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    भूकंप प्रभावित तुर्किये में सरकार के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा, बचाव कार्यों में देरी का लगाया आरोप

    By AgencyEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 12 Feb 2023 08:37 PM (IST)

    तुर्किये और सीरिया में मलबे से लोगों को निकालने के प्रयास जारी हैं। विनाशकारी भूकंप की वजह से अभी तक 28000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब स्थानीय लोगों का गुस्सा भी फूटने लगा है। (फोटो एपी)

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    भूकंप प्रभावित तुर्किये में सरकार के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा (फोटो: एपी)

    अंटाक्या, एपी। सीरिया और तुर्किये में आए भीषण भूकंप की वजह से अब तक 28,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सोमवार को आए भूकंप के छह दिन बाद भी राहत एवं बचाव कार्य जारी है। ऐसे में लोगों का धैर्य अब जवाब देने लगा है।

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    लोगों का मानना है कि विनाशकारी भूकंप के बाद राहत कार्यों में ढिलाई बरती गई और कुछ क्षेत्रों में अनदेखी भी हुई। तुर्किये में जारी बचाव कार्य को लेकर लोगों में गुस्सा दिखाई दिया क्योंकि अभियान बेहद धीमी गति से चल रहा है और मूल्यवान समय को भी गंवाया गया।

    बचाव कार्यों में देरी के चलते कई लोगों की मौत

    तुर्किये के दक्षिण-पूर्वी शहर आडियामान में लोगों का कहना है कि बचावकर्मियों के पहुचने में देरी के चलते उनके प्रियजनों को जान गंवानी पड़ी। शहर में रहने वाले एलिफ बुसरा ने बताया कि वह तीन दिन तक इमारत के मलबे के बाहर मदद का इंतजार करते रहे, लेकिन राहत एवं बचाव टीमों की कमी के कारण उन्हें सहायता नहीं मिल पाई।

    इसी बीच 66 वर्षीय अब्दुल्ला तास का कहना है कि मलबे में उनका पूरा परिवार दबा हुआ था। जिसमें बेटा, बहू, चार पोते-पोतियां शामिल हैं। लेकिन बचावकर्मी चार दिन बाद यहां पहुंचे। जिसकी वजह से परिजनों को नहीं बचाया जा सका।

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    भूकंप प्रभावित अन्य क्षेत्रों में भी लोगों को लगता है कि मलबे में दबे उनके परिजनों को निकालने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए। तुर्किये के प्राचीन शहर अंटाक्या में स्थानीय लोगों ने बताया कि 12-मंजिला इमारत में हजार से ज्यादा लोग रह रहे थे, लेकिन मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में लापरवाही बरती जा रही है।

    सरकार पर लगा भेदभाव का आरोप

    स्थानीय लोगों ने बचाव कार्यों की धीमी रफ्तार को लेकर तुर्किये सरकार को जिम्मेदार ठहराया और अपना गुस्सा जाहिर किया। कुछ लोगों ने तो राजनीतिक और धार्मिक कारणों के चलते भेदभाव का भी आरोप लगाया।

    उल्लेखनीय है कि तुर्किये और सीरिया में मलबे से लोगों को निकालने के प्रयास जारी हैं। हालांकि, मलबे के नीचे अभी कितने लोग दबे हो सकते हैं, इसका अंदेशा लगा पाना मुमकिन नहीं है। लेकिन बचावकर्मी जिंदगियों की तलाश में जुटे हुए हैं और आसपास के लोगों से शांत रहने की अपील कर रहे हैं ताकि मलबे में से चीख-पुकार की आवाज सुनी जा सके।

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