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    जब अकेला ही 6 अरब देशों पर भारी पड़ा था इजरायल, क्या है Six Day War की कहानी; बदल दिया था दुनिया का नक्शा

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 05:02 PM (IST)

    Israel Six Day War इजरायल और ईरान के बीच हालिया हमलों के बाद मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है। इस बीच 5 दशक पहले हुई 6 दिनों की जंग की यादें ताजा हो गई हैं जिसमें इजरायल ने अरब देशों को हराया था। 1967 में इजरायल ने ऑपरेशन फोकस के तहत मिस्र के एयरबेस पर हमला किया और कई लड़ाकू जहाजों को नष्ट कर दिया।

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    इजरायल ने सीरिया, मिस्र, सऊदी अरब, लेबनान, इराक और जॉर्डन को नाकों चने चबा दिए थे।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल और ईरान ने एक दूसरे के कई ठिकानों पर बीते चार दिनों में कई हवाई हमले किए। इसके बाद मध्य पूर्व एक बार फिर से जंग की आग में झुलस रहा है।

    ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि इजरायली हमलों में 224 लोगों की मौत हुई है। वहीं इजरायल ने कहा है कि ईरान के हमलों में अब तक 19 लोग मारे गए हैं। इजरायल के लिए ये जंग इसलिए भी अहम है क्योंकि इजरायल इसे अपनी साख की लड़ाई बताता है।

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    ईरान के साथ शुरू हुए इस संघर्ष के बाद करीब 5 दशक पहले कि वो जंग याद आती है, जिसमें अकेली इजरायली सेना ने 6 अरब मुल्कों को पस्त कर दिया था। 6 दिनों तक चली इस जंग में इजरायल ने सीरिया, मिस्र, सऊदी अरब, लेबनान, इराक और जॉर्डन को नाकों चने चबा दिए थे।

    इस लेख में हम इसी छह दिनों की जंग के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह भी जानेंगे कि आखिर इजरायल को ये जंग क्यों लड़नी पड़ी और कैसे अरब मुल्कों को इजरायली सेना के आगे मुंह की खानी पड़ी।

    इस जंग की बुनियाद 1948 में रखी जा चुकी थी, जब इजरायल नाम का नया मुल्क दुनिया के नक्शे पर उभरा। अरब मुल्कों ने इसे न सिर्फ नामंजूर किया, बल्कि फौरन जंग छेड़ दी। पहली अरब-इजरायल जंग में न सिर्फ हजारों लोग मारे गए, बल्कि लाखों फिलस्तीनी बेघर हुए।

    ये जख्म तब और गहरा हुआ जब 1956 में मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया और इजरायल, फ्रांस और ब्रिटेन ने मिस्र पर हमला बोल दिया।

    इसके बाद 1960 के दशक में सीरिया-समर्थित फिलस्तीनी गुरिल्ला बार-बार इजरायली सीमा पर हमला कर रहे थे। अप्रैल 1967 में इजरायल और सीरिया के बीच जंग छिड़ गई। इसी दौरान सोवियत रूस ने मिस्र को खुफिया जानकारी दी कि इजरायल सीरिया पर हमला करने वाला है।

    ऑपरेशन फोकस 

    इस बीच मिस्र ने अपने हजारों सिपाहियों को सिनाई प्रायद्वीप में तैनात कर दिया। मई 1967 में मिस्र ने स्ट्रेट ऑफ टिरान को बंद कर दिया। ये इजरायल के लिए समुंदर से जुड़ने का इकलौता रास्ता था। इजरायल के लिए ये सीधी चुनौती थी।

    इजरायल ने इसे जंग का ऐलान माना और 5 जून की सुबह ‘ऑपरेशन फोकस’ के तहत मिस्र के एयरबेस पर हमला कर दिया। सिर्फ कुछ घंटों में ही इजरायल ने मिस्र के सैकड़ों लड़ाकू जहाज तबाह कर दिए। एक दिन के अंदर ही अकेले मिस्र के 300 से ज्यादा विमान आसमान में तबाह हो गए। इसके साथ ही सीरिया के 60, जॉर्डन के 35 और इराक के 16 विमान भी मार गिराए गए थे। इस जंग में इजरायल की 400 विमानों की वायुसेना के मात्र 19 विमान तबाह हुए थे।

