तियानमेन चौक नरसंहार: एक कमांडर जिसने नहीं चलाई निहत्थे छात्रों पर गोली, 35 साल बाद लीक हुआ कोर्ट मार्शल का वीडियो
1989 में बीजिंग के तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की आवाज उठाने वाले छात्रों पर गोली चलाने से इनकार करने वाले कमांडर के कोर्ट मार्शल का वीडियो सामने आया है। ...और पढ़ें

कोर्ट मार्शल में बैठे जनरल जू किनक्सियन (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1989 में बीजिंग के तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की आवाज उठाने वाले छात्रों पर गोली और टैंक चलाने का आदेश दिया गया था, लेकिन एक कमांडर ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था।
उस नरसंहार ने 35 साल बाद उस कमांडर के कोर्ट मार्शल का वीडियो सामने आया है। वीडियो करीब छह घंटे का है जिसमे कमांडर अपने फैसले के प्रति अडिग दिखाई दे रहा है। उस कमांडर का नाम था जनरल जू किनक्सियन। आखिर क्या है जनरल जू किनक्सियन की पूरी कहानी?
कोर्ट-मार्शल की कहानी
तियानमेन चौक नरसंहार के एक साल बाद, 1990 में जनरल जू का कोर्ट-मार्शल हुआ। एक फुटेज में जनरल जू को बताते हुए सुना गया कि उन्होंने व्यक्तिगत विवेक के आधार पर आदेश को मानने से अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने जजों से कहा, 'नागरिकों के खिलाफ हथियारबंद सेना भेजने से अराजकता और खून खराबा होता है।'
38वीं ग्रुप आर्मी की संभाली थी कमान
जनरल जू ने छोटे दुकानदार के परिवार से निकलकर 38वीं ग्रुप आर्मी की कमान संभाली थी, जो सेना की सबसे प्रतिष्ठित इकाइयों में से एक है।
लेकिन 1990 में उनके कोर्ट-मार्शल के समय उनसे उनकी कमान छीन ली गई थी, उन पर मार्शल लॉ के आदेशों की अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया था।

दया की नहीं मांगी भीख
कोर्ट मार्शल के सामने आए छह घंटे के वीडियो में जनरल जू को सादे नागरिक कपड़ों में, तीन सैनिकों की निगरानी में कोर्ट रूम में प्रवेश करते हुए देखा गया।
वहां कोई जनता नहीं, केवल 3 सैन्य जज थे। यहां जनरल जू ने दया की भीख नहीं मांगी। इसके बजाय, उन्होंने साफ रूप से बताया कि उन्होंने आदेश मानने से इनकार क्यों किया?
जनरल जू को सुनाई गयी थी पांच साल की सजा
जनरल जू को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। 2021 में 85 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। 2011 में, उन्होंने हांगकांग के एक अखबार से कहा कि उन्हें अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है।
क्या था तियानमेन चौक नरसंहार?
तियानमेन चौक का नरसंहार दुनिया के सबसे क्रूर नरसंहार में से एक है। इस घटना में सरकार ने अपने ही छात्रों को मौत के घाट उतार दिया था। रेड क्रॉस के मुताबिक इस नरसंहार में मौत की संख्या 2,600 के करीब है।

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