ट्रंप के गाजा पीस प्लान से पीछे हटेंगे नेतन्याहू? पढ़ें फलस्तीन के दर्जे पर क्या है इजरायल का प्लान
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की शांति योजना को मानने के बाद ही फिलिस्तीनी राज्य की संभावना को खारिज कर दिया। नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को ऐतिहासिक बताया लेकिन कुछ हिस्सों को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि यह योजना हमास को अलग-थलग करने में सफल रही है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की 20-सूत्री शांति योजना को मानने के कुछ घंटे बाद ही इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते के तहत फिलिस्तीनी राज्य की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया।
वाशिंगटन में ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के बाद एक वीडियो संदेश में नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को ऐतिहासिक करार दिया, लेकिन इसके कुछ हिस्सों को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश भी की। उन्होंने दावा किया कि यह योजना हमास को अलग-थलग करने में कामयाब रही है।
'हमने बाजी पलट दी...'
नेतन्याहू ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक दौरा था। हमास हमें अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हमने बाजी पलट दी और हमास को ही अलग कर दिया।"
अब पूरा विश्व, जिसमें अरब और मुस्लिम देश भी शामिल हैं, हमास पर दबाव बना रहा है कि वह ट्रंप के साथ मिलकर बनाए गए हमारे शर्तों को माने, ताकि सभी बंधकों को वापस लाया जाए, जबकि इजरायली सेना (आईडीएफ) गाजा में बनी रहे।
बेंजामिन नेतन्याहू, प्रधानमंत्री, इजरायल
מסכמים ביקור חשוב בארה״ב.
— Benjamin Netanyahu - בנימין נתניהו (@netanyahu) September 29, 2025
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फलस्तीनी राज्य पर नेतन्याहू का इंकार
नेतन्याहू ने वीडियो में साफ किया कि इस समझौते में फलस्तीनी राज्य की स्थापना का कोई जिक्र नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह समझौता फलस्तीनी राज्य की ओर इशारा करता है, तो उन्होंने दो टूक कहा, "बिल्कुल नहीं। यह समझौते में लिखा ही नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने साफ कहा कि हम फलस्तीनी राज्य का पुरजोर विरोध करेंगे।" नेतन्याहू ने दावा किया कि ट्रंप भी इस बात से सहमत हैं कि फलस्तीनी राज्य आतंकवाद के लिए बड़ा इनाम होगा।
हालांकि, व्हाइट हाउस की ओर से जारी योजना में साफ तौर से गाजा के पुनर्विकास और फलस्तीनी प्राधिकरण में सुधारों के बाद “फलस्तीनी आत्मनिर्णय और राज्य की ओर एक विश्वसनीय रास्ता” छोड़ने की बात कही गई है। यह बयान नेतन्याहू के दावों के ठीक उलट है, जो समझौते की शर्तों को लेकर भ्रम पैदा करता है।
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