ईरान ने परमाणु समझौते की शर्तों को आंशिक रूप से तोड़ा, अमेरिका से बढ़ सकता है तनाव
ईरान ने परमाणु समझौते के हस्ताक्षरकर्ताओं को सूचित किया कि अब वह समझौते में किए गए कुछ स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं करेगा।
तेहरान, एजेंसी। ईरान के मीडिया ने कहा है कि तेहरान ने 2015 के परमाणु समझौते की शर्तों के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को कमतर करने के लिए पत्र भेजा है। कहा जा रहा है कि ईरान ने कुछ हस्ताक्षरकर्ताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अमेरिकी दबाव की शर्तों के आगे हथियार डाल दिया है।
ईरान ने बुधवार को 2015 की संयुक्त व्यापक योजना (JCPOA) परमाणु समझौते के लिए हस्ताक्षरकर्ताओं को सूचित किया कि अब वह समझौते में किए गए कुछ "स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं" का पालन नहीं करेगा। वहीं दूसरी ओर तेहरान को एक "स्पष्ट और अचूक" संदेश भेजने के लिए अमेरिका ने मध्य पूर्व के लिए एक विमान वाहक हवाई हमले के समूह को भेजने का फैसला किया है।
ईरान से परमाणु समझौता रद
ज्ञात हो कि पिछले साल 8 मई को अमेरिका ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को रद कर दिया था। हालांकि, इस समझौते से जुड़े दूसरे देश अब भी ईरान के साथ हैं, लेकिन अमेरिकी बेड़े की पश्चिम एशिया में तैनाती पर फिलहाल सभी चुप हैं। आपको बता दें कि अमेरिका ईरान को दुनिया में अलग-थलग करने की नीति पर काफी हद तक सफल हुआ है। वह भी तब, जबकि यूरोपीय संघ के कई देश परमाणु करार रद करने पर अमेरिका के खिलाफ दिखाई दिए थे। अमेरिका ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इसके अलावा तेल खरीद पर भी अमेरिका ने ईरान के हाथ काट दिए हैं।
ईरान की अर्थव्यवस्था की टूट जाएगी कमर
इतना ही नहीं, भारत और चीन जो ईरान से तेल खरीद के सबसे बड़े खरीददार थे, को भी कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। अमेरिका के इस फैसले का असर जापान, दक्षिण कोरिया और तुर्की पर भी पड़ेगा। इस फैसले के पीछे ट्रंप की मंशा ईरान की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ना है। आपको बता दें कि ईरान की कमाई का सबसे बड़ा जरिया कच्चा तेल ही है। ऐसे में यदि वह इस कारोबार से बाहर हो जाता है तो उसको दिवालिया होने से कोई रोक नहीं पाएगा।
इनसे है ईरान का छत्तीस का आंकड़ा
ऐसे में ईरान के पास कोई भी विकल्प नहीं बचा है। ईरान की समस्या एक ये भी है कि सऊदी अरब और अमेरिका के बेहतर संबंध हैं और ईरान-सऊदी अरब में छत्तीस का आंकड़ा है। इसके अलावा परमाणु करार से अमेरिका के बाहर होने के बाद ट्रंप ने पिछले माह ही ईरान के विशिष्ट बल रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था। इसके जवाब में ईरान ने भी अमेरिकी सेना को इसी तरह का दर्जा दिया था।
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