कंगाल पाकिस्तान के चक्कर में अजरबैजान भी होगा बर्बाद! आखिर इस मुस्लिम देश ने भारत से क्यों मोल ली दुश्मनी?
भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष में तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ दिया। अब अजरबैजान भी पाकिस्तान का हमदर्द बन गया है। भारत के सैन्य हमले की अजरबैजान ने निंदा की है। अजरबैजान तुर्किये के बहकावे में आकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। पाकिस्तान के चक्कर में अजरबैजान को जबरदस्त नुकसान हो रहा है। अजरबैजान में मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान (India Pakistan Conflict) के बीच चले चार दिनों के सैन्य संघर्ष में तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ दिया, ये तो सभी जानते हैं। पिछले कई सालों से कश्मीर के मुद्दे पर भी तुर्किये ने पाकिस्तान की पैरवी की है।
लेकिन, पिछले कुछ दिनों एक और देश, पाकिस्तान का हमदर्द बना हुआ है। यह देश भारत से करीब 2900 किलोमीटर दूर, ईरान का पड़ोसी और सोवियत संघ के विघटन के बाद बना मुल्क, अजरबैजान है।
भारत ने जब पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का सफाया किया तो अजरबैजान ने भी पाकिस्तान को रोने के लिए अपना कंधा दिया। इस देश ने भारत के सैन्य हमले की निंदा की और पाकिस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े रहने की बात कही।
सवाल कि पहलगाम हमले के बाद जब पूरी दुनिया पाकिस्तान को धिक्कार रही है तो अजरबैजान उसके साथ क्यों खड़ा है ?
जवाब है कि इन तीनों देशों का सॉफ्ट इस्लामिज्म वाला प्यार चल रहा है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन और उनकी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी तुर्किये में इस्लामिक विचारधारा को बढ़ाने पर जोर देर रही है। अजरबैजान, जिसे मुस्लिम धर्मनिरपेक्ष कहा जाता वो भी तुर्किये के बहकावे में आकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है।
कहा जाता है तुर्किये और अजरबैजान, वन नेशन टू स्टेट की तरह है। वहीं, पाकिस्तान तो पूरी तरह कट्टर इस्लामिक देश बन चुका है। इसलिए तीनों एक दूसरे के 'भाईजान' बन चुके हैं।
तीनों देशों के बीच याराना संबंध के पीछे एक और बड़ी वजह है, वो है अजरबैजान और अर्मीनिया के बीच चल रहा विवाद।
दरअसल, दोनों देशों के बीच 4,403 किलोमीटर क्षेत्र में फैले जमीन के टुकड़े को लेकर विवाद चल रहा है। इस क्षेत्र को नागोर्नो-काराबाख कहा जाता है। पिछले कई सालों से इस इलाके पर कब्जा करने के लिए दोनों देश कई बार आमने-सामने आ चुके हैं।
(Map not to scale)
पाकिस्तान तो खुलकर इस मुद्दे पर अजरबैजान का साथ देता रहा है, लेकिन भारत ने अजरबैजान और अर्मीनिया के बीच हुए तनाव में सधा और संतुलित रवैया अपनाया है। यह बात अजरबैजान को खटकती है।
अब ये जान लें कि भारत और अजरबैजान के बीच रिश्ता कैसा है?
मौजूदा समय में भारत, अजरबैजान का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हर साल लाखों की तादाद में भारतीय, अजरबैजान घूमने जाते हैं। अजरबैजान में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं।
भारत अजरबैजान को चावल, मोबाइल फोन, एल्युमिनियम ऑक्साइड, दवाओं, स्मार्टफोन, सिरेमिक टाइल्स, ग्रेनाइट, मशीनरी, मांस और जानवरों का निर्यात करता है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की पैरवी करने वाले तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ भारत ने कड़ी कार्रवाई की है। भारतीयों ने तुर्किये और अजरबैजान के उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार किया है। इस फैसले से अजरबैजान के पर्यटन उद्योग को जोर का झटका लगने वाला है। कुल मिलाकर पाकिस्तान के चक्कर में अजरबैजान अपना जबरदस्त नुकसान करवा रहा है।
धर्मनिर्पेक्ष मुस्लिम देश है अजरबैजान
अजरबैजान में करीब 96 फीसदी फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। मुस्लिम बहुल होने के बाद भी अजरबैजान एक धर्मनिरपेक्ष देश है। सन् 1918 में यह देश पहला मुस्लिम धर्मनिरपेक्ष देश बना था। अजरबैजान के संविधान के मुताबिक, यहां किसी भी धर्म को राष्ट्रीय धर्म का दर्जा नहीं प्राप्त है और सभी धर्मों को मानने वाले लोगों को समान अधिकार दिए गए हैं।
मुस्लिम बहुल होने के बावजूद इस देश में महिलाओं को लेकर कड़े प्रतिबंध लागू नहीं किए गए हैं और इस देश में स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर भी प्रतिबंध है। तुर्किये और पाकिस्तान के बहकावे में आकर अजरबैजान की सरकार भारत से दुश्मनी मोल लेने की गलती कर रही है,जिसका उसे जबरदस्त नुकसान चुकाना पड़ सकता है।
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