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    8 दशक से बर्बादी झेल रहा गाजा... कभी मिस्त्र करता था नियंत्रण, अब हमास ने संभाली कमान; पढ़िए पूरा इतिहास

    Updated: Wed, 05 Feb 2025 11:30 PM (IST)

    मई 1948 में नए-नए स्थापित यहूदी राज्य इजरायल और उसके मुस्लिम अरब पड़ोसियों के बीच एक पूर्ण युद्ध में बदल गया। इस संघर्ष ने फलस्तीन के हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया। इससे वे गाजा पट्टी में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए। मिस्त्र ने 1950 और 1960 करीब दो दशकों तक चले अपने सैन्य शासन के तहत गाजा पट्टी का प्रशासन संभाला। पढ़िए पूरा इतिहास

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    गाजा पर अमेरिका का नियंत्रण चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप (फोटो: रॉयटर्स)

    जेएनएन, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सुझाव दिया है कि गाजा के विस्थापित फलस्तीनियों को इस क्षेत्र से बाहर बसाया जाना चाहिए और गाजा पर अमेरिका का नियंत्रण होना चाहिए।

    उनका कहना है कि अमेरिका गाजा का नए सिरे से निर्माण करेगा और उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। ट्रंप के इस प्रस्ताव से पश्चिम एशिया में नए सिरे से तनाव भड़क सकता है।

    आइये एक नजर डालते हैं संकटग्रस्त रहे गाजा के इतिहास पर...

    ब्रिटिश शासन के अंत वर्ष 1940 के दशक के अंत में जब फलस्तीन में ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकरण कमजोर हुआ, तो यहूदी और अरब समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। यह आखिरकार मई 1948 में नए-नए स्थापित यहूदी राज्य इजरायल और उसके मुस्लिम अरब पड़ोसियों के बीच एक पूर्ण युद्ध में बदल गया।

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    इस संघर्ष ने फलस्तीन के हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया। इससे वे गाजा पट्टी में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए। मिस्त्र की हमलावर सेना ने इस संकरी तटीय पट्टी पर कब्जा कर लिया। इससे गाजा की आबादी लगभग दो लाख हो गई।

    मिस्त्र का नियंत्रण

    • मिस्त्र ने 1950 और 1960 करीब दो दशकों तक चले अपने सैन्य शासन के तहत गाजा पट्टी का प्रशासन संभाला। मिस्त्र ने फलस्तीन के लोगों को मिस्त्र में काम करने और अध्ययन करने की अनुमति दी। आगे चल कर फलस्तीन के आत्मघाती हमलावरों ने इजरायल पर हमले किए।
    • इनमें कई शरणार्थी भी थे। इजरायल को इन हमलों का जवाब देना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) की स्थापना की। मौजूदा समय में यह एजेंसी गाजा पट्टी और अन्य क्षेत्रों में 16 लाख पंजीकृत फलस्तीनी शरणार्थियों को सेवाएं प्रदान करती है।

    इजरायल का कब्जा

    1967 के पश्चिम एशिया के संघर्ष के दौरान इजरायल ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। उस समय, एक इजरायली जनगणना में गाजा की आबादी 3,94,000 दर्ज की गई थी, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक शरणार्थी थे।

    मिस्त्र के तस्वीर से बाहर होने के साथ, गाजा के कई लोगों को इजरायल के विभिन्न उद्योगों में रोजगार मिला। इजरायली सेना प्रशासन पर नियंत्रण और बाद के दशकों में बनी बस्तियों की रक्षा के लिए बनी रही। इससे फलस्तीन के लोगों में असंतोष पैदा हुआ।

    पहला फलस्तीनी विद्रोह, हमास का उदय

    • 1967 के युद्ध के दो दशक बाद, फलस्तीनी लोगों ने अपना पहला विद्रोह या इंतिफादा शुरू किया। यह आंदोलन दिसंबर 1987 में गाजा के जबालिया शरणार्थी शिविर में एक इजरायली ट्रक और फलस्तीनी श्रमिकों के बीच एक दुखद दुर्घटना के बाद शुरू हुआ।
    • इस घटना के बाद पथराव, हड़ताल और बंद हुए। जनता में इस गुस्से का फायदा उठाते हुए मिस्त्र स्थित मुस्लिम ब्रदरहुड ने सशस्त्र फलस्तीनी समूह हमास की स्थापना की। हमास ने यासर अराफात की फतह पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की।

    ओस्लो समझौता

    1993 में एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे फलस्तीनी प्राधिकरण का गठन हुआ। इस अंतरिम समझौते के तहत, फलस्तीन के लोगों ने शुरुआत में गाजा और वेस्ट बैंक के जेरिको में सीमित नियंत्रण हासिल किया।

    ओस्लो प्रक्रिया ने फलस्तीनी प्राधिकरण को कुछ स्वायत्तता प्रदान की और पांच वर्षों के भीतर राज्य का दर्जा देने की कल्पना की। हालांकि, यह सोच अधूरा रह गया। सुरक्षा समझौतों और इजरायली बस्तियों के लगातार निर्माण को लेकर हुए विवादों ने संबंधों को खराब कर दिया।

    दूसरा फलस्तीनी विद्रोह

    • वर्ष 2000 में, इजरायल और फलस्तीन के संबंध दूसरा इंतिफादा के फैलने के साथ और खराब हो गए। इसके बाद गाजा आत्मघाती बम विस्फोट, गोलीबारी, इजरायली हवाई हमले, विध्वंस और कफ्र्यू तक का गवाह बना।
    • गाजा का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा ध्वस्त कर दिया गया। यह फलस्तीन की आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक था और बाहरी दुनिया से संपर्क का एकमात्र जरिया था।
    • अगस्त 2005 में, इजरायल ने गाजा पट्टी से अपने सैनिकों और वहां बसने वालों को वापस ले लिया। फलस्तीन के लोगों ने इजरायल द्वारा खाली की गई संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद एक सुरंग अर्थव्यवस्था पनपी।
    • हालांकि, इजरायल के लोगों की वापसी ने बस्ती आधारित उद्योगों को समाप्त कर दिया, जिससे गाजा के लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ।

    हमास का नियंत्रण

    हमास ने 2006 में फलस्तीन के संसदीय चुनाव में आश्चर्यजनक जीत हासिल की। इसके बाद हमास ने गाजा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। इसके बाद कई देशों ने हमास-नियंत्रित क्षेत्रों में सहायता रोक दी और इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया।

    संघर्ष का अंतहीन चक्र

    इजरायल और फलस्तीनी आतंकी समूहों के बीच संघर्ष, हमलों और प्रतिशोध का चक्र शुरू हो गया जिससे गाजा पट्टी को बार-बार आर्थिक झटके लगे। सबसे गंभीर झड़पों में से एक वर्ष 2014 में हुई। हमास और अन्य समूहों ने इजरायली शहरों में रॉकेट दागे।

    इसके बाद गाजा में विनाशकारी इजरायली हवाई हमले हुए और तोप से बमबारी हुई। 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के सैकड़ों आतंकियों ने इजरायल में घुस कर घातक हमले किए और सौ से अधिक इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर पूरी ताकत से हमला किया और गाजा को नेस्तानाबूद कर दिया।

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