    अरब दुनिया को लगा था करारा झटका

    मिस्र, सीरिया और जॉर्डन की फौजें पूरी तैयारी में नहीं थीं। इजरायल ने न सिर्फ मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप छीना, बल्कि जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम भी ले लिया। सीरिया से गोलन हाइट्स का रणनीतिक इलाक़ा भी कब्जे में ले लिया। अरब फौजों को समझ ही नहीं आया कि इतनी जल्दी क्या हुआ। 

    मशहूर लेखक और राजनेता माइकल बी ओरेन ने अपनी किताब 'सिक्स डेज ऑफ वॉर' में इजरायली हमले का विस्तार से जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है, "जब इजरायल का हमला हुआ तो मिस्र के लगभग सभी जेट जमीन पर थे और उनके पायलट नाश्ता कर रहे थे। पायलट ऐसा मान कर चल रहे थे कि अगर इजरायली हमला भी करेंगे तो सुबह करेंगे। इसलिए उनके सारे विमान गश्त लगा कर मिस्र के समय के अनुसार 8 बज कर 15 मिनट तक अपने ठिकानों पर लौट आए थे।"

    माइकल लिखते हैं, "उस वक्त सिर्फ चार ट्रेनी पायलट आसनाम में गश्त कर रहे थे और उनके पास कोई डिफेंस करने का कोई तजुर्बा नहीं था।"

    पहला दिन- 5 जून 1967

    सुबह-सुबह इजरायली एयरफोर्स ने ऑपरेशन फोकस के तहत मिस्र के हवाई अड्डों पर धावा बोला। तीन घंटे के अंदर इजरायल ने मिस्र के 300 से ज्यादा जहाज नष्ट कर दिए। इसके बाद इजरायल की सेना ने जमीनी हमला शुरू कर दिया और सीधा सिनाई प्रायद्वीप में घुस गई।

    दूसरा दिन- 6 जून

    जॉर्डन की सेना ने यरुशलम और तेल अवीव पर गोले बरसाने शुरू किए। इजरायल ने पलटवार किया और वेस्ट बैंक में जॉर्डन के कब्जे वाले इलाकों पर चढ़ाई कर दी। इसी दिन सीरिया ने गोलन हाइट्स से हमला किया, लेकिन इजरायल ने जबरदस्त जवाब दिया।

    तीसरा और चौथा दिन- 7-8 जून

    7 जून को इजरायली सैनिकों ने पूर्वी यरुशलम में घुसकर “वेस्टर्न वॉल” यानी दीवार-ए-बुराक़ (यहूदियों का पवित्र स्थल) पर कब्जा कर लिया। उधर दक्षिण में इजरायल की फौजें गाजा पट्टी और सिनाई में तेजी से आगे बढ़ रही थीं। मिस्र की फौज पीछे हट रही थी।

    पांचवा दिन- 9 जून

    पांचवे दिन इजरायली सेना ने सीरिया को धूल चटा दी। इजरायली सेना ने गोलन हाइट्स पर भी चढ़ाई कर दी। यह इलाका ऊंचाई पर था, जहां से सीरियाई सेना इजरायल के इलाकों को आसानी से निशाना बनाती थी। जबरदस्त तोपों और टैंकों की लड़ाई हुई। इजरायल ने कई मोर्चों से हमला किया और सीरिया की फ़ौज को खदेड़ दिया।

    छठा दिन- 10 जून

    10 जून के दिन ही गोलान हाइट्स से सीरिया पीछे हटा और संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद 10 जून को युद्धविराम लागू हो गया। छह दिन की यह जंग खत्म हुई, लेकिन इजरायल ने अपने तीनों मोर्चों पर जीत दर्ज कर ली थी।

    इस जंग के बाद क्या बदला?

    इस जंग के बाद इजरायल एक बड़ी क्षेत्रीय ताकत बनकर उभरा। अरब देशों की सैन्य रणनीति पर सवाल उठने लगे और फिलस्तीनी शरणार्थी संकट और बढ़ गया। कब्ज़ाए गए इलाकों को लेकर आज तक विवाद जारी हैं। 

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