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    तिब्बत भूकंप की दिल दहलाने वाली 10 तस्वीरें, अब तक 126 की मौत; चारों तरफ मलबा ही मलबा

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 11:30 PM (IST)

    चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के पवित्र शहर शिगात्से के पास आज सुबह 6.8 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। भूकंप के कारण 126 लोगों की जान चली गई। भूकंप के कारण पड़ोसी देशों में भी इमारतें हिल गईं लेकिन इन देशों में किसी की मौत की खबर नहीं है। भूकंप के बाद की तबाही की भयावह तस्वीरें सामने आई हैं।

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    तिब्बत भूकंप की दिल दहलाने वाली तस्वीरें (फोटो- रॉयटर्स)

    रॉयटर, बीजिंग। हिमालय की उत्तरी तलहटी में स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के पवित्र शहर शिगात्से के पास मंगलवार सुबह 6.8 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र तिंगरी काउंटी में था जो माउंट एवरेस्ट क्षेत्र का उत्तरी द्वार माना जाता है। इसकी गहराई 10 किलोमीटर थी।

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    हालांकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सेवा ने इसकी तीव्रता 7.1 बताई है। भूकंप के कारण कम से कम 126 लोगों की मौत हो गई और 188 अन्य घायल हो गए। पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और भारत में भूकंप से इमारतें हिल गईं, लेकिन इन देशों में किसी की मौत की खबर नहीं है।

    भूकंप के बाद 4.4 तक की तीव्रता के दर्जनों झटके भी महसूस किए गए।चीन के क्षेत्रीय आपदा राहत मुख्यालय के अनुसार, सुबह 9:05 बजे (बीजिंग समय) आए इस भूकंप को पूरे शिगात्से क्षेत्र में महसूस किया गया, जिसकी आबादी लगभग आठ लाख है।

    इस क्षेत्र का प्रशासन शिगात्से शहर द्वारा किया जाता है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक पंचेन लामा का स्थान है। भूकंप के केंद्र के 20 किलोमीटर के भीतर तीन टाउनशिप और 27 गांव हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग 6,900 है। इसमें 1,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। स्थानीय अधिकारी भूकंप के प्रभाव का आकलन करने और हताहतों का पता लगाने में जुटे हैं।

    राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि हताहतों की संख्या कम करने के लिए राहत एवं बचाव के व्यापक प्रयास किए जाने चाहिए, प्रभावित लोगों का समुचित पुनर्वास किया जाए और उन्हें सर्दी से बचाने के उपाय किए जाएं। भूकंप प्रभावित क्षेत्र में चीन ने 1,500 से अधिक अग्निशमक और बचावकर्मी लगाए गए हैं। साथ ही तंबू, कोट, रजाई और फोल्डिंग बेड समेत लगभग 22,000 वस्तुएं भेजी हैं।

    भूकंप के बाद चीन ने पर्यटकों के लिए एवरेस्ट दर्शन के स्थान बंद कर दिए।नेपाल पर्यटन विभाग के अधिकारी लीलाथर अवस्थी ने बताया कि नेपाल में सर्दियों का मौसम पर्वतारोहियों में लोकप्रिय नहीं है। लिहाजा एक जर्मन पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का परमिट लिया था। लेकिन वह शिखर पर नहीं पहुंच पाने के कारण पहले ही बेस कैंप छोड़ चुका था।

    नेपाल के राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि तिब्बत की सीमा से लगे सात पहाड़ी जिलों में झटके महसूस किए गए। राजधानी काठमांडू में घबराहट के कारण कई लोग अपने घरों से बाहर आ गए। लोगों ने देखा कि सड़कों पर इमारतें, पेड़ और बिजली के तार हिल रहे थे। भारत और भूटान के अधिकारियों ने किसी भी नुकसान या संपत्ति के नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं दी।

    गौरतलब है कि भारत और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों में टकराव के कारण चीन के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से, नेपाल और उत्तर भारत में अक्सर भूकंप आते हैं। तिंगरी का भूकंप ल्हासा ब्लाक के रूप में जाने जाने वाले हिस्से में दरार के कारण आया। 1950 के बाद से ल्हासा ब्लाक में छह या उससे अधिक तीव्रता के 21 भूकंप आए हैं। इनमें सबसे बड़ा 2017 में मैनलिंग में 6.9 तीव्रता का भूकंप था।

    मैनलिंग तिब्बत की यारलुंग जंगबो नदी के निचले हिस्से में स्थित है, जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाने की योजना बना रहा है।

    2015 में नेपाल की राजधानी काठमांडू के पास 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए थे और हजारों घायल हुए थे। मृतकों में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप में हिमस्खलन की चपेट आकर मरने वाले 18 लोग शामिल थे।

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