पुतिन को गले लगाया, चिनफिंग से मिलाया हाथ, एर्दोगन की पीठ पर दी थपकी ; SCO समिट में छाए PM मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग से मुलाकात की जबकि पाकिस्तान के पीएम शरीफ को अनदेखा किया। उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर निशाना साधा और सदस्य देशों से आतंकवाद पर दोहरे मापदंड त्यागने का आह्वान किया। मोदी ने वैश्विक शांति के लिए आतंकवाद अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का आग्रह किया।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से गले मिलकर, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हाथ मिलाकर और तुर्किये के राष्ट्रपति रीसेप तैयप एर्दोगन की पीठ पर थपकी देकर एससीओ शिखर सम्मेलन में अपनी अलग छाप छोड़ी। इन सबके बीच उन्होंने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की तरफ देखा तक नहीं।
अपने हाव-भाव के जरिये पीएम मोदी ने दुनिया को संदेश दे दिया कि कौन उनका मित्र है और कौन नहीं। पीएम मोदी को चिनफिंग और पुतिन के साथ हंसी मजाक करते भी देखा गया, जबकि बगल में खड़े पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ इस मुलाकात को बस देखते भर रह गए।
मोदी-पुतिन की दोस्ती, देखते रह गए शरीफ
अमेरिकी टैरिफ तनाव के बीच पीएम मोदी का दोनों नेताओं के साथ दोस्ताना व्यवहार ये संदेश देता है कि वह इस भंवर से निकलने को लेकर आश्वस्त हैं। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को मोदी के हाव-भाव से ही मिर्ची नहीं लगी, बल्कि सम्मेलन में पीएम ने पहलगाम में आतंकी हमले के संदर्भ में पाकिस्तान पर निशाना साधकर उनके लिए असहज स्थिति पैदा कर दी।
आतंकवाद पूरी मानवता के लिए चुनौती- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को संबोधित करते हुए देशों से वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए खतरा बने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने शहबाज शरीफ की मौजूदगी में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और कहा कि पहलगाम हमला न केवल भारत के आत्मा पर हमला है, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वालों के लिए भी चुनौती है।
आतंकवाद पर दोहरे मापदंड का हो त्याग- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ सदस्यों से आतंकवाद पर अपने ''दोहरे मानदंडों'' को त्यागने का आह्वान किया। आपरेशन सिंदूर के बाद तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को समर्थन दिए जाने को लेकर नई दिल्ली और अंकारा के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। इन सबके बीच मोदी- एर्दोगन के संबंधों में गर्मजोशी भी महत्वपूर्ण है।
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