपने पिता की ही तर्ज पर विद्रोह दबाने की रणनीति पर काम किया। मगर उनकी यह रणनीति अब भरभराकर ढह गई। हाफिज की रणनीति सीरिया के जातीय, धार्मिक और राजनीतिक विभाजन का फायदा उठाते हुए फूट डालो और राज करो की रणनीति पर निर्भर थी।
साथ ही विद्रोह दबाने पर भी। असद के पिता हाफिज ने साल 1982 में सीरिया के हामा शहर में मुस्लिम ब्रदरहुड के विद्रोह को कुचला था। इसमें करीब 40 हजार लोगों की जान गई थी। देखा जाए तो दमन की यह रणनीति असद को विरासत में मिली। वह कई मौकों पर इसका इस्तेमाल करने से चूके नहीं।
सीरिया की अर्थव्यवस्था पर किसका कब्जा?
सीरिया सरकार के उच्च पदों पर असद के रिश्तेदारों की भरमार रही। असद के चेचेरे भाई रामी मखलौफ का सीरिया की 60 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का नियंत्रण रहा। इन सभी लोगों ने सीरिया की आम जनता का दमन भी किया। बशर के भाई माहेर, उनकी बहन बुशरा और उनके पति आसिफ शौकत जैसे लोगों ने शासन की सुरक्षा और सैन्य तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सीरिया की टाइम लाइन: यूं चला घटनाक्रम
- वर्ष 2011 असद के खिलाफ पहला विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया। सुरक्षा बलों ने इसका जवाब गिरफ्तारियों और गोलीबारी से दिया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने बंदूकें उठा लीं और सैन्य इकाइयां विद्रोह में बदल गईं। इसके चलते यह एक सशस्त्र विद्रोह बन गया जिसे पश्चिमी और अरब देशों और तुर्की से समर्थन मिला।
- 2012- सीरिया में हालत खराब होती देख जिनेवा में वैश्विक समुदाय ने बैठक की और एक राजनीतिक परिवर्तन की आवश्यकता पर सहमति जताई। उधर विद्रोह को दबाने के लिए असद शासन ने शहरों और कस्बों में हवाई हमले किए। इसमें हजारों लोगों की जान गई।
- 2013 - लेबनान के हिजबुल्ला ने असद को कुसैर में जीत दिलाने में मदद की। विद्रोहियों की गति को रोका और टकराव में ईरान समर्थित इस समूह की बढ़ती भूमिका को दिखाया। अमेरिका ने रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को रेड लाइन तो घोषित कर दिया, लेकिन दमिश्क के पास विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी घोउटा पर गैस हमले के बावजूद अमेरिकी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसमें कई नागरिक मारे गए थे।
- 2014 में अलकायदा के एक गुट ने रक्का पर कब्जा कर लिया और सीरिया और इराक में शहरों पर कब्जा करते हुए इस्लामिक स्टेट का गठन कर लिया।
- 2015 -विदेशों से मिले हथियारों के बलबूते विद्रोही समूहों ने सीरिया में अधिक जमीन हासिल कर ली और उत्तर-पश्चिमी इदलिब पर कब्जा कर लिया। रूस हवाई हमलों के साथ असद की तरफ से युद्ध में शामिल हो गया।
- 2016 - रूस की मदद से असद की सेना ने अलेप्पो शहर को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।
- 2017 - इजरायल ने सीरिया में हिजबुल्ला के खिलाफ हवाई हमले किए। इनका उद्देश्य ईरान और उसके सहयोगियों की बढ़ती ताकत को कम करना था। अमेरिका समर्थित कुर्द नेतृत्व वाली सेना ने रक्का से इस्लामिक स्टेट को खदेड़ दिया।
- 2018 - सीरियाई सेना ने पूर्वी घोउटा पर फिर से कब्जा कर लिया।
- 2019 - इस्लामिक स्टेट ने सीरिया में अपना आखिरी इलाका भी खो दिया। रूसी मदद से असद सेना ने खान शेखुन को भी अपने नियंत्रण में ले लिया।
- 2020 - असद शासन ने अधिकांश क्षेत्र और सभी मुख्य शहरों पर कब्जा कर लिया। विद्रोहियों ने उत्तर-पश्चिम पर कब्जा कर लिया। तुर्किये समर्थित सेना ने सीमा पट्टी पर कब्जा कर लिया। कुर्द नेतृत्व वाली सेना ने उत्तर-पूर्व पर नियंत्रण कर लिया।
- 2023 - सात अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले ने लेबनान में इजरायल और हिजबुल्ला के बीच लड़ाई शुरू कर दी। इससे अंतत: सीरिया में समूह की उपस्थिति कम हो गई और इसने असद शासन को कमजोर कर दिया।
- 2024 - विद्रोहियों ने अलेप्पो पर एक नया हमला किया। असद के सहयोगियों के कहीं और ध्यान केंद्रित करने के कारण उसकी सेना जल्दी ही ढह गई। इसके बाद विद्रोहियों ने सीरिया के अधिकांश प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया है और दमिश्क में प्रवेश कर असद को सत्ता से बाहर कर दिया।
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