इजरायली सेना के आगे घुटनों पर आया हमास, अब आमने-सामने की लड़ाई छोड़ गुरिल्ला वार नीति अपना रहा
गाजा युद्ध को लगभग दो वर्ष हो गए हैं। युद्ध में 65 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद साधन संपन्न इजरायली सेना और वायुसेना करीब 400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाली गाजा पट्टी पर पूर्ण कब्जा नहीं कर पाई हैं। सबसे बड़े शहर गाजा सिटी पर कब्जे के लिए छिड़ी लड़ाई में हमास अब रणनीति बदलकर इजरायली सेना का मुकाबला कर रहा है।

डिजिटल डेस्क, तेल अवीव। गाजा युद्ध को लगभग दो वर्ष हो गए हैं। युद्ध में 65 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद साधन संपन्न इजरायली सेना और वायुसेना करीब 400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाली गाजा पट्टी पर पूर्ण कब्जा नहीं कर पाई हैं।
रणनीति बदलकर इजरायली सेना का मुकाबला कर रहा है हमास
सबसे बड़े शहर गाजा सिटी पर कब्जे के लिए छिड़ी लड़ाई में हमास अब रणनीति बदलकर इजरायली सेना का मुकाबला कर रहा है। हमास लड़ाके अब छोटे-छोटे समूहों में बंटकर इजरायली सेना के साथ गुरिल्ला वार कर रहे हैं।
इजरायली सेना की जमीनी कार्रवाई पिछले हफ्ते शुरू
मारे गए फलस्तीनियों में दसियों हजार हमास और सशस्त्र संगठनों के लड़ाके हैं, इसके बावजूद गाजा में हमास अभी भी अपराजित है। इस समय लड़ाई हमास के प्रभाव वाले गाजा सिटी में चल रहा है। उसे जीतने के लिए इजरायली सेना की जमीनी कार्रवाई पिछले हफ्ते शुरू हुई है जबकि हवाई हमले अक्टूबर 2023 से ही जारी हैं।
माना जा रहा है कि गाजा सिटी में छह लाख लोग मौजूद हैं, उनमें 50 हजार तक हमास और अन्य संगठनों के लड़ाके हो सकते हैं। सुरंगों के जाल के ऊपर बसे शहर में इजरायली सेना के लिए जमीनी लड़ाई मुश्किल हो सकती है, इसीलिए इजरायल इस लड़ाई को टालता रहा।
एक समय हमास के बड़े पदाधिकारी रहे वासेम अफीफा ने बताया हमास की सशस्त्र शाखा समय और जरूरत के मुताबिक अपनी भूमिका बदलने में सिद्धहस्त है। दो वर्ष तक लड़ने के बाद वह अब गुरिल्ला वार की नीति पर चल रही है और लड़ाके खुद को बचाते हुए इजरायली सैनिकों पर अचानक हमले कर रहे हैं। वे छोटे-छोटे समूहों में बंट गए हैं, इसलिए संगठित सेना को उनसे मुकाबला करना मुश्किल हो गया है।
गाजा सिटी में यह लड़ाई लंबी खिंच सकती है
आमने-सामने की लड़ाई न होने से गाजा सिटी में यह लड़ाई लंबी खिंच सकती है। हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के पूर्व निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा है कि हमास की हैसियत अब 2023 वाली नहीं रही है। वह अब अक्टूबर 2023 जैसा हमला करने की स्थिति में नहीं है। दो साल की लड़ाई में उसके ज्यादातर लड़ाके और कमांडर मारे जा चुके हैं। बावजूद इसके हमास गुरिल्ला वार छेड़कर लड़ाई में बना रह सकता है।
(इनपुट-न्यूयॉर्क टाइम्स)
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