'भेदभाव वाले प्रतिबंध स्वीकार नहीं', SCO बैठक से पहले पुतिन का अमेरिका को जवाब; BRICS पर कही ये बात
पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के दौरे पर हैं। पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स समूह को मजबूत करने में हम एकजुट हैं और किसी भी प्रकार के भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने चीन के साथ मिलकर वैश्विक संरचना को बढ़ाने और सदस्य देशों के लिए आर्थिक अवसरों का विस्तार करने की बात कही।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीएम मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिनीर पुतिन के साथ कई दिग्गज एससीओ बैठक में शामिल होने के लिए चीन के दौरे पर हैं। दो दिवसीय ये शिखर सम्मेलन आज से शुरू होने जा रहा है।
इस बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि हम वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए ब्रिक्स समूह को मजबूत करने में एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया ऐसे प्रतिबंध किसी भी देश के आर्थिक विकास में बाधा डाल रहे हैं।
चीन में हो रहा है एससीओ शिखर सम्मेलन
बता दें कि चीन के तियानजिन शहर में आज से एससीओ शिखर सम्मेलन होगा। इससे पहले रूसी राष्ट्रपति ने शिन्हुआ समाचार एजेंसी से खास बातचीत की है। उन्होंने इस दौरान कहा कि हम ब्रिक्स के भीतर चीन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि वैश्विक संरचना के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में इसकी भूमिका का विस्तार किया जा सके। साथ मिलकर, हम सदस्य देशों के लिए आर्थिक अवसरों का विस्तार करने के उद्देश्य से पहलों को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसमें रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी के लिए साझा मंचों का निर्माण भी शामिल है
पीएम मोदी से भी हो सकती है पुतिन की मुलाकात
बता दें कि चीन के तियानजिन शहर में होने वाले इस शिखर सम्मेलन के लिए दुनिया के बड़े दिग्गज चीन पहुंचे हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने की उम्मीद है।
IMF और विश्व बैंक में सुधार की आवश्यकता: पुतिन
वहीं, रूसी राष्ट्रपति ने इसके अलाव अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में सुधार की बात कही। उन्होंने कहा कि अपने चीनी सहयोगियों के साथ, हम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में सुधार का समर्थन करते हैं। हम इस बात पर एकमत हैं कि एक नई वित्तीय प्रणाली खुलेपन और सच्ची समता पर आधारित होनी चाहिए, जो सभी देशों को अपने साधनों तक समान और भेदभाव रहित पहुंच प्रदान करे और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सदस्य देशों की वास्तविक स्थिति को प्रतिबिंबित करे। (समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
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