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    'चीन तो चाहता ही था की भारत...', अमेरिकी मीडिया में छाए पीएम मोदी, ट्रंप को बना दिया विलेन

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 08:53 PM (IST)

    चीन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन पर अमेरिकी मीडिया में गहमागहमी रही। अखबारों ने ट्रंप को भारत-अमेरिका संबंध में दरार के लिए दोषी बताया और चीन को नई विश्व व्यवस्था बनाते दिखाया। पीएम मोदी का चीन में भव्य स्वागत और राष्ट्रपति का व्यवहार सुर्खियों में रहा। कुछ ने इसे चीन का दबदबा दिखाने का तरीका बताया।

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    अमेरिकी मीडिया में एससीओ शिखर सम्मेलन की गूंज (फोटो सोर्स- रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन पर अमेरिकी मीडिया में काफी गहमागहमी देखी गई।

    तमाम अमेरिकी अखबारों ने डोनाल्ड ट्रंप को भारत-अमेरिका संबंध में दरार डालने के लिए विलेन की तरह पेश किया, जबकि चीन को नई विश्व व्यवस्था का समीकरण तैयार करते हुए दिखाया है। पीएम मोदी के चीन में भव्य स्वागत और चीन के राष्ट्रपति का उनके साथ व्यवहार अमेरिकी मीडिया की सुर्खियों में है।

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    कुछ मीडिया संस्थानों ने दावा किया कि चीन ने इस शिखर सम्मेलन का इस्तेमाल अपने दबदबे को दिखाने के लिए किया। अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने तियानजिन शिखर सम्मेलन को अमेरिका के खिलाफ चीन की नई कूटनीतिक मुहिम की तरह पेश किया है।

    अखबार ने लिखा है कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग एससीओ को सिर्फ सुरक्षा मंच नहीं, बल्कि आर्थिक-सहयोगी ब्लाक बनाना चाहते हैं। सीएनएन, न्यूयार्क टाइम्स, ब्लूमबर्ग समेत ज्यादातर अखबारों में इस बात का उल्लेख है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की 25 सालों की मेहनत बर्बाद करते हुए भारत को एक झटके में चीन और रूस के खेमे में खड़ा कर दिया है।

    अमेरिकी मीडिया ने चिंता भी जताई है कि क्या पीएम मोदी की रूस और चीन से नजदीकी भारत को धीरे-धीरे वाशिंगटन से दूर कर रही है।रविवार को द इकोनोमिस्ट की कवरेज में एससीओ शिखर सम्मेलन को भारत और चीन के बीच सुधरते संबंधों का एक शानदार उदाहरण बताया गया है।

    द इकोनोमिस्ट ने लिखा है कि ट्रंप के बेमतलब के निर्णयों ने भारत को अमेरिका से दूर कर दिया। ट्रंप ये आकलन ही नहीं कर पाए कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश और विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था उनके इस निर्णय पर किस तरह की प्रतिक्रिया करेगा। न्यूयार्क टाइम्स ने पहले पेज पर एससीओ शिखर सम्मेलन को चीन केंद्रित रखा है।

    अखबार ने लिखा है कि शी चिनफिंग ने इस कार्यक्रम का इस्तेमाल 'चीन की वैश्विक ताकत का प्रदर्शन' करने के लिए किया। न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि रूस और भारत के नेताओं की यात्रा के जरिये शी चिनफिंग ने दिखाया कि वह वैश्विक दबदबा कायम करने के लिए किस तरह से शासन कला, सैन्य शक्ति और इतिहास का उपयोग कर सकते हैं। अखबार ने संपादकीय पेज पर भारत और अमेरिका संबंधों की खराब हालत पर अतिथि लेख भी प्रकाशित किया है।

    न्यूयार्क टाइम्स ने अपने शीर्षक में लिखा है कि भारत, अमेरिका के लिए चीन का आर्थिक विकल्प था। डोनाल्ड ट्रंप ने उसे खत्म कर दिया है। इसने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि चीनी कारखानों के सर्वोत्तम विकल्प के रूप में भारत ने दुनिया के सामने खुद को पेश करने के लिए कड़ी मेहनत की थी। वो अब धराशायी हो गई है। हालात कितने बदल गए हैं, यह पीएम मोदी की चीन यात्रा और राष्ट्रपति शी चिन¨फग से मुलाकात से स्पष्ट हो गया है।

    वाल स्ट्रीट जर्नल अखबार ने लिखा कि ट्रंप की नीतियों ने जब दुनिया को हिला दिया है, चीन इसी मौके पर खुद को ग्लोबल लीडर के रूप में पेश कर रहा है। एससीओ शिखर सम्मेलन को वाशिंगटन-बीजिंग प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बताते हुए अखबार ने यह जताया कि अगर भारत इस मंच पर सक्रिय भागीदारी बढ़ाता है, तो यह अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए चुनौती होगी।

    सीएनएन ने एससीओ शिखर सम्मेलन पर कवरेज को ध्यान केंद्रित किया और बताया कि चीन किस तरह व्लादिमीर पुतिन और नरेन्द्र मोदी के लिए लाल कालीन बिछा रहा है। इसने शी चिनफिंग की नई विश्व व्यवस्था पर भी बात की और ट्रंप की वैश्विक संबंधों को बिगाड़ने के लिए आलोचना की। फॉक्स न्यूज ने शिखर सम्मेलन की सावधानी भरी सीमित कवरेज की है।

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